नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने लैंड फॉर जॉब मामले के आरोपी अमित कात्याल की जमानत की शर्तों में बदलाव को मंजूरी दे दी है. हाईकोर्ट ने कात्याल की जमानत शर्तों में बदलाव करते हुए कहा कि उन्हें अब केवल महीने के पहले सोमवार को जांच एजेंसी के सामने पेश होना होगा. हाईकोर्ट ने कहा कि कात्याल के खिलाफ जांच पूरी हो चुकी है और ईडी अपनी अभियोजन शिकायत दाखिल कर चुकी है.
अमित कत्याल के वकील ने कहा कि कात्याल को जब भी एजेंसी ने बुलाया वह उसके सामने पेश हुए. इससे पहले उन्हें हर सोमवार और गुरुवार को जांच अधिकारी के सामने पेश होना था. बता दें कि हाईकोर्ट ने कात्याल को 17 सितंबर को खराब स्वास्थ्य के आधार पर नियमित जमानत दी थी. जस्टिस नीना बंसल कृष्णा ने अमित कात्याल को दस लाख रुपये के मुचलके पर नियमित जमानत देने का आदेश दिया था. कोर्ट ने कहा था कि आरोपी का स्वास्थ्य बीमार और कमजोर की श्रेणी में आता है, ऐसे में मनी लाऊंड्रिंग कानून की धारा 45 के तहत उसे दोहरे टेस्ट को संतुष्ट करना जरूरी नहीं है.
बता दें कि 22 मई को राऊज एवेन्यू कोर्ट ने अमित कात्याल की जमानत याचिका खारिज कर दी थी. इस मामले में 9 जनवरी को ईडी ने चार्जशीट दाखिल की थी. ईडी ने चार्जशीट में बिहार की पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी, मीसा भारती, हिमा यादव, ह्रदयानंद चौधरी और अमित कात्याल को आरोपी बनाया है. ईडी ने अमित कात्याल को 11 नवंबर 2023 को गिरफ्तार किया था. लैंड फॉर जॉब मामले में ईडी के पहले सीबीआई ने केस दर्ज किया था. सीबीआई का मामला भी दिल्ली के राऊज एवेन्यू कोर्ट में ही चल रहा है.
ये भी पढ़ें: लालू प्रसाद यादव के खिलाफ चलेगा मुकदमा, गृह मंत्रालय से CBI को मिली मंजूरी
ईडी के मुताबिक कात्याल एके इंफोसिस्टम्स प्राईवेट लिमिटेड नामक कंपनी का डायरेक्टर था. इस कंपनी के जरिए कात्याल ने रेलवे के ग्रुप डी के विभिन्न अभ्यर्थियों से काफी कम रेट में जमीन लिए. ईडी के मुताबिक इन भूखंडों को बाद में लालू प्रसाद यादव के परिवार के सदस्यों के नाम कर दिए गए. लैंड फॉर जॉब घोटाला मामले में सीबीआई ने भोला यादव और हृदयानंद चौधरी को गिरफ्तार किया था. भोला यादव 2004 से 2009 तक लालू यादव के ओएसडी रहे थे.
लैंड फॉर जॉब घोटाला लालू यादव के रेल मंत्री रहने के दौरान का है. भोला यादव को ही इस घोटाले का मास्टरमाइंड माना जा रहा है. आरोप है कि लालू यादव के रेल मंत्री रहते नौकरी के बदले जमीन देने के लिए कहा जाता था. नौकरी के बदले जमीन देने के काम को अंजाम देने का काम भोला यादव को सौंपा गया था.