सहारनपुर : पहले बीमारी से पति की मौत, और फिर करीब 5 साल पहले मामूली विवाद में 2 बेटों की हत्या. इन सबके बाद अकेली पड़ चुकी मां ने फिर भी हिम्मत नहीं हारी. बेटों के हत्यारों को सजा दिलाने का मकसद लिए कानूनी लड़ाई लड़ती रही. अकेली पड़ चुकी इस मां के मन में इसके साथ ही बेटों को दोबारा पाने की चाहत भी थी. आखिरकार 45 साल की उम्र में उसने आईवीएफ (IVF) तकनीक का सहारा लिया और दो बच्चों को जन्म दिया. इनका नामकरण भी अपने पहले के दो बेटों के नाम कर दिया.
हम बात कर रहे हैं सहारनपुर कोतवाली इलाके के माधो नगर निवासी उर्मिला देवी की. पांच साल पहले 18 अगस्त 2019 की सुबह गोबर को लेकर हुए विवाद में उर्मिला देवी के दो जवान बेटों की गोली निर्मम हत्या कर दी गई थी. जबकि पति की बीमारी के चलते पहले ही मौत हो गई थी. पति की मौत के बाद वह बेटे आशीष और आशुतोष के जीवन व्यतीत कर रही थी. इस घटना से उस पर वज्रपात ही हो गया.
उजड़ गया था हंसता-खेलता परिवार
उर्मिला ने बड़े बेटे आशीष की 2018 में शादी कर दी थी. घर में बहु आई तो पति की मौत का दर्द कुछ कम हुआ. समय बीता तो बेटे आशीष की पत्नी गर्भवती हो गई. इस बीच परिवार को किसी की ऐसी नजर लगी कि हंसता-खेलता परिवार बिखर गया. गाय के गोबर को लेकर हुए विवाद में उर्मिला के परिवार पर जानलेवा हमला कर दिया गया. घर में घुसकर बेटे आशीष और आशुतोष पर ताबतोड़ फायरिंग की गई, जिससे दोनों की मौके पर ही मौत हो गई. इस मामले में आरोपी पड़ोसी परिवार ही है. जबकि उर्मिला और आशीष की पत्नी को गंभीर चोटें आई थीं. दोनों बेटों की हत्या के बाद उर्मिला देवी पूरी तरह टूट गई.
बहू ने घर छोड़ा, पड़ गई बिलकुल अकेली
घटना के कुछ समय बाद आशीष की पांच माह की गर्भवती पत्नी भी उर्मिला को छोड़कर चली गई. मायके जाकर उसने दूसरी शादी कर ली. जिसके बाद उर्मिला अपने घर में अकेली रह गईं. अब उर्मिला के सामने बेटों के हत्यारों को सजा दिलाना ही जिंदगी का आखिरी मकसद था. उसके लिए वह अदालत में कानूनी लड़ाई लड़ रही है. उर्मिला ने अपने बेटों को पाने का मन बना लिया. उर्मिला ने लोक लाज को किनारे किया और आईवीएफ तकनीक का सहारा लिया.
घर में फिर से लौट आए दोनों बेटे
कुदरत का ऐसा करिश्मा हुआ कि उर्मिला देवी ने आईवीएफ तकनीक के जरिए दो जुड़वा बच्चों को जन्म दिया. जुड़वा बच्चों के जन्म के बाद उर्मिला की खुशी का ठिकाना नहीं है. वह बार-बार भगवान को धन्यवाद दे रही है. उर्मिला को अपने जुड़वां बच्चों में मारे गए बेटों आशीष और आशुतोष की झलक दिखाई देती है. उसने इन दोनों का नाम भी आशीष और आशुतोष ही रखा है. उर्मिला का कहना है कि एक मां के लिए उसकी औलाद ही सब कुछ होती है. लोग क्या कहेंगे, इस बात से मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता. इन बच्चों के सहारे अब मेरे जीवन का अंतिम पड़ाव कट जाएगा.
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