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दिल्ली में यूपीराज: 15 में से 9 प्रधानमंत्री यहीं से, 54 साल शासन; सबसे कम 13 दिन का कार्यकाल - lok sabha election - LOK SABHA ELECTION

कहते हैं कि सियासत की धुरी उत्तर प्रदेश से घूमती है. राजनीति के पुरोधा यहीं से निकले हैं और आज भी यह सिलसिला जारी है. अब तक सबसे अधिक प्रधानमंत्री यूपी की ही लोकसभा सीटों से जीतकर संसद तक पहुंचे हैं. इस स्पेशल रिपोर्ट में पढ़िए उत्तर प्रदेश ने देश को कितने प्रधानमंत्री दिए और इनका क्या इतिहास है?

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Apr 5, 2024, 8:06 PM IST

Updated : Apr 5, 2024, 9:41 PM IST

लखनऊः आजादी के बाद भारत में इस बार 18वां आम चुनाव हो रहा है. जिसको लेकर देश के साथ उत्तर प्रदेश में सियासत तेज हो गई है. कहते हैं कि देश की राजनीति उत्तर प्रदेश से ही तय होती है. इसके प्रमाण अभी तक हुए लोकसभा चुनाव के आंकड़े भी बताते हैं. देश की आजादी के 74 साल में अब तक 15 प्रधानमंत्री बने, उनमें सबसे ज्यादा उत्तर प्रदेश की लोकसभा सीटों से जीतकर संसद तक पहुंचे हैं. अब तक देश के 9 प्रधानमंत्री यूपी की अलग-अलग लोकसभा सीट से जीतकर संसद पहुंचे और लगभग 54 सालों तक देश की बागडोर संभाली. इनमें से 6 प्रधानमंत्री तो मूलरूप से उत्तर प्रदेश के रहे हैं. जिसकी शुरुआत भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू से हुई थी. जवाहर लाल नेहरू ने भी यूपी की इलाहाबाद से सांसद चुने गए थे. वहीं, वर्तमान में प्रधामंत्री नरेंद्र मोदी भी उत्तर प्रदेश की वाराणसी लोकसभा सीट से सांसद हैं.

प्रधानमंत्रियों के कार्यकाल.
प्रधानमंत्रियों के कार्यकाल.

इलाहाबाद ने दिया था देश को पहला प्रधानमंत्री
वैसे तो पंडित जवाहर लाल नेहरू 1947 में ही भारत के प्रधानमंत्री बन गए थे. लेकिन उस समय कोई चुनाव नहीं हुआ था. 1947 में भारत को आजादी मिलने पर जब प्रधानमंत्री के लिये कांग्रेस में मतदान हुआ. जिसमें सरदार पटेल को सर्वाधिक मत मिले। इसके बाद सर्वाधिक वोट आचार्य कृपलानी को मिले थे. लेकिन महात्मा गांधी के के कहने पर सरदार पटेल और आचार्य कृपलानी ने अपना नाम वापस ले लिया. जिसके बाद जवाहरलाल नेहरू को प्रधानमंत्री बनाया गया। वहीं, 1950 में संविधान लागू होने के बाद 1951-1952 में पहली बार लोकसभा चुनाव हुए. जिसमें जवाहर लाल नेहरू ने अपने जन्म स्थान इलाहाबाद की फूलपुर लोकसभा सीट से चुनाव लड़ा और जीतकर भारत के पहले प्रधानंमत्री चुने गए. इसके बाद 1957 और 1962 के लोकसभा चुनाव इलाहाबाद लोकसभा सीट से चुनाव जीतकर प्रधानमंत्री की बागडोर संभाली. जवाहर लाल नेहरु अपनी मृत्यु 1964 तक यहीं से सांसद रहे.

लाल बहादुर शास्त्री ने 18 महीने तक संभाली देश की बागडोर, रूस में हुई थी मौत
1964 में जवाहर लाल नेहरू की मौत के बाद लाल बहादुर शास्त्री देश के दूसरे प्रधानमंत्री बने. लाल बहादुर शास्त्री भी इलाहाबाद लोकसभा सीट से चुनाव जीत कर 9 जून 1964 को प्रधानमंत्री पद की शपथ ली. लाल बहादुर शास्त्री 11 जनवरी 1966 लगभग 18 महीने तक प्रधानमंत्री रहे थे. मुगलसराय में 1904 में जन्मे लाल बहादुर शास्त्री के प्रधानमंत्री रहते हुए 1965 में भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध हुआ था. जिसमें पाकिस्तान को करारी शिकस्त मिली थी. ताशकंद (सोवियत संघ रूस) में पाकिस्तान के प्रधानमन्त्री अयूब खान के साथ युद्ध समाप्त करने के समझौते पर हस्ताक्षर करने के बाद 11 जनवरी 1966 की रात में ही संदिग्ध परिस्थितियों में मृत्यु हो गयी थी.

पहली महिला प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी रायबरेली से थीं सांसद
भारत की पहली महिला प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी भी उत्तर प्रदेश की रायबरेली लोकसभा सीट से दो बार सांसद थीं. हालांकि जब वह 24 जनवरी 1966 को प्रधानमंत्री बनी तो राज्यसभा सदस्य थी. इसके एक साल बाद 1967 में हुए लोकसभा चुनाव में इंदिरा गांधी रायबरेली सीट सीट से चुनाव लड़कर जीतीं और प्रधानमंत्री बनी रहीं. इसी तरह 1971 में हुए चुनाव में भी इसी सीट से चुनाव जीतकर संसद पहुंची. हालांकि 1977 में हुए लोकसभा चुनाव में इंदिरा गांधी रायबरेली सीट से हार गईं और कांग्रेस की भी सरकार नहीं बन पाई. इंदिरा गांधी को 1977 में रायबरेली से राजनारायण ने बड़ी अंतर से हरा दिया था. 1980 में हुए लोकसभा चुनाव में इंदिरा गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस ने चुनाव लड़ा और बहुमत हासिल किया. इस बार इंदिरा गांधी एहतियातन रायबरेली के साथ आंध्र प्रदेश की मेडक लोकसभा सीट से चुनाव लड़ा था. हालांकि यह सीट अब तेलांगना में है. इंदिरा गांधी दोनों सीटों से चुनाव जीतने के बाद रायबरेली सीट छोड़ दी थी.

भारत के प्रधानमंत्रियों की सूची.
भारत के प्रधानमंत्रियों की सूची.

23 दिन तक ही प्रधानमंत्री रह पाए थे चौधरी चरण सिंह
भारत के पांचवें प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह भी यूपी की बागपत लोकसभा सीट से सांसद थे. किसान नेता और कई बार विधायक रहे चौधरी चरण सिंह 28 जुलाई 1979 से 14 जनवरी 1980 तक जनता पार्टी की ओर से प्रधानमंत्री रहे. चौधरी चरण सिंह के प्रधानमंत्री बनने की कहानी भी बड़ी दिलचस्प है. मोरारजी देसाई की सरकार गिरने के बाद इंदिरा गांधी के समर्थन से चौधरी चरण सिंह इंदिरा गांधी की पार्टी के समर्थन से प्रधानमंत्री बने थे. लेकिन जब सदन में बहुमत साबित करने की बारी आई तो इंदिरा गांमधी ने समर्थन वापस ले लिया और उनकी सरकार गिर गई. इसके बाद चौधरी चरण सिंह को 1979 को अपना इस्तीफा देना पड़ा. हालांकि 14 जनवरी 1980 तक कार्यवाहक प्रधानमंत्री बने रहे. इस तरह सिर्फ 23 दिन तक ही प्रधानमंत्री पद काबिज रह सके. पहले ऐसे प्रधानमंत्री थे, जो संसद का मुंह तक नहीं देख पाए थे.

अमेठी से चुनाव जीतकर प्रधानमंत्री बने थे राजीव गांधी
31 अक्टूबर 1984 को प्रधानमन्त्री इन्दिरा गांधी की हत्या किए जाने के बाद बेटे राजीव गांधी अमेठी से लोकसभा का चुनाव जीत कर सांसद बने. इसके बाद 1984 में हुए आम चुनाव में कांग्रेस ने इतिहास में अब तक सबसे अधिक 414 सीटें जीतीं. वहीं, राजीव गांधी अमेठी लोकसभा सीट संसद बनकर प्रधानमंत्री बने. राजीव गांधी का कार्यकाल 1989 तक रहा. गौरतलब है कि राजीव गांधी की राजनीति में रुचि नहीं थी और वह एक एयरलाइन पाइलट की नौकरी करते थे। लेकिन 1980 में छोटे भाई संजय गांधी की एक हवाई जहाज दुर्घटना में मौत के बाद इन्दिरा गांधी को सहयोग देने के लिए 1981 में राजनीति में सक्रिय हुए.

11 महीने 8 दिन तक वीपी सिंह रहे थे प्रधानमंत्री
भारत के 9वें प्रधानमंत्री विश्वनाथ प्रताप सिंह (वीपी सिंह) भी फतेहपुर लोकसभा सीट से सांसद चुने गए थे. यह चुनाव काफी दिलचस्प हुआ था. बता दें कि 1989 में हुए लोकसभा चुनाव में कांग्रेस बहुमत आंकड़े से दूर रह गई. जबकि वीपी सिंह ने सिंह के राष्ट्रीय मोर्चे (जनता दल) को 146 सीटें मिलीं. बाद में भाजपा और वामदलों के साथ मिलकर वीपी सिंह प्रधानमंत्री चुने गए. हालांकि वीपी सिंह सिर्फ 11 महीने 8 दिन (2 दिसम्बर 1989-10 नवंबर 1990) तक ही प्रधानमंत्री रहे.

बलिया से सांसद चंद्रशेखर को 6 महीने में देना पड़ा था पीएम पद से इस्तीफा
भारत के 10वें प्रधानमंत्री बलिया के मूल निवासी चंद्रशेखर बने. चंद्रशेखर 10 नवंबर 1990 से 21 जून 1991 तक लगभग 6 महीने ही प्रधानमंत्री बने रहे. चंद्रशेखर 1989 में अपने गृह क्षेत्र बलिया और बिहार के महाराजगंज संसदीय क्षेत्र से चुनाव लड़ा एवं दोनों ही जगह से जीत गए. बाद में उन्होंने महाराजगंज की सीट छोड़ दी थी। बता दें कि एक साल के कार्यकाल में भाजपा के समर्थन वापस लेने के कारण वीपी सिंह की सरकार अल्पमत में आ गई और उनकी पार्टी के 64 सांसद अलग हो गए थे। इसके बाद कांग्रेस के समर्थन से चंद्रशेखर प्रधानमंत्री बन गए. हालांकि 3 महीने के बाद ही कांग्रेस ने राजीव की जासूसी कराने के आरोप में चंद्रशेखर की पार्टी से समर्थन वापस ले लिया था। इसके बाद चंद्रेखर को 21 जून 1991 को प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा था. गौरतलब है कि चन्द्र शेखर ने 6 जनवरी 1983 से 25 जून 1983 तक दक्षिण के कन्याकुमारी से नई दिल्ली में राजघाट तक लगभग 4260 किलोमीटर की पदयात्रा तय की थी. इस पदयात्रा से चंद्रशेखर को देश में प्रसिद्धि मिली थी.

पहली बार 13 दिन के लिए पीएम बने थे अटल बिहारी वाजपेयी
11वीं लोकसभा चुनाव में पहली बार भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनी, जिसके प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी चुने गए. 1991 में अटल बिहारी वाजपेयी लखनऊ लोकसभा सीट से जीत कर 10वें प्रधानमंत्री की बागडोर संभाली थी. हालांकि बहुमत नहीं होने के कारण अटल बिहारी वाजपेयी मात्र 13 दिन तक (16 मई 1996-1 जून 1996) ही प्रधानमंत्री रह सके. इसके बाद 1996 में हुए मध्यावधि चुनाव में भाजपा को 167 सीटें मिलीं और अटल बिहारी वाजयेपी लखनऊ सीट से जीतकर फिर प्रधानमंत्री बने लेकिन बहुमत नहीं होने के कारण यह भी कार्यकाल सिर्फ 13 महीने (19 मार्च 1998-19 अक्टूबर 1999) का ही रहा. इसके बाद 1999 में हुए लोकसभा चुनाव में भाजपा को फिर 182 सीटें मिलीं लेकिन गठबंधन में पूर्ण बहुमत मिला और अटल बिहारी वाजपेयी 19 अक्टूबर 1999 से 22 मई 2004 तक प्रधानमंत्री बने रहे. इस बार भी अटल बिहारी वापजेयी लखनऊ सीट से सांसद चुने गए थे.

जीत की हैट्रिक लगाने वाराणसी सीट से नरेंद्र मोदी लड़ रहे चुनाव
वर्तमान में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लगातार वाराणसी सीट से सांसद हैं. 2014 लोकसभा चुनाव में नरेंद्र मोदी ने गुजरात के वडोदरा और यूपी वाराणसी सीट से चुनाव लड़ा था और बड़ी जीत हासिल की थी. नरेंद्र मोदी ने वड़ोदरा की सीट छोड़कर वाराणसी सांसद रहे और प्रधानमंत्री बने. 2019 में भाजपा को 282 जबकि NDA को कुल 336 सीटों पर जीत हुई थी. इसी तरह 2019 में हुए चुनाव में नरेंद्र मोदी फिर वाराणसी सीट से सांसद चुने गए और प्रधानमंत्री की बागडोर संभाली. इस चुनाव में भाजपा को 303 जबकि एनएडी को कुल 354 सीटें मिलीं. लोकसभा चुनाव 2024 नरेंद्र मोदी फिर वाराणसी सीट से चुनाव लड़ रहे हैं.

इसे भी पढ़ें-यूपी में 20.41 लाख युवा पहली बार डालेंगे वोट, कई सीटों पर कर सकते हैं उलटफेर

लखनऊः आजादी के बाद भारत में इस बार 18वां आम चुनाव हो रहा है. जिसको लेकर देश के साथ उत्तर प्रदेश में सियासत तेज हो गई है. कहते हैं कि देश की राजनीति उत्तर प्रदेश से ही तय होती है. इसके प्रमाण अभी तक हुए लोकसभा चुनाव के आंकड़े भी बताते हैं. देश की आजादी के 74 साल में अब तक 15 प्रधानमंत्री बने, उनमें सबसे ज्यादा उत्तर प्रदेश की लोकसभा सीटों से जीतकर संसद तक पहुंचे हैं. अब तक देश के 9 प्रधानमंत्री यूपी की अलग-अलग लोकसभा सीट से जीतकर संसद पहुंचे और लगभग 54 सालों तक देश की बागडोर संभाली. इनमें से 6 प्रधानमंत्री तो मूलरूप से उत्तर प्रदेश के रहे हैं. जिसकी शुरुआत भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू से हुई थी. जवाहर लाल नेहरू ने भी यूपी की इलाहाबाद से सांसद चुने गए थे. वहीं, वर्तमान में प्रधामंत्री नरेंद्र मोदी भी उत्तर प्रदेश की वाराणसी लोकसभा सीट से सांसद हैं.

प्रधानमंत्रियों के कार्यकाल.
प्रधानमंत्रियों के कार्यकाल.

इलाहाबाद ने दिया था देश को पहला प्रधानमंत्री
वैसे तो पंडित जवाहर लाल नेहरू 1947 में ही भारत के प्रधानमंत्री बन गए थे. लेकिन उस समय कोई चुनाव नहीं हुआ था. 1947 में भारत को आजादी मिलने पर जब प्रधानमंत्री के लिये कांग्रेस में मतदान हुआ. जिसमें सरदार पटेल को सर्वाधिक मत मिले। इसके बाद सर्वाधिक वोट आचार्य कृपलानी को मिले थे. लेकिन महात्मा गांधी के के कहने पर सरदार पटेल और आचार्य कृपलानी ने अपना नाम वापस ले लिया. जिसके बाद जवाहरलाल नेहरू को प्रधानमंत्री बनाया गया। वहीं, 1950 में संविधान लागू होने के बाद 1951-1952 में पहली बार लोकसभा चुनाव हुए. जिसमें जवाहर लाल नेहरू ने अपने जन्म स्थान इलाहाबाद की फूलपुर लोकसभा सीट से चुनाव लड़ा और जीतकर भारत के पहले प्रधानंमत्री चुने गए. इसके बाद 1957 और 1962 के लोकसभा चुनाव इलाहाबाद लोकसभा सीट से चुनाव जीतकर प्रधानमंत्री की बागडोर संभाली. जवाहर लाल नेहरु अपनी मृत्यु 1964 तक यहीं से सांसद रहे.

लाल बहादुर शास्त्री ने 18 महीने तक संभाली देश की बागडोर, रूस में हुई थी मौत
1964 में जवाहर लाल नेहरू की मौत के बाद लाल बहादुर शास्त्री देश के दूसरे प्रधानमंत्री बने. लाल बहादुर शास्त्री भी इलाहाबाद लोकसभा सीट से चुनाव जीत कर 9 जून 1964 को प्रधानमंत्री पद की शपथ ली. लाल बहादुर शास्त्री 11 जनवरी 1966 लगभग 18 महीने तक प्रधानमंत्री रहे थे. मुगलसराय में 1904 में जन्मे लाल बहादुर शास्त्री के प्रधानमंत्री रहते हुए 1965 में भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध हुआ था. जिसमें पाकिस्तान को करारी शिकस्त मिली थी. ताशकंद (सोवियत संघ रूस) में पाकिस्तान के प्रधानमन्त्री अयूब खान के साथ युद्ध समाप्त करने के समझौते पर हस्ताक्षर करने के बाद 11 जनवरी 1966 की रात में ही संदिग्ध परिस्थितियों में मृत्यु हो गयी थी.

पहली महिला प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी रायबरेली से थीं सांसद
भारत की पहली महिला प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी भी उत्तर प्रदेश की रायबरेली लोकसभा सीट से दो बार सांसद थीं. हालांकि जब वह 24 जनवरी 1966 को प्रधानमंत्री बनी तो राज्यसभा सदस्य थी. इसके एक साल बाद 1967 में हुए लोकसभा चुनाव में इंदिरा गांधी रायबरेली सीट सीट से चुनाव लड़कर जीतीं और प्रधानमंत्री बनी रहीं. इसी तरह 1971 में हुए चुनाव में भी इसी सीट से चुनाव जीतकर संसद पहुंची. हालांकि 1977 में हुए लोकसभा चुनाव में इंदिरा गांधी रायबरेली सीट से हार गईं और कांग्रेस की भी सरकार नहीं बन पाई. इंदिरा गांधी को 1977 में रायबरेली से राजनारायण ने बड़ी अंतर से हरा दिया था. 1980 में हुए लोकसभा चुनाव में इंदिरा गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस ने चुनाव लड़ा और बहुमत हासिल किया. इस बार इंदिरा गांधी एहतियातन रायबरेली के साथ आंध्र प्रदेश की मेडक लोकसभा सीट से चुनाव लड़ा था. हालांकि यह सीट अब तेलांगना में है. इंदिरा गांधी दोनों सीटों से चुनाव जीतने के बाद रायबरेली सीट छोड़ दी थी.

भारत के प्रधानमंत्रियों की सूची.
भारत के प्रधानमंत्रियों की सूची.

23 दिन तक ही प्रधानमंत्री रह पाए थे चौधरी चरण सिंह
भारत के पांचवें प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह भी यूपी की बागपत लोकसभा सीट से सांसद थे. किसान नेता और कई बार विधायक रहे चौधरी चरण सिंह 28 जुलाई 1979 से 14 जनवरी 1980 तक जनता पार्टी की ओर से प्रधानमंत्री रहे. चौधरी चरण सिंह के प्रधानमंत्री बनने की कहानी भी बड़ी दिलचस्प है. मोरारजी देसाई की सरकार गिरने के बाद इंदिरा गांधी के समर्थन से चौधरी चरण सिंह इंदिरा गांधी की पार्टी के समर्थन से प्रधानमंत्री बने थे. लेकिन जब सदन में बहुमत साबित करने की बारी आई तो इंदिरा गांमधी ने समर्थन वापस ले लिया और उनकी सरकार गिर गई. इसके बाद चौधरी चरण सिंह को 1979 को अपना इस्तीफा देना पड़ा. हालांकि 14 जनवरी 1980 तक कार्यवाहक प्रधानमंत्री बने रहे. इस तरह सिर्फ 23 दिन तक ही प्रधानमंत्री पद काबिज रह सके. पहले ऐसे प्रधानमंत्री थे, जो संसद का मुंह तक नहीं देख पाए थे.

अमेठी से चुनाव जीतकर प्रधानमंत्री बने थे राजीव गांधी
31 अक्टूबर 1984 को प्रधानमन्त्री इन्दिरा गांधी की हत्या किए जाने के बाद बेटे राजीव गांधी अमेठी से लोकसभा का चुनाव जीत कर सांसद बने. इसके बाद 1984 में हुए आम चुनाव में कांग्रेस ने इतिहास में अब तक सबसे अधिक 414 सीटें जीतीं. वहीं, राजीव गांधी अमेठी लोकसभा सीट संसद बनकर प्रधानमंत्री बने. राजीव गांधी का कार्यकाल 1989 तक रहा. गौरतलब है कि राजीव गांधी की राजनीति में रुचि नहीं थी और वह एक एयरलाइन पाइलट की नौकरी करते थे। लेकिन 1980 में छोटे भाई संजय गांधी की एक हवाई जहाज दुर्घटना में मौत के बाद इन्दिरा गांधी को सहयोग देने के लिए 1981 में राजनीति में सक्रिय हुए.

11 महीने 8 दिन तक वीपी सिंह रहे थे प्रधानमंत्री
भारत के 9वें प्रधानमंत्री विश्वनाथ प्रताप सिंह (वीपी सिंह) भी फतेहपुर लोकसभा सीट से सांसद चुने गए थे. यह चुनाव काफी दिलचस्प हुआ था. बता दें कि 1989 में हुए लोकसभा चुनाव में कांग्रेस बहुमत आंकड़े से दूर रह गई. जबकि वीपी सिंह ने सिंह के राष्ट्रीय मोर्चे (जनता दल) को 146 सीटें मिलीं. बाद में भाजपा और वामदलों के साथ मिलकर वीपी सिंह प्रधानमंत्री चुने गए. हालांकि वीपी सिंह सिर्फ 11 महीने 8 दिन (2 दिसम्बर 1989-10 नवंबर 1990) तक ही प्रधानमंत्री रहे.

बलिया से सांसद चंद्रशेखर को 6 महीने में देना पड़ा था पीएम पद से इस्तीफा
भारत के 10वें प्रधानमंत्री बलिया के मूल निवासी चंद्रशेखर बने. चंद्रशेखर 10 नवंबर 1990 से 21 जून 1991 तक लगभग 6 महीने ही प्रधानमंत्री बने रहे. चंद्रशेखर 1989 में अपने गृह क्षेत्र बलिया और बिहार के महाराजगंज संसदीय क्षेत्र से चुनाव लड़ा एवं दोनों ही जगह से जीत गए. बाद में उन्होंने महाराजगंज की सीट छोड़ दी थी। बता दें कि एक साल के कार्यकाल में भाजपा के समर्थन वापस लेने के कारण वीपी सिंह की सरकार अल्पमत में आ गई और उनकी पार्टी के 64 सांसद अलग हो गए थे। इसके बाद कांग्रेस के समर्थन से चंद्रशेखर प्रधानमंत्री बन गए. हालांकि 3 महीने के बाद ही कांग्रेस ने राजीव की जासूसी कराने के आरोप में चंद्रशेखर की पार्टी से समर्थन वापस ले लिया था। इसके बाद चंद्रेखर को 21 जून 1991 को प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा था. गौरतलब है कि चन्द्र शेखर ने 6 जनवरी 1983 से 25 जून 1983 तक दक्षिण के कन्याकुमारी से नई दिल्ली में राजघाट तक लगभग 4260 किलोमीटर की पदयात्रा तय की थी. इस पदयात्रा से चंद्रशेखर को देश में प्रसिद्धि मिली थी.

पहली बार 13 दिन के लिए पीएम बने थे अटल बिहारी वाजपेयी
11वीं लोकसभा चुनाव में पहली बार भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनी, जिसके प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी चुने गए. 1991 में अटल बिहारी वाजपेयी लखनऊ लोकसभा सीट से जीत कर 10वें प्रधानमंत्री की बागडोर संभाली थी. हालांकि बहुमत नहीं होने के कारण अटल बिहारी वाजपेयी मात्र 13 दिन तक (16 मई 1996-1 जून 1996) ही प्रधानमंत्री रह सके. इसके बाद 1996 में हुए मध्यावधि चुनाव में भाजपा को 167 सीटें मिलीं और अटल बिहारी वाजयेपी लखनऊ सीट से जीतकर फिर प्रधानमंत्री बने लेकिन बहुमत नहीं होने के कारण यह भी कार्यकाल सिर्फ 13 महीने (19 मार्च 1998-19 अक्टूबर 1999) का ही रहा. इसके बाद 1999 में हुए लोकसभा चुनाव में भाजपा को फिर 182 सीटें मिलीं लेकिन गठबंधन में पूर्ण बहुमत मिला और अटल बिहारी वाजपेयी 19 अक्टूबर 1999 से 22 मई 2004 तक प्रधानमंत्री बने रहे. इस बार भी अटल बिहारी वापजेयी लखनऊ सीट से सांसद चुने गए थे.

जीत की हैट्रिक लगाने वाराणसी सीट से नरेंद्र मोदी लड़ रहे चुनाव
वर्तमान में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लगातार वाराणसी सीट से सांसद हैं. 2014 लोकसभा चुनाव में नरेंद्र मोदी ने गुजरात के वडोदरा और यूपी वाराणसी सीट से चुनाव लड़ा था और बड़ी जीत हासिल की थी. नरेंद्र मोदी ने वड़ोदरा की सीट छोड़कर वाराणसी सांसद रहे और प्रधानमंत्री बने. 2019 में भाजपा को 282 जबकि NDA को कुल 336 सीटों पर जीत हुई थी. इसी तरह 2019 में हुए चुनाव में नरेंद्र मोदी फिर वाराणसी सीट से सांसद चुने गए और प्रधानमंत्री की बागडोर संभाली. इस चुनाव में भाजपा को 303 जबकि एनएडी को कुल 354 सीटें मिलीं. लोकसभा चुनाव 2024 नरेंद्र मोदी फिर वाराणसी सीट से चुनाव लड़ रहे हैं.

इसे भी पढ़ें-यूपी में 20.41 लाख युवा पहली बार डालेंगे वोट, कई सीटों पर कर सकते हैं उलटफेर

Last Updated : Apr 5, 2024, 9:41 PM IST
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