देहरादूनः लेफ्टिनेंट अरिहंत सिंह राणा ने आज देहरादून आईएमए पासिंग आउट परेड में सेना में अफसर बनते ही अपने परिवार की परंपरा को आगे बढ़ा दिया. लेफ्टिनेंट अरिहंत, उत्तराखंड में हल्द्वानी के रहने वाले हैं और उनकी इस कामयाबी पर उनका परिवार बेहद खुश दिख रहा है. दरअसल अरिहंत के पिता, दादा और नाना भी सेना में रहकर देश सेवा कर चुके हैं और वो परिवार की तीसरी पीढ़ी है, जो सेना में शामिल हुई है.
भारतीय सैन्य अकादमी में अफसर के तौर पर शामिल होने वाले अरिहंत भले ही अब सेना में तौर तरीकों को सीखेंगे. लेकिन उनके लिए सेना को जानना कोई नया नहीं होगा. दरअसल अरिहंत सिंह राणा अपने परिवार की तीसरी पीढ़ी हैं, जो सेना में शामिल होकर देश की सेवा करने जा रहे हैं. अरिहंत के पिता भी सेना में अफसर हैं. इससे पहले उनके दादा और नाना भी भारतीय सेना का हिस्सा रह चुके हैं. इस तरह उत्तराखंड के हल्द्वानी का रहने वाला यह परिवार उन खास परिवारों में शामिल हो गया है जो सेना में रहने की परंपरा को निभाता आ रहा है.
अरिहंत सिंह राणा अपने इस अनुभव को ईटीवी भारत से साझा करते हुए कहते हैं कि वो हल्द्वानी से ताल्लुक रखते हैं और उन्होंने सेना के माहौल को अपने परिवार में देखा है. वह यह भी जानते हैं कि सेना में शामिल होना चुनौतीपूर्ण है जिसके कारण उनको अपने परिवार से भी दूर रहना होगा. क्योंकि अक्सर उन्होंने सेना में होने के कारण अपने पिता से ना मिल पाने की स्थित को देखा है. अरिहंत ने अपनी स्कूलिंग जयपुर से की और इस दौरान पिता की पोस्टिंग कहीं और होने के कारण उन्हें अपनी मां के साथ अकेले ही रहना पड़ा. अरिहंत खुद इस बात को कहते हुए दिखाई देते हैं.
हालांकि, अरिहंत ने अपने परिवार की परंपरा को आगे बढ़ाया और अपने दादा और पिता को देखकर ही सेना में जाने का फैसला लिया. लेकिन उनके पिता कहते हैं कि उन्होंने कभी भी अरिहंत को सेना में शामिल होने के लिए दबाव नहीं दिया. बेहतर शिक्षा देने के बाद उन्होंने अरिहंत को यह मौका दिया कि वह खुद अपना भविष्य चुने. लेकिन अरिहंत ने भी वही चुना जो उनके परिवार की परंपरा रही है.
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