नई दिल्ली: पश्चिम बंगाल जूनियर डॉक्टर फ्रंट के बैनर तले भूख हड़ताल पर बैठे जूनियर डॉक्टरों के समर्थन में एम्स रेजिडेंट डॉक्टर एसोसिएशन (आरडीए) ने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को पत्र लिखा. आरडीए एम्स की ओर से ममता बनर्जी को लिखे पत्र में कहा गया है कि अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के आरडीए, जो देश में रेजिडेंट डॉक्टरों का प्रतिनिधित्व करने वाले सबसे पुराने और सबसे बड़े संघों में से एक है. पश्चिम बंगाल में जूनियर डॉक्टरों से जुड़ी मौजूदा स्थिति पर गहरी चिंता व्यक्त करती है.
आरडीए ने जूनियर डॉक्टरों की भूख हड़ताल पर चिंता जताते हुए ममता बनर्जी से कहा कि उनकी मांगों पर तत्काल विचार किया जाए. अगर भूख हड़ताल पर बैठे डॉक्टरों को कोई और नुकसान हुआ या यदि 14 अक्टूबर 2024 तक उनकी मांगें नहीं पूरी हुई तो इस प्रदर्शन को और तेज करने के अलावा कोई विकल्प नहीं होगा. उम्मीद है कि सरकार ऐसे कदम को रोकने के लिए समय रहते कार्रवाई करेगी, जिसमें देशव्यापी आंदोलन शामिल होगा.
डॉक्टरों का बिगड़ता स्वास्थ्य गंभीर मामला: आरडीए के पत्र में लिखा कि, "पश्चिम बंगाल जूनियर डॉक्टर्स फ्रंट (WBJDF) के सदस्यों द्वारा की गई अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल गंभीर मुद्दों को उजागर करती है, जिन पर तत्काल ध्यान देने की आवश्यकता है. हम अपने उन सहयोगियों के साथ एकजुटता में खड़े हैं'' पत्र में आगे लिखा गया कि इन जूनियर डॉक्टरों का बिगड़ता स्वास्थ्य गंभीर चिंता का विषय है. आपसे अनुरोध करते हैं कि आप स्थिति की तात्कालिकता को पहचानें और उनकी वैध शिकायतों को दूर करने के लिए रचनात्मक बातचीत में शामिल हों.
स्वास्थ्य सेवा प्रणाली होगी मजबूत: डॉ. अभया की दुखद मृत्यु और उसके बाद न्याय की मांग सहित दुर्भाग्यपूर्ण घटनाओं ने पूरे देश में चिकित्सा समुदाय के भीतर गहरी प्रतिक्रिया व्यक्त की है. उनकी मांगें, जिनकी सावधानीपूर्वक समीक्षा की है, उचित हैं. आपके सम्मानित कार्यालय से त्वरित और निर्णायक कार्रवाई के माध्यम से इसे पूरी की जा सकती हैं." हमारा मानना है कि इन चिंताओं का समाधान करने से न केवल डॉक्टरों का कल्याण होगा, बल्कि पश्चिम बंगाल में स्वास्थ्य सेवा प्रणाली भी मजबूत होगी. इससे दक्षिण पश्चिम बंगाल के लोगों को बेहतर सेवाएं मिल सकेंगी.
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