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दिल्ली के एक्यूआई को लेकर सारे भ्रम हो जाएंगे दूर, एक्सपर्ट से समझिए पूरा मामला - EXPERT SUGGESTION ON AQI OF DELHI

दिल्ली के एक्यूआई को लेकर अलग -अलग ऐजेसिंयो द्वारा दिए आंकड़ों से भ्रम फैल रहा है इसको लेकर ईटीवी भारत ने की एक्सपर्ट से बातचीत.

सीपीसीबी के बोर्ड मेंबर डॉ अनिल कुमार गुप्ता से खास बातचीत
सीपीसीबी के बोर्ड मेंबर डॉ अनिल कुमार गुप्ता से खास बातचीत (ETV BHARAT)
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By ETV Bharat Delhi Team

Published : Nov 20, 2024, 4:58 PM IST

नई दिल्ली: देश में प्रदूषण की निगरानी सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड (सीपीसीबी) द्वारा किया जाता है. सीपीसीबी एयर क्वालिटी इंडेक्स (एक्यूआई) को 500 तक नापता है. लेकिन आईक्यू एयर जैसे विदेशी संस्थाएं 1200 से अधिक तक एक्यूआई नापती हैं. ऐसे में लोग कंफ्यूज हो जाते हैं कि असल में दिल्ली का एक्यूआई क्या है. इस पर ईटीवी भारत के संवाददाता ने सीपीसीबी के बोर्ड मेंबर डॉ अनिल कुमार गुप्ता से बात की. उन्होंने बताया कि सीपीसीबी 8 पैरामीटर पर एक्यूआई तैयार करता है. जो अधिकतम 500 तक एक्यूआई आता है, लेकिन विदेश की अन्य संस्थाएं सिर्फ पीएम 2.5 या पीएम 10 के आधार पर रिपोर्ट तैयार करती हैं. जिसके अनुसार एक्यूआई बहुत ज्यादा आता है. प्रस्तुत है डॉ. अनिल कुमार गुप्ता से बातचीत का प्रमुख अंश...

इस तरह एक्यूआई तैयार करता है सीपीसीबी: सीपीसीबी के बोर्ड मेंबर डॉ. अनिल कुमार गुप्ता ने बताया कि जो एयर क्वालिटी इंडेक्स (एक्यूआई) में 8 पैरामीटर लिया जाता है. जिसमें सल्फर, नाइट्रोजन डाइऑक्साइड, अमोनिया, कार्बन डाइऑक्साइड, कार्बन मोनोऑक्साइड, ओजोन, पीएम 2.5 और पीएम 10 की मात्रा को सेंसर के जरिए नापा जाता है. इनके आधार पर एक्यूआई बनाया जाता है. पीएम 2.5 और पीएम 10 की मात्रा सर्दियों में बढ़ जाती है. वीभिन्न संस्थाएं पीएम 2.5 के आधार पर 500 से अधिक मानक तक मापती हैं. जिससे अएक्यूआई अधिक आता है. सीपीसीबी के पास भी अत्याधुनिक मशीनें हैं. आठ पैरामीटर में से जिसका कैलकुलेशन अधिकतम आएगा उसी को एयर क्वालिटी इंडेक्स मान लिया जाता है. पीएम 2.5 सबसे अधिक खतरनाक है और आज दिल्ली में पीएम 2.5 की मात्रा 1000 से अधिक बनी हुई है.

सीपीसीबी के बोर्ड मेंबर डॉ अनिल कुमार गुप्ता से खास बातचीत (ETV BHARAT)

प्रदूषण के कारकों पर काम करने की जरूरत : सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड और दिल्ली पॉल्यूशन कंट्रोल कमिटी, प्रदूषण की रोकथाम के लिए तमाम प्रयास कर रहे हैं. इसके बावजूद भी प्रदूषण के स्तर में कमी नहीं आ रही है. इस पर अनिल कुमार गुप्ता ने कहा कि दोनों एजेंसियां प्रदूषण की रोकथाम के लिए नियम बनाती हैं. नियमों के इंप्लीमेंटेशन का काम सरकार का होता है. सोर्स ऑफ पॉल्यूशन पर काम नहीं होता है, जिसकी वजह से प्रदूषण की जो समस्या है वह खत्म नहीं होगी. सरकार और नागरिकों को प्रदूषण के मुख्य कारकों पर काम करना पड़ेगा.

इन चीजों पर काम करने से मिलेगी प्रदूषण से मुक्ति
इन चीजों पर काम करने से मिलेगी प्रदूषण से मुक्ति (ETV BHARAT)

अगले साल भी प्रदूषण की यही स्थिति होगी: डॉ. अनिल कुमार गुप्ता ने कहा कि जब तक प्रदूषण के सोर्स पर काम नहीं होगा, तब तक यही स्थिति होगी. दिल्ली सरकार ने प्रदूषण सोर्स को खत्म करने के लिए कोई काम नहीं किया. दिल्ली एनसीआर या देश में एनवायरमेंटल प्लान नहीं है. जबकि यह सबसे ज्यादा जरूरी है. हर इंसान को शुद्ध हवा शुद्ध खान और शुद्ध पानी चाहिए. आज यमुना की स्थिति बहुत खराब हो चुकी है. दिल्ली में लोगों को शुद्ध हवा और पानी नहीं मिल रहा है. अभी लोगों को जल और वायु प्रदूषण से संबंधित बीमारियों का पता नहीं चल रहा है लेकिन आने वाले समय में लोगों के अंदर बीमारी बनकर आएगी.

नवंबर  2024 में दिल्ली का एयर क्वालिटी इंडेक्स
नवंबर 2024 में दिल्ली का एयर क्वालिटी इंडेक्स (ETV BHARAT)

दिल्ली एनसीआर में सिर्फ मानव जनित प्रदूषण का कहर : अनिल कुमार गुप्ता ने कहा कि प्रदूषण दो तरीके का होता है. एक तो मानव जनित और दूसरा प्राकृतिक. आंधी तूफान आदि प्राकृतिक प्रदूषण पैदा करते हैं. दिल्ली एनसीआर में प्राकृतिक प्रदूषण बहुत कम है. दिल्ली में 3 करोड़ से अधिक आबादी है बड़ी संख्या में कार्बन डाइऑक्साइड छोड़ते हैं. दिल्ली का 1450 किलोमीटर स्क्वायर का एरिया है. यहां से हवा बाहर निकल ही नहीं पाती है. पंजाब और हरियाणा में पराली जलाने की घटनाएं कम नहीं हो रही हैं. सीपीसीबी ने अपने फंड से सरकारों को मशीन दी है, लेकिन काम तो सरकारों को ही करना पड़ेगा.

सीपीसीबी के अनुसार एक्यूआई का मानक
सीपीसीबी के अनुसार एक्यूआई का मानक (ETV BHARAT)

दिल्ली एनसीआर के लोगों को स्वच्छ हवाओं में सांस लेने का मौका नहीं मिलता: डॉक्टर का कहना है कि दिल्ली एनसीआर के लोगों को स्वच्छ हवा में सांस लेने का मौका ही नहीं मिलता है. स्वच्छ हवा का मतलब यह होता है कि जब एयर क्वालिटी इंडेक्स 50 से कम हो. यदि गर्मियों के दिनों में एयर क्वालिटी इंडेक्स 50 होगा तभी सर्दियों के दिनों में एयर क्वालिटी इंडेक्स 200 तक ला सकेंगे. लेकिन गर्मियों के दिनों में दिल्ली का एयर क्वालिटी इंडेक्स 200 से अधिक रहता है. इससे साफ है कि सर्दियों के दिनों में दिल्ली का एयर क्वालिटी इंडेक्स 500 से अधिक जाएगा. इसे साफ जाहिर है कि पूरे साल पर्यावरण को लेकर काम करने की जरूरत है.

नवंबर  2024 में दिल्ली का एयर क्वालिटी इंडेक्स
नवंबर 2024 में दिल्ली का एयर क्वालिटी इंडेक्स (ETV BHARAT)

क्लाउड सीडिंग से भी प्रदूषण से स्थाई समाधान नहीं : दिल्ली सरकार दिल्ली में प्रदूषण की रोकथाम के लिए क्लाउड सीडिंग यानी कृत्रिम वर्षा करने की बात कर रही है, लेकिन डॉक्टर अनिल कुमार गुप्ता का कहना है कि दिल्ली का कुल क्षेत्रफल 1450 स्क्वायर किलोमीटर में क्लाउड सीडिंग हो पाएगी और कितनी देर तक हो पाएगी. कुछ देर कृत्रिम वर्षा हो सकती है इसके बाद फिर से वही स्थिति हो जाएगी. दिल्ली सरकार हॉटस्पॉट पर ड्रोन से पानी छिड़काव कर रही है. जबकि इससे और प्रदूषण फैलेगा क्योंकि ड्रोन के हवाले से धूल उड़ेगी. आज दिल्ली में पर्यावरण की रोकथाम के लिए वह लोग काम कर रहे हैं, जिनको पर्यावरण के बारे में कुछ विशेष जानकारी नहीं है.

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नई दिल्ली: देश में प्रदूषण की निगरानी सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड (सीपीसीबी) द्वारा किया जाता है. सीपीसीबी एयर क्वालिटी इंडेक्स (एक्यूआई) को 500 तक नापता है. लेकिन आईक्यू एयर जैसे विदेशी संस्थाएं 1200 से अधिक तक एक्यूआई नापती हैं. ऐसे में लोग कंफ्यूज हो जाते हैं कि असल में दिल्ली का एक्यूआई क्या है. इस पर ईटीवी भारत के संवाददाता ने सीपीसीबी के बोर्ड मेंबर डॉ अनिल कुमार गुप्ता से बात की. उन्होंने बताया कि सीपीसीबी 8 पैरामीटर पर एक्यूआई तैयार करता है. जो अधिकतम 500 तक एक्यूआई आता है, लेकिन विदेश की अन्य संस्थाएं सिर्फ पीएम 2.5 या पीएम 10 के आधार पर रिपोर्ट तैयार करती हैं. जिसके अनुसार एक्यूआई बहुत ज्यादा आता है. प्रस्तुत है डॉ. अनिल कुमार गुप्ता से बातचीत का प्रमुख अंश...

इस तरह एक्यूआई तैयार करता है सीपीसीबी: सीपीसीबी के बोर्ड मेंबर डॉ. अनिल कुमार गुप्ता ने बताया कि जो एयर क्वालिटी इंडेक्स (एक्यूआई) में 8 पैरामीटर लिया जाता है. जिसमें सल्फर, नाइट्रोजन डाइऑक्साइड, अमोनिया, कार्बन डाइऑक्साइड, कार्बन मोनोऑक्साइड, ओजोन, पीएम 2.5 और पीएम 10 की मात्रा को सेंसर के जरिए नापा जाता है. इनके आधार पर एक्यूआई बनाया जाता है. पीएम 2.5 और पीएम 10 की मात्रा सर्दियों में बढ़ जाती है. वीभिन्न संस्थाएं पीएम 2.5 के आधार पर 500 से अधिक मानक तक मापती हैं. जिससे अएक्यूआई अधिक आता है. सीपीसीबी के पास भी अत्याधुनिक मशीनें हैं. आठ पैरामीटर में से जिसका कैलकुलेशन अधिकतम आएगा उसी को एयर क्वालिटी इंडेक्स मान लिया जाता है. पीएम 2.5 सबसे अधिक खतरनाक है और आज दिल्ली में पीएम 2.5 की मात्रा 1000 से अधिक बनी हुई है.

सीपीसीबी के बोर्ड मेंबर डॉ अनिल कुमार गुप्ता से खास बातचीत (ETV BHARAT)

प्रदूषण के कारकों पर काम करने की जरूरत : सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड और दिल्ली पॉल्यूशन कंट्रोल कमिटी, प्रदूषण की रोकथाम के लिए तमाम प्रयास कर रहे हैं. इसके बावजूद भी प्रदूषण के स्तर में कमी नहीं आ रही है. इस पर अनिल कुमार गुप्ता ने कहा कि दोनों एजेंसियां प्रदूषण की रोकथाम के लिए नियम बनाती हैं. नियमों के इंप्लीमेंटेशन का काम सरकार का होता है. सोर्स ऑफ पॉल्यूशन पर काम नहीं होता है, जिसकी वजह से प्रदूषण की जो समस्या है वह खत्म नहीं होगी. सरकार और नागरिकों को प्रदूषण के मुख्य कारकों पर काम करना पड़ेगा.

इन चीजों पर काम करने से मिलेगी प्रदूषण से मुक्ति
इन चीजों पर काम करने से मिलेगी प्रदूषण से मुक्ति (ETV BHARAT)

अगले साल भी प्रदूषण की यही स्थिति होगी: डॉ. अनिल कुमार गुप्ता ने कहा कि जब तक प्रदूषण के सोर्स पर काम नहीं होगा, तब तक यही स्थिति होगी. दिल्ली सरकार ने प्रदूषण सोर्स को खत्म करने के लिए कोई काम नहीं किया. दिल्ली एनसीआर या देश में एनवायरमेंटल प्लान नहीं है. जबकि यह सबसे ज्यादा जरूरी है. हर इंसान को शुद्ध हवा शुद्ध खान और शुद्ध पानी चाहिए. आज यमुना की स्थिति बहुत खराब हो चुकी है. दिल्ली में लोगों को शुद्ध हवा और पानी नहीं मिल रहा है. अभी लोगों को जल और वायु प्रदूषण से संबंधित बीमारियों का पता नहीं चल रहा है लेकिन आने वाले समय में लोगों के अंदर बीमारी बनकर आएगी.

नवंबर  2024 में दिल्ली का एयर क्वालिटी इंडेक्स
नवंबर 2024 में दिल्ली का एयर क्वालिटी इंडेक्स (ETV BHARAT)

दिल्ली एनसीआर में सिर्फ मानव जनित प्रदूषण का कहर : अनिल कुमार गुप्ता ने कहा कि प्रदूषण दो तरीके का होता है. एक तो मानव जनित और दूसरा प्राकृतिक. आंधी तूफान आदि प्राकृतिक प्रदूषण पैदा करते हैं. दिल्ली एनसीआर में प्राकृतिक प्रदूषण बहुत कम है. दिल्ली में 3 करोड़ से अधिक आबादी है बड़ी संख्या में कार्बन डाइऑक्साइड छोड़ते हैं. दिल्ली का 1450 किलोमीटर स्क्वायर का एरिया है. यहां से हवा बाहर निकल ही नहीं पाती है. पंजाब और हरियाणा में पराली जलाने की घटनाएं कम नहीं हो रही हैं. सीपीसीबी ने अपने फंड से सरकारों को मशीन दी है, लेकिन काम तो सरकारों को ही करना पड़ेगा.

सीपीसीबी के अनुसार एक्यूआई का मानक
सीपीसीबी के अनुसार एक्यूआई का मानक (ETV BHARAT)

दिल्ली एनसीआर के लोगों को स्वच्छ हवाओं में सांस लेने का मौका नहीं मिलता: डॉक्टर का कहना है कि दिल्ली एनसीआर के लोगों को स्वच्छ हवा में सांस लेने का मौका ही नहीं मिलता है. स्वच्छ हवा का मतलब यह होता है कि जब एयर क्वालिटी इंडेक्स 50 से कम हो. यदि गर्मियों के दिनों में एयर क्वालिटी इंडेक्स 50 होगा तभी सर्दियों के दिनों में एयर क्वालिटी इंडेक्स 200 तक ला सकेंगे. लेकिन गर्मियों के दिनों में दिल्ली का एयर क्वालिटी इंडेक्स 200 से अधिक रहता है. इससे साफ है कि सर्दियों के दिनों में दिल्ली का एयर क्वालिटी इंडेक्स 500 से अधिक जाएगा. इसे साफ जाहिर है कि पूरे साल पर्यावरण को लेकर काम करने की जरूरत है.

नवंबर  2024 में दिल्ली का एयर क्वालिटी इंडेक्स
नवंबर 2024 में दिल्ली का एयर क्वालिटी इंडेक्स (ETV BHARAT)

क्लाउड सीडिंग से भी प्रदूषण से स्थाई समाधान नहीं : दिल्ली सरकार दिल्ली में प्रदूषण की रोकथाम के लिए क्लाउड सीडिंग यानी कृत्रिम वर्षा करने की बात कर रही है, लेकिन डॉक्टर अनिल कुमार गुप्ता का कहना है कि दिल्ली का कुल क्षेत्रफल 1450 स्क्वायर किलोमीटर में क्लाउड सीडिंग हो पाएगी और कितनी देर तक हो पाएगी. कुछ देर कृत्रिम वर्षा हो सकती है इसके बाद फिर से वही स्थिति हो जाएगी. दिल्ली सरकार हॉटस्पॉट पर ड्रोन से पानी छिड़काव कर रही है. जबकि इससे और प्रदूषण फैलेगा क्योंकि ड्रोन के हवाले से धूल उड़ेगी. आज दिल्ली में पर्यावरण की रोकथाम के लिए वह लोग काम कर रहे हैं, जिनको पर्यावरण के बारे में कुछ विशेष जानकारी नहीं है.

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