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इंग्लैंड और मलेशिया जैसे कई देशों के सैनिकों के सीने पर चमकता है बनारस का बैज; जानिए कैसे होता है तैयार - BANARASI ARMY badges

बनारस की गलियों में इंग्लैंड, युगांडा, मलेशिया समेत कई देशों की आर्मी का बैज और फ्लैग तैयार किए जाते हैं. यहां के कारीगर सोने-चांदी के तारों से बड़ी बारीकी से बैज पर डिजाइन बनाते हैं.

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Jul 28, 2024, 6:36 AM IST

Updated : Jul 28, 2024, 11:50 AM IST

वाराणसी: बनारस की पहचान यहां की गलियों, यहां की साड़ी, यहां के पान और यहां का अक्खड़ और अल्हड़पन है. शहर बनारस को कबीर का भी शहर कहा जाता है. बनारस में बनारसी साड़ी की खटर-पटर के बीच एक ऐसा इंटरनेशनल प्रोडक्ट तैयार होता है. जिनकी डिमांड इंग्लैंड की रॉयल फैमिली से लेकर अमेरिकन आर्मी, अफ्रीकन आर्मी, यूएई, ओमान, युगांडा समेत कई देशों में होती है. यह वह चीज है जो हर देश की सेना के सिर और सीने, बांह और कंधों पर मान बढ़ाता है. हम बात कर रहे हैं, बनारस में तैयार होने वाले जरदोजी के उस शानदार बैज की जो कई सालों से यहां की पतली सकरी गलियों के छोटे-छोटे मकान में तैयार होती है.

वाराणसी में तैयार होते हैं कई देशों के सेना के बैज. (Video Credit; ETV Bharat)

करीब 50 सालों से बनारस में बन रहा बैज
बनारस के लल्लापुरा इलाके के मुमताज अली और उनके बेटे शादाब आलम अपनी इस पुश्तैनी विरासत को बचाकर बनारस को इंटरनेशनल लेवल पर चमक रहे हैं. पिछले 50 सालों से सोने और चांदी के ओरिजिनल धागों के साथ पतले-पतले कपड़ों पर जरी जरदोजी की डिजाइन तैयार करते हैं, जो विदेश में सेना का मान और सम्मान बढ़ाते हैं. बैज मेकर मुमताज बताते हैं कि दादा, पिता और अब वह और उसके बेटे इस काम को कर रहे हैं. उनके साथ लगभग आधा दर्जन कारीगर इस मुश्किल काम को पूरा करते हैं. लगभग 7 से 8 घंटे में सेना के कंधे, टोपी और सीने समेत बाजू पर सजने वाला शानदार बैज तैयार किया जाता है. उन्होंने बताया कि हमें एक्सपोर्टर के जरिए यह आर्डर दिल्ली और मुंबई समेत अन्य मेट्रो सिटी से आता है. इसके बाद हम लगभग हर महीने अलग-अलग कंट्री के आर्मी बैज तैयार करके उन्हें सप्लाई करते हैं. मुमताज बताते हैं कि हमारे पास सबसे ज्यादा ऑर्डर इंग्लैंड से आते हैं. इसमें इंग्लैंड की रॉयल फैमिली के बैज और इंग्लैंड में चलने वाले कई क्लब, रॉयल स्कूल और वहां की आर्मी के बैज हम तैयार करते हैं. हाल ही में इंग्लैंड के जल और वायु सेना के बैज तैयार करके यहां से भेजे गए हैं.

लल्लापुरा इलाके में सेना के बैज पर डिजाइन बनाते कारीगर.
लल्लापुरा इलाके में सेना के बैज पर डिजाइन बनाते कारीगर. (Photo Credit; ETV Bharat)

राष्ट्राध्यक्षों का बैज भी करते हैं तैयार
मुमताज बताया क्वांटिटी हर बार अलग-अलग होती है. कभी 5000 तो कभी 10000 बैज ऑर्डर मिलता है. इसके अलावा युगांडा की आर्मी के शोल्डर बैज, कैप बैज, यूएई के आर्मी बैज के अलावा रशियन आर्मी के बैज और मलेशिया फ्लैग का लोगो और अलग-अलग कंट्री के राष्ट्र अध्यक्षों के लिए बैज तैयार करके भेजे जाते हैं. मुमताज ने बताया कि फ्रांस के राष्ट्रपति ए मैन्युअल मैक्रों वाराणसी के दौरे पर आए थे. उस दौरान उनके देश का एनवेलप ओरिजिनल सोने से बनाया जा रहा था. जिसे देखकर वह बहुत आश्चर्यचकित हो गए थे. उन्हें यह तोहफा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने हाथों से दिया था. जिसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रूस राष्ट्रपति को दिया था. इसके अलावा उत्तर प्रदेश सरकार का लोगो हाल ही में प्रधानमंत्री के बनारस दौरे पर उन्हें दिया गया. सिल्क और जरी का दुपट्टा भी उन्होंने तैयार करके दिया था.

वाराणसी में युगांडा के सेना के बैज होता है तैयार.
वाराणसी में युगांडा के सेना के बैज होता है तैयार. (Photo Credit; ETV Bharat)

जीआई टैग से जरी जरदोजी को मिली असली पहचान
मुमताज के बेटे शादाब आलम बताते हैं कि बैज बनाने बहुत मेहनत लगती है. हमारे लिए काम रोजी-रोटी से तो जुड़ा ही है, साथ ही बनारस और देश की शान भी बढ़ाता है. बनारस से हम विदेश की आर्मी के लिए बैज तैयार करते हैं. उन्होंने बताया कि इस कला को असली पहचान 2014 के बाद तब मिली जब जरी जरदोजी के काम को जीआई टैग मिल गया. जीआई मिलने की वजह से हमें भारत सरकार की तरफ से देश के अलग-अलग हिस्सों में एग्जिबिशन लगाने का मौका मिला. इसका सबसे बड़ा फायदा यह हुआ कि हमारे और एक्सपोर्टर के बीच का जो एक कनेक्शन था वह टूटा और डायरेक्ट बायर्स तक पहुंचने लगे. दिल्ली, बेंगलुरु और कई अन्य शहरों में जब हमने अपनी एग्जीबिशन लगाई तो कई ऑनलाइन कंपनियों ने हमसे डायरेक्ट कांटेक्ट किया. एक बड़ी इंटरनेशनल लेवल के ऑनलाइन कंपनी भी हमसे प्रोडक्ट डायरेक्ट परचेज करती है. अपने प्रोडक्ट को अपने हिसाब से सेल करती है. इसके हिसाब से हमारे लिए ऑनलाइन प्लेटफॉर्म के कई अन्य रास्ते भी खुले हैं. जहां से हम अब सीधे अलग-अलग बायर्स के आर्डर लेते हैं और अलग-अलग देशों की सेना और राष्ट्रीय अध्यक्षों समेत वहां के क्लब स्कूल और अन्य जगहों के बैज तैयार करके उन्हें उपलब्ध करवाते हैं.

वाराणसी में युगांडा के सेना के बैज होता है तैयार.
वाराणसी में युगांडा के सेना के बैज होता है तैयार. (Photo Credit; ETV Bharat)

सोन और चांदी के तार से बनाते हैं बैज
शादाब बताते हैं कि एक-एक कारीगर सुबह आकर एक छोटी सी सूई लेकर बड़ी मेहनत के साथ पूरे दिन में 1 से 2 बैज ही बना पाते हैं. उनकी मजदूरी इतनी होती है कि उनके घर का खर्च चल जाए. लेकिन सरकार को बनारसी साड़ी के साथ इस कारोबार पर भी ध्यान देना चाहिए. क्योंकि यह एक बड़ा और भारत को एक अलग पहचान दिलवाने वाला कारोबार है. इसके जरिए इंटरनेशनल लेवल पर बनारस के साथ पूरे भारत को हम प्रदर्शित करते हैं. मुमताज बताते हैं कि विदेशों में मेड इन वीएनएस (वीएनएस यानी वाराणसी) की जबरदस्त डिमांड है. यही वजह है कि आज इतने सालों से बनारस में तैयार होने वाले जारी के आर्मी बैज और अलग-अलग तरह के बैज की डिमांड हर महीने आती है और हम उसे पूरा भी करके देते हैं. मुमताज बताते हैं कि यह प्रोडक्ट अपने आप में खास इसलिए भी होते हैं, क्योंकि इनमें असली सोने और चांदी की तार का प्रयोग किया जाता है.

इंग्लैड की रॉयल फैमिली का क्राउन भी किया तैयार
मुमताज का कहना है कि इंग्लैंड की रॉयल फैमिली और उनके क्राउन और लॉयल लोगों को भी हम तैयार करते आए हैं. इंग्लैंड से आने वाले अधिकांश ऑर्डर में असली सोने और चांदी की जारी यानी तार का प्रयोग किया जाता है, जो काफी महंगे पड़ते हैं. एक छोटे से बैज में लगभग 2 ग्राम तक सोने-चांदी की तार का उपयोग होगता है. इसलिए यह अपने आप में बेहद लग्जरी और रॉयल लुक देने वाले प्रोडक्ट होते हैं, जो कभी-कभी ही तैयार होते हैं.

इसे भी पढ़ें-VIDEO: बांके बिहारी की पोशाक इस ईरानी कला से होती तैयार, फिल्म देवदास में माधुरी भी दिखा चुकी इसकी झलक, तुगलक-अकबर ने भी माना था लोहा

वाराणसी: बनारस की पहचान यहां की गलियों, यहां की साड़ी, यहां के पान और यहां का अक्खड़ और अल्हड़पन है. शहर बनारस को कबीर का भी शहर कहा जाता है. बनारस में बनारसी साड़ी की खटर-पटर के बीच एक ऐसा इंटरनेशनल प्रोडक्ट तैयार होता है. जिनकी डिमांड इंग्लैंड की रॉयल फैमिली से लेकर अमेरिकन आर्मी, अफ्रीकन आर्मी, यूएई, ओमान, युगांडा समेत कई देशों में होती है. यह वह चीज है जो हर देश की सेना के सिर और सीने, बांह और कंधों पर मान बढ़ाता है. हम बात कर रहे हैं, बनारस में तैयार होने वाले जरदोजी के उस शानदार बैज की जो कई सालों से यहां की पतली सकरी गलियों के छोटे-छोटे मकान में तैयार होती है.

वाराणसी में तैयार होते हैं कई देशों के सेना के बैज. (Video Credit; ETV Bharat)

करीब 50 सालों से बनारस में बन रहा बैज
बनारस के लल्लापुरा इलाके के मुमताज अली और उनके बेटे शादाब आलम अपनी इस पुश्तैनी विरासत को बचाकर बनारस को इंटरनेशनल लेवल पर चमक रहे हैं. पिछले 50 सालों से सोने और चांदी के ओरिजिनल धागों के साथ पतले-पतले कपड़ों पर जरी जरदोजी की डिजाइन तैयार करते हैं, जो विदेश में सेना का मान और सम्मान बढ़ाते हैं. बैज मेकर मुमताज बताते हैं कि दादा, पिता और अब वह और उसके बेटे इस काम को कर रहे हैं. उनके साथ लगभग आधा दर्जन कारीगर इस मुश्किल काम को पूरा करते हैं. लगभग 7 से 8 घंटे में सेना के कंधे, टोपी और सीने समेत बाजू पर सजने वाला शानदार बैज तैयार किया जाता है. उन्होंने बताया कि हमें एक्सपोर्टर के जरिए यह आर्डर दिल्ली और मुंबई समेत अन्य मेट्रो सिटी से आता है. इसके बाद हम लगभग हर महीने अलग-अलग कंट्री के आर्मी बैज तैयार करके उन्हें सप्लाई करते हैं. मुमताज बताते हैं कि हमारे पास सबसे ज्यादा ऑर्डर इंग्लैंड से आते हैं. इसमें इंग्लैंड की रॉयल फैमिली के बैज और इंग्लैंड में चलने वाले कई क्लब, रॉयल स्कूल और वहां की आर्मी के बैज हम तैयार करते हैं. हाल ही में इंग्लैंड के जल और वायु सेना के बैज तैयार करके यहां से भेजे गए हैं.

लल्लापुरा इलाके में सेना के बैज पर डिजाइन बनाते कारीगर.
लल्लापुरा इलाके में सेना के बैज पर डिजाइन बनाते कारीगर. (Photo Credit; ETV Bharat)

राष्ट्राध्यक्षों का बैज भी करते हैं तैयार
मुमताज बताया क्वांटिटी हर बार अलग-अलग होती है. कभी 5000 तो कभी 10000 बैज ऑर्डर मिलता है. इसके अलावा युगांडा की आर्मी के शोल्डर बैज, कैप बैज, यूएई के आर्मी बैज के अलावा रशियन आर्मी के बैज और मलेशिया फ्लैग का लोगो और अलग-अलग कंट्री के राष्ट्र अध्यक्षों के लिए बैज तैयार करके भेजे जाते हैं. मुमताज ने बताया कि फ्रांस के राष्ट्रपति ए मैन्युअल मैक्रों वाराणसी के दौरे पर आए थे. उस दौरान उनके देश का एनवेलप ओरिजिनल सोने से बनाया जा रहा था. जिसे देखकर वह बहुत आश्चर्यचकित हो गए थे. उन्हें यह तोहफा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने हाथों से दिया था. जिसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रूस राष्ट्रपति को दिया था. इसके अलावा उत्तर प्रदेश सरकार का लोगो हाल ही में प्रधानमंत्री के बनारस दौरे पर उन्हें दिया गया. सिल्क और जरी का दुपट्टा भी उन्होंने तैयार करके दिया था.

वाराणसी में युगांडा के सेना के बैज होता है तैयार.
वाराणसी में युगांडा के सेना के बैज होता है तैयार. (Photo Credit; ETV Bharat)

जीआई टैग से जरी जरदोजी को मिली असली पहचान
मुमताज के बेटे शादाब आलम बताते हैं कि बैज बनाने बहुत मेहनत लगती है. हमारे लिए काम रोजी-रोटी से तो जुड़ा ही है, साथ ही बनारस और देश की शान भी बढ़ाता है. बनारस से हम विदेश की आर्मी के लिए बैज तैयार करते हैं. उन्होंने बताया कि इस कला को असली पहचान 2014 के बाद तब मिली जब जरी जरदोजी के काम को जीआई टैग मिल गया. जीआई मिलने की वजह से हमें भारत सरकार की तरफ से देश के अलग-अलग हिस्सों में एग्जिबिशन लगाने का मौका मिला. इसका सबसे बड़ा फायदा यह हुआ कि हमारे और एक्सपोर्टर के बीच का जो एक कनेक्शन था वह टूटा और डायरेक्ट बायर्स तक पहुंचने लगे. दिल्ली, बेंगलुरु और कई अन्य शहरों में जब हमने अपनी एग्जीबिशन लगाई तो कई ऑनलाइन कंपनियों ने हमसे डायरेक्ट कांटेक्ट किया. एक बड़ी इंटरनेशनल लेवल के ऑनलाइन कंपनी भी हमसे प्रोडक्ट डायरेक्ट परचेज करती है. अपने प्रोडक्ट को अपने हिसाब से सेल करती है. इसके हिसाब से हमारे लिए ऑनलाइन प्लेटफॉर्म के कई अन्य रास्ते भी खुले हैं. जहां से हम अब सीधे अलग-अलग बायर्स के आर्डर लेते हैं और अलग-अलग देशों की सेना और राष्ट्रीय अध्यक्षों समेत वहां के क्लब स्कूल और अन्य जगहों के बैज तैयार करके उन्हें उपलब्ध करवाते हैं.

वाराणसी में युगांडा के सेना के बैज होता है तैयार.
वाराणसी में युगांडा के सेना के बैज होता है तैयार. (Photo Credit; ETV Bharat)

सोन और चांदी के तार से बनाते हैं बैज
शादाब बताते हैं कि एक-एक कारीगर सुबह आकर एक छोटी सी सूई लेकर बड़ी मेहनत के साथ पूरे दिन में 1 से 2 बैज ही बना पाते हैं. उनकी मजदूरी इतनी होती है कि उनके घर का खर्च चल जाए. लेकिन सरकार को बनारसी साड़ी के साथ इस कारोबार पर भी ध्यान देना चाहिए. क्योंकि यह एक बड़ा और भारत को एक अलग पहचान दिलवाने वाला कारोबार है. इसके जरिए इंटरनेशनल लेवल पर बनारस के साथ पूरे भारत को हम प्रदर्शित करते हैं. मुमताज बताते हैं कि विदेशों में मेड इन वीएनएस (वीएनएस यानी वाराणसी) की जबरदस्त डिमांड है. यही वजह है कि आज इतने सालों से बनारस में तैयार होने वाले जारी के आर्मी बैज और अलग-अलग तरह के बैज की डिमांड हर महीने आती है और हम उसे पूरा भी करके देते हैं. मुमताज बताते हैं कि यह प्रोडक्ट अपने आप में खास इसलिए भी होते हैं, क्योंकि इनमें असली सोने और चांदी की तार का प्रयोग किया जाता है.

इंग्लैड की रॉयल फैमिली का क्राउन भी किया तैयार
मुमताज का कहना है कि इंग्लैंड की रॉयल फैमिली और उनके क्राउन और लॉयल लोगों को भी हम तैयार करते आए हैं. इंग्लैंड से आने वाले अधिकांश ऑर्डर में असली सोने और चांदी की जारी यानी तार का प्रयोग किया जाता है, जो काफी महंगे पड़ते हैं. एक छोटे से बैज में लगभग 2 ग्राम तक सोने-चांदी की तार का उपयोग होगता है. इसलिए यह अपने आप में बेहद लग्जरी और रॉयल लुक देने वाले प्रोडक्ट होते हैं, जो कभी-कभी ही तैयार होते हैं.

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Last Updated : Jul 28, 2024, 11:50 AM IST
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