देहरादून: उत्तराखंड में आसमानी आफत रुकने का नाम नहीं ले रही है. बीते तीन दिनों से हो रही बारिश के कारण उत्तराखंड बेहाल है. शुक्रवार को भी बारिश के कारण कुमाऊं में तीन महिलाओं की मौत हुई है. वहीं अभी तक इस मॉनसून सीजन में कुल 74 लोग आपदा की भेंट चढ़े हैं. वहीं 44 लोग अभी भी लापता हैं. उत्तराखंड आपदा प्रबंधन विभाग की ओर से आंकड़े जारी किए गए हैं.
चंपावत और पिथौरागढ़ में फटा बादल: सितंबर का आधा महीना बीत चुका है, लेकिन पहाड़ों में बारिश का कहर कम होने का नाम ही नहीं ले रहा है. शुक्रवार 13 सितंबर को सीमांत जिले चंपावत और पिथौरागढ़ में बादल फटा था, जिससे यहां बड़ी तबाही हुई थी. इस आपदा में तीन लोगों की मौत हो गई थी. वहीं शनिवार को भी प्रदेश में बारिश के कारण जनजीवन अस्त-व्यस्त रहा.
हर साल जख्म देकर जाता है मॉनसून: उत्तराखंड में हर साल मॉनसून अपने साथ सुहाना मौसम नहीं, बल्कि आफत लेकर आता है. मॉनसूनी बारिश में हर साल उत्तराखंड के अंदर जानमाल का बड़ा नुकसान होता है. इस साल भी कुछ इसी तरह हुआ. 31 जुलाई के बाद से ही उत्तराखंड में बारिश ने कहर बरपा रखा है.
विदाई के समय मॉनसून हुआ ज्यादा सक्रिय: अमूमन सितंबर महीने में बरसात में काफी कमी देखने को मिलती है. यही कारण है कि सितंबर में चारधाम यात्रा भी फिर से रफ्तार पकड़ लेती है, लेकिन इस बार ऐसा होता नहीं दिख रहा है. क्योंकि सितंबर का आधा महीना गुजरने के बाद भी प्रदेश में बादल फटने जैसी घटनाएं हो रही हैं और इनमें जानमाल का भी बड़ा नुकसान हो रहा है.
सबसे ज्यादा रुद्रप्रयाग जिले में हुई मौतें: उत्तराखंड आपदा प्रबंधन विभाग की ओर से जो आंकड़े जारी किए गए हैं, उसके हिसाब से प्रदेश में इस साल मॉनसून सीजन में अभीतक 74 लोगों की मौत हो चुकी है. आपदा में इस साल सबसे ज्यादा मौत रुद्रप्रयाग जिले में 20 लोगों की हुई है. वहीं सबसे कम जनहानि अल्मोड़ा जिले में है. अल्मोड़ा जिले में दो लोग आपदा के चलते जान गंवाए हैं.
44 लोग लापता: वहीं इस साल मॉनसून सीजन में करीब 44 लोगों के लापता होने की सूचना है. इसमें से 20 लोग तो चारधाम यात्रा मार्ग पर 31 जुलाई को लापता हुए थे, जिनका अभी तक कुछ पता नहीं चल पाया है. बता दें कि 31 जुलाई को केदार घाटी में भारी बारिश हुई थी, जिसके बाद वहां पर आपदा जैसे हालात बन गए थे. इस आपदा में कई लोगों की मौत हो गई थी. वहीं अभी भी 20 से ज्यादा लापता हैं, जिनकी खोजबीन में आपदा प्रबंधन समेत अन्य विभाग की रेस्क्यू टीम जुटी हुई हैं.
कुमाऊं में शुक्रवार को हुई दो बड़े हादसे: उत्तराखंड के कुमाऊं मंडल में शुक्रवार को चंपावत जिले के लोहाघाट में बादल फटने से दो महिलाओं की मौत हुई थी. वहीं दो मंजिल धर्मशाला भी ढह कर खाई में गिर गई. इसके अलावा पिथौरागढ़ जिले में शुक्रवार 13 सितंबर को बादल फटा था. इस आपदा में एक महिला और चार मवेशियों की मौत हो गई. तीन लोगों ने किसी तरह घर से भागकर अपना जान बचाई थी.
किसान खेत में काम करते समय नदी में बहा: इसके अलावा उधमसिंह नगर जिले के खटीमा और अन्य जगहों पर में भी जलभराव के कारण बाढ़ जैसे हालत बन गए थे. ऐसे में करीब 250 लोगों को सुरक्षित स्थानों पर शिफ्ट किया गया. वहीं, सितारगंज इलाके में भी एक व्यक्ति खेत में काम करते समय शुक्रवार को नदी में बह गया, जिसका अभीतक कुछ पता नहीं चल पाया है.
184 से ज्यादा सड़कें बंद: उत्तराखंड में 72 घंटों से लगातार हो रही बारिश के कारण राज्य की 184 से ज्यादा सड़कें बंद पड़ी हुई हैं, जिसमें एक नेशनल हाईवे, 15 PMGSY की सड़कें और 174 अन्य सड़कें हैं. वहीं सुरक्षा की दृष्टि से करीब एक दर्जन पुलों पर भी आवाजाही रोक दी गई है.
सीएम धामी ले रह पल-पल का अपडेट: प्रदेश में भारी बारिश के कारण बने हालात की सूबे के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी हर पांच घंटे में अपडेट ले रहे हैं. मुख्यमंत्री के आदेशों पर 6 जिलों के स्कूलों को आज भी बंद रखा गया था. इसके अलावा चारधाम यात्रा को बारिश होने के दौरान बंद रखा जाएगा. वहीं केदारनाथ धाम जाने वाले दो हजार से ज्यादा श्रद्धालुओं को सोनप्रयाग में रोका गया है, जबकि गंगोत्री यमुनोत्री नेशनल हाईवे भी कई जगह से बंद होने की वजह से यात्रियों को बीच में रोका जा रहा है.
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