वाराणसी : UPSC-2023 का रिजल्ट जारी कर दिया है. इस परीक्षा में कुल 1143 अभ्यर्थियों को सफल घोषित किया गया है. पूर्वांचल के जिलों की बात करें तो एसे कई अभ्यर्थी हैं, जिन्होंने इस परीक्षा को क्रैक किया है. इनमें कई बनारस के रहने वाले हैं. इन्हीं में से एक नाम है आकांक्षा सिंह का. आकांक्षा ने UPSC परीक्षा में ऑल इंडिया 44वीं रैंक हासिल की है. उनके पिता भी बिहार और झारखंड कैडर में प्रशासनिक सेवा में कार्यरत रहे हैं. आकांक्षा कहती हैं कि उन्होंने अपने पिता को देखते हुए सीखा और इस परीक्षा की तैयारी की है.
कुल 1143 अभ्यर्थियों में से 180 अभ्यर्थी आईएएस अफसर बनेंगे. वहीं पूर्वांचल से टॉप 200 में आकांक्षा सिंह ने 44वां स्थान प्राप्त किया है. वह मौजूदा समय में झारखंड में असिस्टेंट प्रोफेसर के पद पर कार्यरत हैं. इससे पहले उन्होंने अपनी पढ़ाई उत्तर प्रदेश से बाहर रहकर पूरी की है. जेएनयू से पढ़ाई करते समय उन्होंने इस परीक्षा में शामिल होने का फैसला लिया था.
वीडीए कॉलोनी में रहता है परिवार
बिहार कैडर के पूर्व पीसीएस अधिकारी और झारखंड कैडर से रिटायर्ड ज्वाइंट सेक्रेटरी चंद्र कुमार सिंह वर्तमान में वाराणसी की वीडीए कॉलोनी में रहते हैं. आकांक्षा की माता गृहणी हैं. स्कूलिंग राजेंद्र विद्यालय जमशेदपुर से हुई है. 12वीं की पढ़ाई वहीं से की है. उसके बाद ग्रेजुएशन बीए ऑनर्स जियोग्राफी मिरांडा हाउस दिल्ली विश्वविद्यालय से किया.
खुद पर भरोसा और फेल होने पर सीखना
आकांक्षा बताती हैं कि जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय दिल्ली से भूगोल में मास्टर डिग्री और एमफिल किया. पीएचडी चल रही है. इस समय वह रांची विश्वविद्यालय में असिस्टेंट प्रोफेसर के पद पर कार्यरत हैं. आकांक्षा सिंह कहती हैं कि फिलहाल जब तक ट्रेनिंग की बात नहीं शुरू होती है, मैं यहां आउंगी और बच्चों को पढ़ाऊंगी. पूरा कॉलेज और बच्चे भी खुश हैं. सिविल सेवा परीक्षा को लोग काफी कठिन मानते हैं. ऐसे में किस तरीके से इससे सामना करना चाहिए? इस पर वे कहती हैं कि खुद पर भरोसा और फेल होने से सीखना सबसे अधिक जरूरी होता है, क्योकिं यह एक यात्रा होती है. जैसे-जैसे अटेम्प्ट बढ़ते हैं वैसे-वैसे ही लोगों का भरोसा आप से उठने लगता है.
पांचवें प्रयास में मिली सफलता
आकांक्षा कहती हैं, जरूरी होता है खुद पर भरोसा बनाए रखना और तैयारी करते रहना. अपनी सफलता को लेकर आकांक्षा ने बताया कि यह मेरा पांचवां प्रयास था. इसमें पहली बार प्रिलिम्स और इंटरव्यू क्लियर किया है. मेरे अंदर इसको लेकर थोड़ा था आत्मविश्वास भी था. प्रिलिम्स को समझने में थोड़ा समय लग गया. इसके लिए मेरी प्रेरणा मेरे पिता हैं. वे बिहार प्रशासनिक सेवा में थे फिर झारखंड आए. इसके बाद उन्होंने झारखंड प्रशासनिक सेवा में काम किया. मेरे मामा के क्वालिफाई करने के बाद ही मैंने इस परीक्षा को क्वालिफाई करने का सोचा था. आकांक्षा के पिता चंद्र कुमार सिंह ने बताया कि आकांक्षा की सफलता से परिवार में खुशी का माहौल है.