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यहां मिले कुषाणकाल से महाभारत तक के अवशेष, अनूठे सुईं जैसे हड्डियों के औजार से बढ़ी जिज्ञासा - Archaeological Survey of India

डीग जिले के बहज गांव में चल रहे उत्खनन में कुषाण काल से महाभारत काल (हस्तिनापुर) तक के पांच कालखंडों की सभ्यताओं के अवशेष मिले हैं.

खुदाई में मिले अवशेष
खुदाई में मिले अवशेष
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : May 2, 2024, 12:19 PM IST

Updated : May 2, 2024, 12:30 PM IST

भरतपुर/डीग. भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग (एएसआई) को भगवान श्री कृष्ण की जन्मस्थली और क्रीड़ास्थली बृज में बहुत बड़ी सफलता हाथ लगी है. डीग जिले के बहज गांव में चल रहे उत्खनन में कुषाण काल से महाभारत काल (हस्तिनापुर) तक के पांच कालखंडों की सभ्यताओं के अवशेष मिले हैं. महत्वपूर्ण बात यह है कि यहां पर बहुत बड़ी बोन इंडस्ट्री (हड्डियों से निर्मित औजारों का जखीरा) मिली है. जिसमें सुई के आकार के ऐसे अनूठे हड्डियों के औजार मिले हैं जो अब से पहले पूरे भारत में कहीं नहीं पाए गए हैं. फिलहाल एएसआई की ओर से उत्खनन कार्य जारी है. संभावना जताई जा रही है कि यहां पर महाभारत काल से भी प्राचीन सभ्यता के अवशेष दबे हुए हो सकते हैं.

कुषाण काल से महाभारत काल तक : पुरातत्व विभाग के सुपरिटेंडेंट विनय गुप्ता ने बताया कि विभाग की ओर से बहज गांव में 10 जनवरी 2024 से उत्खनन कार्य किया जा रहा है. अभी तक टीले के शीर्ष से करीब 20 मीटर और जमीन से करीब 9 मीटर की गहराई तक उत्खनन कार्य किया जा चुका है. अभी तक के उत्खनन में बहुत ही महत्वपूर्ण सफलता मिली है. विनय गुप्ता ने बताया कि उत्खनन के दौरान सबसे पहले कुषाण कालीन अवशेष, उसके बाद शुंग कालीन, मौर्य कालीन, महाजनपद कालीन और महाभारत काल (हस्तिनापुर) के अवशेष प्राप्त हुए हैं.

डीग के बहज में खुदाई
डीग के बहज में खुदाई

पढ़ें: कर्नाटक के मैसूर में सीवरेज खुदाई के दौरान मिलीं 11वीं शताब्दी की जैन मूर्तियां

राजस्थान का सबसे बड़ा जमाव: बृज क्षेत्र का महाभारत काल से जुड़ाव माना जाता रहा है. अब पुरातत्व विभाग की खुदाई में मिले अवशेषों से यह साबित भी होता दिख रहा है. सुपरिटेंडेंट विनय गुप्ता ने बताया कि बहज गांव के उत्खनन में महाभारत काल (हस्तिनापुर) के करीब 4 मीटर तक के जमाव प्राप्त हुए हैं, जो कि राजस्थान में अब तक के सबसे अधिक गहराई तक के जमाव हैं. इससे पहले नीम का थाना के पास महाभारत काल का पौन मीटर का जमाव मिल चुका है.

राजस्थान का सबसे बड़ा जमाव
राजस्थान का सबसे बड़ा जमाव

भारत के सबसे अनूठे हड्डियों के औजार : विनय गुप्ता ने बताया कि बहज में बहुत बड़ी बोन इंडस्ट्री मिली है. इसमें सुई के आकार तक के औजार मिले हैं. संभवतः इनका इस्तेमाल लिखने, बुनने या किसी अन्य कार्य के लिए किया जाता होगा. गुप्ता ने बताया कि इस तरह के औजार अभी तक भारत में कहीं और प्राप्त नहीं हुए हैं. सुई के आकार के इन औजारों पर बहुत ही बारीक और उत्कृष्ट कार्य हुआ है.

दुर्लभ काले मनके
दुर्लभ काले मनके
मौर्य कालीन मातृदेवी का सिर मिला
मौर्य कालीन मातृदेवी का सिर मिला

दुर्लभ काले मनके : विनय गुप्ता ने बताया कि सामान्य तौर पर उत्खनन में सफेद रंग के मनके (माला के मोती) पाए जाते हैं लेकिन बहज गांव के टीले में काले रंग के बड़ी संख्या में मनके मिले हैं. ये बहुत ही दुर्लभ हैं. इनमें ज्यादातर शुंग काल के मनके हैं. ये मनके उत्कीर्णन (एंग्रेविंग) करने पर रंग भी बदलते हैं. सुपरिटेंडेंट विनय गुप्ता ने बताया कि उत्खनन में और भी बहुत ही महत्वपूर्ण अवशेष जैसे मूर्तियां, मिट्टी के बर्तन, दीवार आदि मिले हैं. फिलहाल उत्खनन जारी है. संभावना है कि और भी प्राचीन सभ्यता या कालखंड से बृज के जुड़ाव के प्रमाण यहां मिल सकते हैं.

भरतपुर/डीग. भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग (एएसआई) को भगवान श्री कृष्ण की जन्मस्थली और क्रीड़ास्थली बृज में बहुत बड़ी सफलता हाथ लगी है. डीग जिले के बहज गांव में चल रहे उत्खनन में कुषाण काल से महाभारत काल (हस्तिनापुर) तक के पांच कालखंडों की सभ्यताओं के अवशेष मिले हैं. महत्वपूर्ण बात यह है कि यहां पर बहुत बड़ी बोन इंडस्ट्री (हड्डियों से निर्मित औजारों का जखीरा) मिली है. जिसमें सुई के आकार के ऐसे अनूठे हड्डियों के औजार मिले हैं जो अब से पहले पूरे भारत में कहीं नहीं पाए गए हैं. फिलहाल एएसआई की ओर से उत्खनन कार्य जारी है. संभावना जताई जा रही है कि यहां पर महाभारत काल से भी प्राचीन सभ्यता के अवशेष दबे हुए हो सकते हैं.

कुषाण काल से महाभारत काल तक : पुरातत्व विभाग के सुपरिटेंडेंट विनय गुप्ता ने बताया कि विभाग की ओर से बहज गांव में 10 जनवरी 2024 से उत्खनन कार्य किया जा रहा है. अभी तक टीले के शीर्ष से करीब 20 मीटर और जमीन से करीब 9 मीटर की गहराई तक उत्खनन कार्य किया जा चुका है. अभी तक के उत्खनन में बहुत ही महत्वपूर्ण सफलता मिली है. विनय गुप्ता ने बताया कि उत्खनन के दौरान सबसे पहले कुषाण कालीन अवशेष, उसके बाद शुंग कालीन, मौर्य कालीन, महाजनपद कालीन और महाभारत काल (हस्तिनापुर) के अवशेष प्राप्त हुए हैं.

डीग के बहज में खुदाई
डीग के बहज में खुदाई

पढ़ें: कर्नाटक के मैसूर में सीवरेज खुदाई के दौरान मिलीं 11वीं शताब्दी की जैन मूर्तियां

राजस्थान का सबसे बड़ा जमाव: बृज क्षेत्र का महाभारत काल से जुड़ाव माना जाता रहा है. अब पुरातत्व विभाग की खुदाई में मिले अवशेषों से यह साबित भी होता दिख रहा है. सुपरिटेंडेंट विनय गुप्ता ने बताया कि बहज गांव के उत्खनन में महाभारत काल (हस्तिनापुर) के करीब 4 मीटर तक के जमाव प्राप्त हुए हैं, जो कि राजस्थान में अब तक के सबसे अधिक गहराई तक के जमाव हैं. इससे पहले नीम का थाना के पास महाभारत काल का पौन मीटर का जमाव मिल चुका है.

राजस्थान का सबसे बड़ा जमाव
राजस्थान का सबसे बड़ा जमाव

भारत के सबसे अनूठे हड्डियों के औजार : विनय गुप्ता ने बताया कि बहज में बहुत बड़ी बोन इंडस्ट्री मिली है. इसमें सुई के आकार तक के औजार मिले हैं. संभवतः इनका इस्तेमाल लिखने, बुनने या किसी अन्य कार्य के लिए किया जाता होगा. गुप्ता ने बताया कि इस तरह के औजार अभी तक भारत में कहीं और प्राप्त नहीं हुए हैं. सुई के आकार के इन औजारों पर बहुत ही बारीक और उत्कृष्ट कार्य हुआ है.

दुर्लभ काले मनके
दुर्लभ काले मनके
मौर्य कालीन मातृदेवी का सिर मिला
मौर्य कालीन मातृदेवी का सिर मिला

दुर्लभ काले मनके : विनय गुप्ता ने बताया कि सामान्य तौर पर उत्खनन में सफेद रंग के मनके (माला के मोती) पाए जाते हैं लेकिन बहज गांव के टीले में काले रंग के बड़ी संख्या में मनके मिले हैं. ये बहुत ही दुर्लभ हैं. इनमें ज्यादातर शुंग काल के मनके हैं. ये मनके उत्कीर्णन (एंग्रेविंग) करने पर रंग भी बदलते हैं. सुपरिटेंडेंट विनय गुप्ता ने बताया कि उत्खनन में और भी बहुत ही महत्वपूर्ण अवशेष जैसे मूर्तियां, मिट्टी के बर्तन, दीवार आदि मिले हैं. फिलहाल उत्खनन जारी है. संभावना है कि और भी प्राचीन सभ्यता या कालखंड से बृज के जुड़ाव के प्रमाण यहां मिल सकते हैं.

Last Updated : May 2, 2024, 12:30 PM IST
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