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तनावपूर्ण संबंधों के बीच विदेश मंत्री जयशंकर जाएंगे पाकिस्तान, दुनिया कर रही इंतजार

भारत के विदेश मंत्री डॉ. जयशंकर इस महीने के अंत में SCO शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए पाकिस्तान का दौरा करेंगे. पढ़ें ईटीवी भारत संवाददाता चंद्रकला चौधरी की रिपोर्ट.

विदेश मंत्री जयशंकर
विदेश मंत्री जयशंकर (ANI)
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Oct 8, 2024, 5:32 PM IST

नई दिल्ली: एक महत्वपूर्ण कूटनीतिक कदम उठाते हुए भारत के विदेश मंत्री डॉ. जयशंकर इस महीने के अंत में संघाई सहयोग संगठन (SCO) शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए पाकिस्तान का दौरा करेंगे, जो भारत-पाकिस्तान संबंधों में एक महत्वपूर्ण क्षण होगा. यह यात्रा दोनों देशों के बीच तनावपूर्ण संबंधों के बीच हो रही है, जिसने विशेष रूप से जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के बाद एक बदसूरत मोड़ ले लिया है.

यह यात्रा दोनों देशों के बीच तनावपूर्ण संबंधों की पृष्ठभूमि में हो रही है, जिसने जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 के निरस्त होने के बाद और भी बदतर रूप ले लिया. बहरहाल, भारतीय मंत्री की इस यात्रा पर पूरी दुनिया की निगाहें लगी हुई हैं और दोनों देशों के बीच तनावपूर्ण संबंधों के इतिहास को देखते हुए इस यात्रा ने सबका ध्यान खींचा है.

2015 में सुषमा स्वराज गई थी पाकिस्तान
दरअसल, यह नौ साल में किसी भारतीय विदेश मंत्री की पहली पाकिस्तान यात्रा होगी, इससे पहले सुषमा स्वराज ने 2015 में पाकिस्तान का दौरा किया था. हालांकि, जयशंकर की यात्रा द्विपक्षीय संबंधों को सुधारने के लिए नहीं बल्कि बहुपक्षीय एससीओ कार्यक्रम में भाग लेने के लिए है, जिसकी मेजबानी इस वर्ष पाकिस्तान कर रहा है.

इस बीच जयशंकर की पाकिस्तान यात्रा के भू-राजनीतिक निहितार्थों को लेकर कई अटकलें और चर्चाएं चल रही हैं, लेकिन विदेश मंत्री ने अपनी यात्रा का उद्देश्य स्पष्ट कर दिया है. नई दिल्ली में सरदार पटेल लेक्चर ऑन गवर्नेंस में बोलते हुए जयशंकर ने कहा कि उनकी यात्रा केवल एससीओ शिखर सम्मेलन के लिए है, न कि पाकिस्तान के साथ किसी द्विपक्षीय चर्चा के लिए.

प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व करेंगे जयशंकर
जयशंकर ने कहा, "मैं भारत-पाकिस्तान संबंधों पर चर्चा करने के लिए वहां नहीं जा रहा हूं. मैं एससीओ का एक अच्छा सदस्य के नाते वहां जा रहा हूं." पिछले सप्ताह शुक्रवार को विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने इस बात की पुष्टि करते हुए इस बात को स्पष्ट किया कि विदेश मंत्री जयशंकर 15 और 16 अक्टूबर को इस्लामाबाद में होने वाले एससीओ शिखर सम्मेलन के लिए एक प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व करेंगे.

भारत और पाकिस्तान के बीच तीखी नोकझोंक
पिछले महीने न्यूयॉर्क में UNGA के 79वें सत्र में भारत और पाकिस्तान के बीच तीखी नोकझोंक हुई थी. विदेश मंत्री डॉ जयशंकर ने पाकिस्तान की आलोचना करते हुए कहा था कि यह एक ऐसा निकम्मा देश है, जो दूसरों की जमीन पर कब्जा करना चाहता है', क्योंकि पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने एक बार फिर यूएन में कश्मीर मुद्दे को उठाने का मौका नहीं छोड़ा था.

विदेश मंत्री जयशंकर ने कहा, "दूसरों की जमीन पर कब्जा करने वाले एक निष्क्रिय राष्ट्र को बेनकाब किया जाना चाहिए और उसका मुकाबला किया जाना चाहिए. हमने कल इस मंच पर कुछ विचित्र बातें सुनीं. इसलिए मैं भारत की स्थिति को पूरी तरह से स्पष्ट कर दूं".

यूएनजीए में अपने भाषण में, पाकिस्तान के प्रधानमंत्री ने भारत से स्थायी शांति सुनिश्चित करने के लिए अनुच्छेद 370 को हटाने के फैसले को वापस लेने का आग्रह किया. उन्होंने भारत से संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा प्रस्तावों और कश्मीरी लोगों की इच्छाओं के अनुसार जम्मू और कश्मीर मुद्दे के शांतिपूर्ण समाधान के लिए बातचीत करने का आग्रह किया.

यह भी पढ़ें- इजरायल पर हमले के बाद जयशंकर बोले- संघर्ष के बढ़ने की संभावना से भारत चिंतित, इजरायल को हरसंभव समर्थन

नई दिल्ली: एक महत्वपूर्ण कूटनीतिक कदम उठाते हुए भारत के विदेश मंत्री डॉ. जयशंकर इस महीने के अंत में संघाई सहयोग संगठन (SCO) शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए पाकिस्तान का दौरा करेंगे, जो भारत-पाकिस्तान संबंधों में एक महत्वपूर्ण क्षण होगा. यह यात्रा दोनों देशों के बीच तनावपूर्ण संबंधों के बीच हो रही है, जिसने विशेष रूप से जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के बाद एक बदसूरत मोड़ ले लिया है.

यह यात्रा दोनों देशों के बीच तनावपूर्ण संबंधों की पृष्ठभूमि में हो रही है, जिसने जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 के निरस्त होने के बाद और भी बदतर रूप ले लिया. बहरहाल, भारतीय मंत्री की इस यात्रा पर पूरी दुनिया की निगाहें लगी हुई हैं और दोनों देशों के बीच तनावपूर्ण संबंधों के इतिहास को देखते हुए इस यात्रा ने सबका ध्यान खींचा है.

2015 में सुषमा स्वराज गई थी पाकिस्तान
दरअसल, यह नौ साल में किसी भारतीय विदेश मंत्री की पहली पाकिस्तान यात्रा होगी, इससे पहले सुषमा स्वराज ने 2015 में पाकिस्तान का दौरा किया था. हालांकि, जयशंकर की यात्रा द्विपक्षीय संबंधों को सुधारने के लिए नहीं बल्कि बहुपक्षीय एससीओ कार्यक्रम में भाग लेने के लिए है, जिसकी मेजबानी इस वर्ष पाकिस्तान कर रहा है.

इस बीच जयशंकर की पाकिस्तान यात्रा के भू-राजनीतिक निहितार्थों को लेकर कई अटकलें और चर्चाएं चल रही हैं, लेकिन विदेश मंत्री ने अपनी यात्रा का उद्देश्य स्पष्ट कर दिया है. नई दिल्ली में सरदार पटेल लेक्चर ऑन गवर्नेंस में बोलते हुए जयशंकर ने कहा कि उनकी यात्रा केवल एससीओ शिखर सम्मेलन के लिए है, न कि पाकिस्तान के साथ किसी द्विपक्षीय चर्चा के लिए.

प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व करेंगे जयशंकर
जयशंकर ने कहा, "मैं भारत-पाकिस्तान संबंधों पर चर्चा करने के लिए वहां नहीं जा रहा हूं. मैं एससीओ का एक अच्छा सदस्य के नाते वहां जा रहा हूं." पिछले सप्ताह शुक्रवार को विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने इस बात की पुष्टि करते हुए इस बात को स्पष्ट किया कि विदेश मंत्री जयशंकर 15 और 16 अक्टूबर को इस्लामाबाद में होने वाले एससीओ शिखर सम्मेलन के लिए एक प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व करेंगे.

भारत और पाकिस्तान के बीच तीखी नोकझोंक
पिछले महीने न्यूयॉर्क में UNGA के 79वें सत्र में भारत और पाकिस्तान के बीच तीखी नोकझोंक हुई थी. विदेश मंत्री डॉ जयशंकर ने पाकिस्तान की आलोचना करते हुए कहा था कि यह एक ऐसा निकम्मा देश है, जो दूसरों की जमीन पर कब्जा करना चाहता है', क्योंकि पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने एक बार फिर यूएन में कश्मीर मुद्दे को उठाने का मौका नहीं छोड़ा था.

विदेश मंत्री जयशंकर ने कहा, "दूसरों की जमीन पर कब्जा करने वाले एक निष्क्रिय राष्ट्र को बेनकाब किया जाना चाहिए और उसका मुकाबला किया जाना चाहिए. हमने कल इस मंच पर कुछ विचित्र बातें सुनीं. इसलिए मैं भारत की स्थिति को पूरी तरह से स्पष्ट कर दूं".

यूएनजीए में अपने भाषण में, पाकिस्तान के प्रधानमंत्री ने भारत से स्थायी शांति सुनिश्चित करने के लिए अनुच्छेद 370 को हटाने के फैसले को वापस लेने का आग्रह किया. उन्होंने भारत से संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा प्रस्तावों और कश्मीरी लोगों की इच्छाओं के अनुसार जम्मू और कश्मीर मुद्दे के शांतिपूर्ण समाधान के लिए बातचीत करने का आग्रह किया.

यह भी पढ़ें- इजरायल पर हमले के बाद जयशंकर बोले- संघर्ष के बढ़ने की संभावना से भारत चिंतित, इजरायल को हरसंभव समर्थन

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