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जहरीली शराब मामले को लेकर अन्नाद्रमुक ने की भूख हड़ताल, सीबीआई जांच की मांग - Tamil Nadu Illicit Liquor Case

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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Jun 27, 2024, 6:02 PM IST

तमिलनाडु में जहरीली शराब से हुई 60 से ज्यादा लोगों मौत के बाद राजनीतिक हलकों में कोहराम मचा हुआ है. इसे लेकर एआईएडीएमके महासचिव एडप्पादी के पलानीस्वामी और पार्टी विधायकों ने इस मामले में सीबीआई जांच की मांग को लेकर भूख हड़ताल की.

Demand for CBI investigation in poisonous liquor case
जहरीली शराब मामले में सीबीआई जांच की मांग (फोटो - ETV Bharat Tamil Nadu Desk)

चेन्नई: एआईएडीएमके महासचिव एडप्पादी के पलानीस्वामी और पार्टी विधायकों तथा पार्टी कार्यकर्ताओं ने गुरुवार को यहां कल्लाकुरिची शराब त्रासदी की सीबीआई जांच की मांग को लेकर भूख हड़ताल की. डीएमडीके प्रमुख प्रेमलता विजयकांत ने कार्यक्रम स्थल का दौरा किया और विरोध प्रदर्शन को अपनी पार्टी का समर्थन दिया.

काली शर्ट पहने एआईएडीएमके विधायकों, जिन्हें कार्यवाही में बाधा डालने के लिए चल रहे विधानसभा सत्र से निलंबित कर दिया गया है, उन्होंने सुबह 9 बजे राजरथिनम स्टेडियम में अपना उपवास शुरू किया. मुख्य विपक्षी दल के अनुसार, यह उपवास राज्य विधानसभा में इस मुद्दे को उठाने की 'अनुमति न दिए जाने' की निंदा करने के लिए भी है.

पलानीस्वामी ने एक्स पर एक पोस्ट में मुख्यमंत्री एमके स्टालिन के इस्तीफे की मांग की और दोहराया कि जहरीली शराब से हुई मौतों की जांच केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) से कराई जानी चाहिए. उन्होंने पूछा कि जब मौतें '60 से अधिक हो गई हैं', तो स्टालिन ने अब तक कल्लाकुरिची का दौरा क्यों नहीं किया है.

उन्होंने विधानसभा में इस मुद्दे पर ईमानदारी से चर्चा करने के लिए मुख्यमंत्री की 'अनिच्छा' की भी आलोचना की. अनशन स्थल पर पत्रकारों से बात करते हुए प्रेमलता विजयकांत ने एआईएडीएमके की सीबीआई जांच की मांग का समर्थन किया और यह भी मांग की कि न्याय के लिए मद्य निषेध एवं आबकारी मंत्री एस मुथुसामी अपने पद से इस्तीफा दें.

उन्होंने आरोप लगाया कि पुलिस ने एआईएडीएमके नेताओं को 'भाषण देने' (सार्वजनिक संबोधन प्रणाली का उपयोग करके) की अनुमति नहीं दी है और 'दमन' की निंदा की है. जहरीली शराब त्रासदी से संबंधित तथ्य तभी सामने आएंगे, जब सीबीआई मामले की जांच करेगी और एआईएडीएमके और उनकी पार्टी डीएमडीके दोनों इस रुख पर अडिग हैं.

उन्होंने आरोप लगाया कि 'सत्तारूढ़ पार्टी के लोगों ने अवैध शराब बनाने में मदद की.' AIADMK विधायकों के निलंबन की निंदा करते हुए, उन्होंने मांग की कि सरकार विपक्षी पार्टी के सदस्यों द्वारा उल्लंघन किए गए मानदंडों को स्पष्ट करे. उन्होंने पूछा कि 'कल्लाकुरिची त्रासदी पर विधानसभा के अलावा और कहां चर्चा हो सकती है.'

विपक्ष के नेता अन्नान (बड़े भाई) एडप्पादी पलानीस्वामी और एआईएडीएमके सदस्यों को इस मामले को उठाने की अनुमति नहीं दी गई और उन्होंने पूछा कि क्या यह उचित है. 'विधानसभा केवल लोगों की समस्याओं पर चर्चा करने के लिए है. सदन करदाताओं के पैसे से चलता है.'

विपक्ष के नेता राहुल गांधी की लोकसभा में की गई टिप्पणी का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि उन्हें पूरा भरोसा है कि आप (अध्यक्ष) हमें अपनी आवाज उठाने, बोलने और भारत के लोगों की आवाज उठाने की अनुमति देंगे. उन्होंने डीएमके सांसदों के इस बात के समर्थन का भी जिक्र किया और पूछा कि संसद के लिए एक तरह का नियम और राज्य विधानसभा के लिए दूसरा नियम कैसे हो सकता है.

उन्होंने आरोप लगाया कि डीएमके सरकार ने विपक्ष को राज्य विधानसभा में मुद्दे उठाने की अनुमति नहीं दी, लेकिन संसद में विपक्ष की आवाज सुनी जानी चाहिए. उन्होंने दावा किया कि 'इतिहास कहेगा कि यह डीएमके ही है (जब वह विपक्ष में थी) जिसने सबसे अधिक वाकआउट किए और सदन की कार्यवाही नहीं चलने दी.'

उन्होंने मुख्यमंत्री स्टालिन के इस आरोप को खारिज कर दिया कि AIADMK ने प्रचार के लिए कार्यवाही बाधित की. पिछली AIADMK सरकार के दौरान, जिस तरह से स्टालिन ने 'फटी हुई शर्ट' दिखाई थी (2017 में, जब पलानीस्वामी के नेतृत्व वाली सरकार ने हंगामे के बीच विश्वास मत जीता था) वह प्रचार की पराकाष्ठा थी.

AIADMK को किसी नए प्रचार की जरूरत नहीं है, यह 50 साल से भी ज्यादा पुरानी पार्टी है जिसने दशकों तक राज्य पर शासन किया है. रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया के नेता सी के तमिलारासन भी भूख हड़ताल स्थल पर पहुंचे और समर्थन दिया. पलानीस्वामी ने बुधवार को कहा था कि शराब त्रासदी पर 'ईमानदारी से बहस करने से इनकार करना', जिसमें कथित तौर पर 60 से अधिक लोग मारे गए हैं, और AIADMK विधायकों को बाहर निकालना और निलंबित करना लोकतंत्र के खिलाफ है.

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चेन्नई: एआईएडीएमके महासचिव एडप्पादी के पलानीस्वामी और पार्टी विधायकों तथा पार्टी कार्यकर्ताओं ने गुरुवार को यहां कल्लाकुरिची शराब त्रासदी की सीबीआई जांच की मांग को लेकर भूख हड़ताल की. डीएमडीके प्रमुख प्रेमलता विजयकांत ने कार्यक्रम स्थल का दौरा किया और विरोध प्रदर्शन को अपनी पार्टी का समर्थन दिया.

काली शर्ट पहने एआईएडीएमके विधायकों, जिन्हें कार्यवाही में बाधा डालने के लिए चल रहे विधानसभा सत्र से निलंबित कर दिया गया है, उन्होंने सुबह 9 बजे राजरथिनम स्टेडियम में अपना उपवास शुरू किया. मुख्य विपक्षी दल के अनुसार, यह उपवास राज्य विधानसभा में इस मुद्दे को उठाने की 'अनुमति न दिए जाने' की निंदा करने के लिए भी है.

पलानीस्वामी ने एक्स पर एक पोस्ट में मुख्यमंत्री एमके स्टालिन के इस्तीफे की मांग की और दोहराया कि जहरीली शराब से हुई मौतों की जांच केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) से कराई जानी चाहिए. उन्होंने पूछा कि जब मौतें '60 से अधिक हो गई हैं', तो स्टालिन ने अब तक कल्लाकुरिची का दौरा क्यों नहीं किया है.

उन्होंने विधानसभा में इस मुद्दे पर ईमानदारी से चर्चा करने के लिए मुख्यमंत्री की 'अनिच्छा' की भी आलोचना की. अनशन स्थल पर पत्रकारों से बात करते हुए प्रेमलता विजयकांत ने एआईएडीएमके की सीबीआई जांच की मांग का समर्थन किया और यह भी मांग की कि न्याय के लिए मद्य निषेध एवं आबकारी मंत्री एस मुथुसामी अपने पद से इस्तीफा दें.

उन्होंने आरोप लगाया कि पुलिस ने एआईएडीएमके नेताओं को 'भाषण देने' (सार्वजनिक संबोधन प्रणाली का उपयोग करके) की अनुमति नहीं दी है और 'दमन' की निंदा की है. जहरीली शराब त्रासदी से संबंधित तथ्य तभी सामने आएंगे, जब सीबीआई मामले की जांच करेगी और एआईएडीएमके और उनकी पार्टी डीएमडीके दोनों इस रुख पर अडिग हैं.

उन्होंने आरोप लगाया कि 'सत्तारूढ़ पार्टी के लोगों ने अवैध शराब बनाने में मदद की.' AIADMK विधायकों के निलंबन की निंदा करते हुए, उन्होंने मांग की कि सरकार विपक्षी पार्टी के सदस्यों द्वारा उल्लंघन किए गए मानदंडों को स्पष्ट करे. उन्होंने पूछा कि 'कल्लाकुरिची त्रासदी पर विधानसभा के अलावा और कहां चर्चा हो सकती है.'

विपक्ष के नेता अन्नान (बड़े भाई) एडप्पादी पलानीस्वामी और एआईएडीएमके सदस्यों को इस मामले को उठाने की अनुमति नहीं दी गई और उन्होंने पूछा कि क्या यह उचित है. 'विधानसभा केवल लोगों की समस्याओं पर चर्चा करने के लिए है. सदन करदाताओं के पैसे से चलता है.'

विपक्ष के नेता राहुल गांधी की लोकसभा में की गई टिप्पणी का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि उन्हें पूरा भरोसा है कि आप (अध्यक्ष) हमें अपनी आवाज उठाने, बोलने और भारत के लोगों की आवाज उठाने की अनुमति देंगे. उन्होंने डीएमके सांसदों के इस बात के समर्थन का भी जिक्र किया और पूछा कि संसद के लिए एक तरह का नियम और राज्य विधानसभा के लिए दूसरा नियम कैसे हो सकता है.

उन्होंने आरोप लगाया कि डीएमके सरकार ने विपक्ष को राज्य विधानसभा में मुद्दे उठाने की अनुमति नहीं दी, लेकिन संसद में विपक्ष की आवाज सुनी जानी चाहिए. उन्होंने दावा किया कि 'इतिहास कहेगा कि यह डीएमके ही है (जब वह विपक्ष में थी) जिसने सबसे अधिक वाकआउट किए और सदन की कार्यवाही नहीं चलने दी.'

उन्होंने मुख्यमंत्री स्टालिन के इस आरोप को खारिज कर दिया कि AIADMK ने प्रचार के लिए कार्यवाही बाधित की. पिछली AIADMK सरकार के दौरान, जिस तरह से स्टालिन ने 'फटी हुई शर्ट' दिखाई थी (2017 में, जब पलानीस्वामी के नेतृत्व वाली सरकार ने हंगामे के बीच विश्वास मत जीता था) वह प्रचार की पराकाष्ठा थी.

AIADMK को किसी नए प्रचार की जरूरत नहीं है, यह 50 साल से भी ज्यादा पुरानी पार्टी है जिसने दशकों तक राज्य पर शासन किया है. रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया के नेता सी के तमिलारासन भी भूख हड़ताल स्थल पर पहुंचे और समर्थन दिया. पलानीस्वामी ने बुधवार को कहा था कि शराब त्रासदी पर 'ईमानदारी से बहस करने से इनकार करना', जिसमें कथित तौर पर 60 से अधिक लोग मारे गए हैं, और AIADMK विधायकों को बाहर निकालना और निलंबित करना लोकतंत्र के खिलाफ है.

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