हैदराबाद : कोरोनावायरस रोग 2019 महामारी एक वैश्विक प्रकोप है. यह गंभीर तीव्र श्वसन सिंड्रोम कोरोनावायरस 2 (Severe Acute Respiratory Syndrome Coronavirus 2) के कारण होता है. दिसंबर 2019 में नॉवेल कोरोनावायरस से संबंधित पहला मामला चीन में पाया गया था, जहां से निकलकर यह वायरस दुनिया भर के अन्य देशों में तेजी से फैल गया. आज के समय में यह वायरस दुनिया भर में एक्टिव है. कोविड प्रसार की भयावह स्थिति को देखते हुए WHO ने 30 जनवरी 2020 को अंतरराष्ट्रीय सार्वजनिक स्वास्थ्य आपातकाल (PHEIC) घोषित करना पड़ा, वहीं 11 मार्च 2020 को इस प्रकोप को महामारी के रूप में चिह्नित किया गया है.
भारत में 5 लाख से ज्यादा लोगों की हो चुकी है मौत
WHO के ताजा डेटा के अनुसार 19 जनवरी 2023 तक पूरी दुनिया में कोरोना के 772 838 745 मामले सामने आये. वहीं इस दौरान 6 988 679 लोगों की मौत हो गई. वहीं भारत सरकार के स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय की वेबसाइट के अनुसार 28 जनवरी तक तक एक्टिव मरीजों की संख्या 1525 है. वहीं कोविड के बाद स्वस्थ हो चुके लोगों की संख्या 44490106 है. कोविड के कारण आधिकारिक रूप से मौतें की संख्या 533445 है. वहीं कोविड से बचाव के लिए 2,206,785,223 लोगों का वैक्सिनेशन किया जा चुका है.
टीकाकरण अभियान: भारत ने मानवता के व्यापक हित को ध्यान में रखकर कई देशों को वैक्सीन आपूर्ति में मदद करते हुए सबसे बड़े टीकाकरण अभियानों में से एक को सफलतापूर्वक लागू किया. इसे 16 जनवरी 2021 से सबसे बड़ा टीकाकरण अभियान शुरू किया गया था. स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय टीकाकरण की प्रगति को ट्रैक करने के लिए Co-WIN ऐप को लॉन्च किया.आधार संख्या के संदर्भ में टीकाकरण का प्रमाण पत्र लाभार्थियों द्वारा यात्रा और अन्य जरूरतों में प्रमाण के रूप में उपयोग करने के लिए डाउनलोड किया जा सकता है. पहले 2 कोविड एंटी डोज दिया गया. बाद में अतिरिक्त बुस्टर डोज का प्रावधान किया गया. भारत सरकार के स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय की ओर से 2,206,785,223 लोगों का कोविड से संबंधित एंटी वैक्सिनेशन दिया जा चुका है.
अर्थव्यवस्था पर प्रभाव : कोविड संकट के बाद दुनिया के कई हिस्सों की तरह, भारतीय अर्थव्यवस्था भी बुरी तरह प्रभावित हुई. महामारी के कारण वित्त वर्ष 2021 में भारत में सकल घरेलू उत्पाद में 5.5 प्रतिशत की गिरावट आई. बड़ी संख्या में छोटे-बड़े कारोबार बंद हुए.
आपातकालीन परिस्थितियां: अंतरराष्ट्रीय स्वास्थ्य नियम?
अंतरराष्ट्रीय स्वास्थ्य विनियम 2005 (International Health Regulation-2005) एक बाध्यकारी अंतरराष्ट्रीय कानूनी समझौता है. यह दुनिया भर के 196 देशों के साथ WHO के सभी सदस्य राष्ट्रों पर लागू होता है.
इसका मुख्य उद्देश्य वैश्विक स्तर पर महामारी का रूप ले चुकी स्वास्थ्य जोखिमों को रोकने के लिए देश की सीमाओं से निकलकर सभी देशों को कदम उठाने के लिए कानूनी रूप से बाध्य करना.
आईएचआर का उद्देश्य और संबंधित बीमारी के अंतरराष्ट्रीय प्रसार को रोकना, सुरक्षा करने, नियंत्रित करने और सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रतिक्रिया प्रदान करने के लिए उन तरीकों से है जो सार्वजनिक स्वास्थ्य जोखिमों के अनुरूप और प्रतिबंधित हैं.
भारत सरकार की ओर से कोविड के बाद किये गये राहत उपाय
- लॉकडाउन का लंबा सिलसिला होने के कारण आर्थिक गतिविधियों लंबे समय तक प्रभावित हुआ. इसके बाद कोरोबार के लिए सीमित समय का तय किया गया. कुल मिलाकर हर सेक्टर में गंभीर आर्थिक संकट लंबे समय तक छाया रहा.
- आकस्मिक गिग श्रमिकों, विक्रेताओं, फेरीवालों, नौकरानियों, दैनिक वेतन भोगियों, मंदिर के पुजारियों और कई अन्य प्रकार के श्रमिकों को तीव्र कठिनाई का सामना करना पड़ा। उनकी आजीविका दांव पर थी.
- सरकार ने 30 मार्च 2020 को प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना (पीएमजीकेवाई) के तहत वस्तु (खाद्यान्न और दालें) और नकदी में राहत प्रदान करने के लिए 1.70 लाख करोड़ रुपये का अपना सुव्यवस्थित प्रोत्साहन पैकेज लेकर आई. यह योजना को आखिरी बार दिसंबर 2028 तक बढ़ाया गया था.
- कोविड-19 राहत उपायों के बड़े हिस्से के रूप में अतिरिक्त कार्यशील पूंजी और अवधि को पूरा करने के लिए व्यावसायिक उद्यमों और एमएसएमई को आपातकालीन क्रेडिट लाइन गारंटी योजना (ईसीएलजीएस) के तहत बैंकों और गैर-बैंकों द्वारा 100 प्रतिशत सरकारी गारंटीकृत ऋण प्रदान किए गए थे.
- ECLGS की शुरुआत 3 ट्रिलियन रुपये तक की सीमा के साथ हुई थी, जिसे बाद में आतिथ्य, उच्च संपर्क गतिविधियों और नागरिक उड्डयन क्षेत्र को ऋण देने का दायरा बढ़ाते हुए 5 ट्रिलियन रुपये तक बढ़ा दिया गया था.
- आत्मनिर्भरता की दिशा में काम करने के लिए, आत्मनिर्भर भारत अभियान (एएनबीवाई) रुपये के अनुमानित कुल समर्थन परिव्यय के साथ शुरू किया गया था. हमारे देश को कोरोनोवायरस संकट से बाहर निकालने के लिए 20 लाख करोड़ रुपये खर्च किए.