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IMA POP 2024: अरिहंत ने आगे बढ़ाई परिवार की परंपरा, देश सेवा की राह पर तीसरी पीढ़ी - INDIAN MILITARY ACADEMY POP 2024

नैनीताल जिले के लेफ्टिनेंट अरिहंत सिंह राणा अपने परिवार की तीसरी पीढ़ी के तौर पर देश सेवा के लिए शामिल हुए.

INDIAN MILITARY ACADEMY POP 2024
लेफ्टिनेंट अरिहंत सिंह राणा (PHOTO-ETV Bharat)
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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Dec 14, 2024, 7:31 PM IST

Updated : Dec 14, 2024, 7:54 PM IST

देहरादूनः लेफ्टिनेंट अरिहंत सिंह राणा ने आज देहरादून आईएमए पासिंग आउट परेड में सेना में अफसर बनते ही अपने परिवार की परंपरा को आगे बढ़ा दिया. लेफ्टिनेंट अरिहंत, उत्तराखंड में हल्द्वानी के रहने वाले हैं और उनकी इस कामयाबी पर उनका परिवार बेहद खुश दिख रहा है. दरअसल अरिहंत के पिता, दादा और नाना भी सेना में रहकर देश सेवा कर चुके हैं और वो परिवार की तीसरी पीढ़ी है, जो सेना में शामिल हुई है.

भारतीय सैन्य अकादमी में अफसर के तौर पर शामिल होने वाले अरिहंत भले ही अब सेना में तौर तरीकों को सीखेंगे. लेकिन उनके लिए सेना को जानना कोई नया नहीं होगा. दरअसल अरिहंत सिंह राणा अपने परिवार की तीसरी पीढ़ी हैं, जो सेना में शामिल होकर देश की सेवा करने जा रहे हैं. अरिहंत के पिता भी सेना में अफसर हैं. इससे पहले उनके दादा और नाना भी भारतीय सेना का हिस्सा रह चुके हैं. इस तरह उत्तराखंड के हल्द्वानी का रहने वाला यह परिवार उन खास परिवारों में शामिल हो गया है जो सेना में रहने की परंपरा को निभाता आ रहा है.

अरिहंत ने आगे बढ़ाई परिवार की परंपरा (VIDEO-ETV Bharat)

अरिहंत सिंह राणा अपने इस अनुभव को ईटीवी भारत से साझा करते हुए कहते हैं कि वो हल्द्वानी से ताल्लुक रखते हैं और उन्होंने सेना के माहौल को अपने परिवार में देखा है. वह यह भी जानते हैं कि सेना में शामिल होना चुनौतीपूर्ण है जिसके कारण उनको अपने परिवार से भी दूर रहना होगा. क्योंकि अक्सर उन्होंने सेना में होने के कारण अपने पिता से ना मिल पाने की स्थित को देखा है. अरिहंत ने अपनी स्कूलिंग जयपुर से की और इस दौरान पिता की पोस्टिंग कहीं और होने के कारण उन्हें अपनी मां के साथ अकेले ही रहना पड़ा. अरिहंत खुद इस बात को कहते हुए दिखाई देते हैं.

हालांकि, अरिहंत ने अपने परिवार की परंपरा को आगे बढ़ाया और अपने दादा और पिता को देखकर ही सेना में जाने का फैसला लिया. लेकिन उनके पिता कहते हैं कि उन्होंने कभी भी अरिहंत को सेना में शामिल होने के लिए दबाव नहीं दिया. बेहतर शिक्षा देने के बाद उन्होंने अरिहंत को यह मौका दिया कि वह खुद अपना भविष्य चुने. लेकिन अरिहंत ने भी वही चुना जो उनके परिवार की परंपरा रही है.

ये भी पढ़ेंः मिलिट्री कॉलेज के शिक्षक के बेटे ने पूरा किया पिता का सपना, सेना में बना अफसर, गौरवान्वित हुये परिजन

ये भी पढ़ेंः देहरादून में IMA पासिंग आउट परेड संपन्न, एक क्लिक में जानिए POP की डिटेल

देहरादूनः लेफ्टिनेंट अरिहंत सिंह राणा ने आज देहरादून आईएमए पासिंग आउट परेड में सेना में अफसर बनते ही अपने परिवार की परंपरा को आगे बढ़ा दिया. लेफ्टिनेंट अरिहंत, उत्तराखंड में हल्द्वानी के रहने वाले हैं और उनकी इस कामयाबी पर उनका परिवार बेहद खुश दिख रहा है. दरअसल अरिहंत के पिता, दादा और नाना भी सेना में रहकर देश सेवा कर चुके हैं और वो परिवार की तीसरी पीढ़ी है, जो सेना में शामिल हुई है.

भारतीय सैन्य अकादमी में अफसर के तौर पर शामिल होने वाले अरिहंत भले ही अब सेना में तौर तरीकों को सीखेंगे. लेकिन उनके लिए सेना को जानना कोई नया नहीं होगा. दरअसल अरिहंत सिंह राणा अपने परिवार की तीसरी पीढ़ी हैं, जो सेना में शामिल होकर देश की सेवा करने जा रहे हैं. अरिहंत के पिता भी सेना में अफसर हैं. इससे पहले उनके दादा और नाना भी भारतीय सेना का हिस्सा रह चुके हैं. इस तरह उत्तराखंड के हल्द्वानी का रहने वाला यह परिवार उन खास परिवारों में शामिल हो गया है जो सेना में रहने की परंपरा को निभाता आ रहा है.

अरिहंत ने आगे बढ़ाई परिवार की परंपरा (VIDEO-ETV Bharat)

अरिहंत सिंह राणा अपने इस अनुभव को ईटीवी भारत से साझा करते हुए कहते हैं कि वो हल्द्वानी से ताल्लुक रखते हैं और उन्होंने सेना के माहौल को अपने परिवार में देखा है. वह यह भी जानते हैं कि सेना में शामिल होना चुनौतीपूर्ण है जिसके कारण उनको अपने परिवार से भी दूर रहना होगा. क्योंकि अक्सर उन्होंने सेना में होने के कारण अपने पिता से ना मिल पाने की स्थित को देखा है. अरिहंत ने अपनी स्कूलिंग जयपुर से की और इस दौरान पिता की पोस्टिंग कहीं और होने के कारण उन्हें अपनी मां के साथ अकेले ही रहना पड़ा. अरिहंत खुद इस बात को कहते हुए दिखाई देते हैं.

हालांकि, अरिहंत ने अपने परिवार की परंपरा को आगे बढ़ाया और अपने दादा और पिता को देखकर ही सेना में जाने का फैसला लिया. लेकिन उनके पिता कहते हैं कि उन्होंने कभी भी अरिहंत को सेना में शामिल होने के लिए दबाव नहीं दिया. बेहतर शिक्षा देने के बाद उन्होंने अरिहंत को यह मौका दिया कि वह खुद अपना भविष्य चुने. लेकिन अरिहंत ने भी वही चुना जो उनके परिवार की परंपरा रही है.

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Last Updated : Dec 14, 2024, 7:54 PM IST
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