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58 साल पहले कांग्रेस के विरोध में बना था 7 दलों का गठबंधन, एक बार फिर साथ आएंगे 7 दल - NDA VS MAHAGATHBANDHAN

2025 बिहार विधानसभा चुनाव में एनडीए (5 दल) और महागठबंधन (7 दल) के बीच कड़ी टक्कर होगी, दोनों गठबंधन अपनी ताकत बढ़ाने में जुटे हैं-

NDA के 5 दल Vs महागठबंधन के 7 दल
NDA के 5 दल Vs महागठबंधन के 7 दल (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Bihar Team

Published : Jan 16, 2025, 9:07 PM IST

Updated : Jan 17, 2025, 1:43 PM IST

पटना: 2025 चुनावी साल है. बिहार विधानसभा चुनाव में गठबंधन की ताकत दिखाने की कोशिश शुरू हो गई है. बिहार में पहली बार गठबंधन की सरकार 1967 में बनी थी. हालांकि चुनाव पूर्व गठबंधन नहीं हुआ था. चुनाव के बाद कांग्रेस को सत्ता से बाहर करने के लिए पहली बार 7 दलों ने गठबंधन किया था.

NDA के 5 दल Vs महागठबंधन के 7 दल : असल में चुनावी गठबंधन 2000 के बाद ही शुरू हुआ है. ऐसे 1977 में आपातकाल के बाद जनता पार्टी का जब गठन हुआ था तो उसमें कई दल शामिल हो गए थे. बाद में गठबंधन की सरकार ही बनी थीं लेकिन आज राजनीतिक विशेषज्ञ भी कह रहे हैं कि बिना गठबंधन की सरकार बनना संभव नहीं है. इसीलिए एक तरफ एनडीए तो दूसरी तरफ महागठबंधन अपनी ताकत संवारने में लगा है. दोनों तरफ से दावे भी हो रहे हैं एनडीए के पांच दल का मुकाबला महागठबंधन के 7 दल से होना है.

NDA के 5 दल Vs महागठबंधन के 7 दल (ETV Bharat)

बिहार में गठबंधन सरकार की नींव : बिहार में इस साल 18वीं बार विधानसभा का चुनाव होगा. 2020 तक 17 बार विधानसभा का चुनाव हो चुका है और इन 17 विधानसभा चुनाव में 1967 से ही गठबंधन का दौर शुरू हो चुका था. आज गठबंधन किसी भी सरकार बनाने के लिए मजबूरी बन चुका है . पहली बार जब 1967 में कांग्रेस को सत्ता से बाहर करने के लिए गठबंधन बना था तो उसमें 7 दल सरकार में शामिल थे, हालांकि वह गठबंधन चुनाव जीतने के बाद बना था. और बहुत सफल नहीं रहा.

1967 का विधानसभा चुनाव : 1967 से पहले तक कांग्रेस की सरकार बिहार में बनती रही. 1967 में बिहार और झारखंड दोनों एक राज्य हुआ करते थे. विधानसभा की कुल 312 सीटें होती थी. उस साल हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को 128, संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी को 63, बीजेएस को 26, सीपीआई को 24, पीएससी को 18, जन क्रांति दल को 13, सीपीएम को 04, एसडब्लूयूएच को 03 और निर्दलीय को 33 सीटें मिली थी.

ईटीवी भारत GFX.
ईटीवी भारत GFX. (ETV Bharat)

किसी भी दल को बहुमत नहीं मिला : ऐसी स्थिति में किसी भी दल को पूर्ण बहुमत नहीं मिला और कांग्रेस को सत्ता से दूर करने के लिए 7 विपक्षी दल एक साथ आए और उन्हें निर्दलीय विधायकों का भी समर्थन मिला. विपक्ष में सबसे बड़ी पार्टी संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी थी और इसके नेता थे कर्पूरी ठाकुर, लेकिन कांग्रेस को सत्ता से बाहर करने के लिए उन्होंने जन क्रांति दल के महामाया प्रसाद को मुख्यमंत्री बनाया और खुद उपमुख्यमंत्री बने. हालांकि सरकार बहुत दिनों तक नहीं चली.

1969 में विधानसभा का चुनाव : 1969 में मध्यावधि चुनाव हो गया. मध्यावधि चुनाव में भी कांग्रेस को केवल 118 सीट मिले. 16 फरवरी 1970 में इंदिरा गांधी की कांग्रेस ने प्रजातांत्रिक सोशलिस्ट पार्टी, शोषित दल, लोकतांत्रिक क्रांति दल जैसी पार्टियों के समर्थन से सरकार बनाई. लेकिन सरकार नहीं चली और दिसंबर 1970 में गिर गई, उसके बाद कर्पूरी ठाकुर के अगुवाई में सरकार बनी, जिसमें 5 दल जनसंघ, संगठन कांग्रेस, लोकतांत्रिक कांग्रेस, शोषित दल, भारतीय क्रांति दल जैसी पार्टियों ने समर्थन दिया.

बिहार विधान सभा
बिहार विधान सभा (ETV Bharat)

1972 में हुए विधानसभा चुनाव : 1967 के बाद एक बार फिर 1972 में विधानसभा चुनाव हुए. इस चुनाव में एक बार फिर कांग्रेस बहुमत के साथ सत्ता में लौटी. कांग्रेस को 167 सीटों पर जीत मिली थी और 1977 तक कांग्रेस की सरकार चलती रही.

1977 का विधानसभा चुनाव : आपातकाल के बाद चुनाव में केंद्र में भी कांग्रेस की सरकार चली गई और बिहार में जो विधानसभा चुनाव हुए उसमें समाजवादियों ने जनता पार्टी बनाया था. कई दल का विलय हुआ था. जनता पार्टी को 214 सीट मिला, कांग्रेस को केवल 57 सीट मिला . सीपीआई को 21, सीपीएम को चार, जेकेडी (जन क्रांति दल) को दो और निर्दलीय 24 सीट जीता. जनता पार्टी ने कर्पूरी ठाकुर के नेतृत्व में कांग्रेस विरोधी दल जन संघ, लोक दल और अन्य दलों के साथ सरकार बनाई.

ईटीवी भारत GFX.
ईटीवी भारत GFX. (ETV Bharat)

1980 चुनाव में सत्ता में लौटी कांग्रेस : बिहार में एक बार फिर 1980 में चुनाव हुए और इस बार कांग्रेस को पूर्ण बहुमत मिल गई. कांग्रेस इंदिरा को 167 सीटों पर जीत मिल गई थी और 1990 तक बिहार में कांग्रेस फिर से सत्ता पर काबिज हो गई.

1990 में गठबंधन की सरकार : बिहार में 1990 के दशक की शुरुआत ही गठबंधन की सरकार से हुई. इस समय तक कांग्रेस की हालत खराब हो चुकी थी. विपक्ष में भी नये युवा अपनी राजनीतिक पहचान बना चुके थे. इसी परिप्रेक्ष्य में 1990 का विधानसभा चुनाव हुआ. 1990 विधानसभा चुनाव कई दलों के विलय से बने जनता दल ने पहली बार बिहार चुनाव लड़ा था.

कई सीएम बनने का दौर खत्म : जनता दल 276 सीटों पर चुनाव लड़कर 122 सीटें जीता और सबसे बड़ी पार्टी बन गयी . वही, कांग्रेस को 323 सीटों में से 71 सीटें और भाजपा को 237 सीटों में से 39 सीटों हासिल हुईं. कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ़ इंडिया ने 109 सीटों पर चुनाव लड़कर 23 सीटें जीती थीं. जेएमएम 82 में से 19 सीटें जीत पाई थी. तब बिहार में लालू यादव के नेतृत्व में जनता दल की सरकार बनी थी. इन चुनावों के बाद ही बिहार में एक ही कार्यकाल में कई मुख्यमंत्री बनने का दौर भी ख़त्म हुआ.

मार्च 1995 में विधानसभा चुनाव : 1995 से पहले जनता दल टूटने लगा. 1994 में नीतीश कुमार समता पार्टी बनाकर अलग हो गए. चुनावों में जनता दल ने 264 सीटों पर चुनाव लड़ा था और उसे 167 सीट पर जीत मिली थीं. वहीं, भाजपा को 41 सीटें जीतीं. इसके अलावा समता पार्टी को 7 सीट पर जीत मिली और कांग्रेस को 29 सीट पर जीत हासिल हुई थीं. चारा घोटाला में लालू प्रसाद यादव के जेल जाने के कारण लालू प्रसाद ने राबड़ी देवी को मुख्यमंत्री बना दिया. इस पर काफी विवाद हुआ और 1997 में जनता दल से अलग होकर आरजेडी का लालू प्रसाद ने गठन किया. इसके बाद कांग्रेस के समर्थन से राबड़ी देवी मुख्यमंत्री बनीं.

मार्च 2000 में विधानसभा चुनाव : बिहार का झारखंड के साथ अंतिम चुनाव था क्योंकि इसके बाद झारखंड अलग हो गया इस चुनाव में बीजेपी ने समता पार्टी के साथ गठबंधन किया था और राजद का एक वामपंथी दल के साथ गठबंधन था. राजद ने 293 सीटों पर चुनाव लड़ा था और उसे 124 सीटें मिली थीं. भाजपा को 168 में से 67 सीटें हासिल हुई थीं. इसके अलावा समता पार्टी को 120 में से 34 और कांग्रेस को 324 में से 23 सीटें हासिल हुई थीं. नीतीश कुमार 7 दिनों के लिए मुख्यमंत्री बने थे लेकिन बहुमत साबित नहीं करने के कारण इस्तीफा दे दिया था. इसके बाद कांग्रेस की समर्थन से राबड़ी देवी मुख्यमंत्री बनीं और यह सरकार 2005 तक चली.

बिहार विधानसभा 2005 : 2005 फरवरी में चुनाव हुआ जिसमें किसी को बहुमत नहीं मिला लेकिन नवंबर 2005 में हुए विधानसभा चुनाव में एनडीए को बहुमत मिल गया. इस चुनाव में NDA में भाजपा और जेडीयू का गठबंधन था. भाजपा 55 सीट जीती और जदयू 88 सीट, 31. 02% वोट प्रतिशत मिला था. वहीं विपक्ष में उस समय बना था यूपीए. जिसमें आरजेडी 54, कांग्रेस 9, राकांपा एक, माकपा एक कुल 4 दल 65 सीट जीते और 30.9% वोट आया था. बहुमत के साथ NDA की सरकार बनी. नीतीश कुमार मुख्यमंत्री बने और सुशील कुमार मोदी को उप मुख्यमंत्री बनाया गया.

2010 विधानसभा चुनाव : 2010 में एनडीए में फिर से एक बार जदयू और भाजपा साथ लड़ी. जदयू को 115 और भाजपा को 91 सीट मिला और 39.1% वोट मिला था. 206 सीट एनडीए को मिला और सरकार बनाई. वहीं विपक्ष की बात करें तो राजद, लोजपा का गठबंधन इस बार हुआ. राजद को 22 सीट तो लोजपा को तीन सीट पर जीत मिली दोनों का वोट प्रतिशत 25.5% था. कांग्रेस अकेले चुनाव लड़ी थी. 2010 में एनडीए का अब तक का सबसे शानदार प्रदर्शन रहा.

2015 विधानसभा चुनाव : बिहार में नीतीश कुमार के आरजेडी के साथ जाने के कारण महागठबंधन का निर्माण हुआ इसमें आरजेडी 80, जेडीयू 71, कांग्रेस 27 सीटों पर जीतीं. तीनों ने एक साथ लड़ा और 178 सीट पर जीत हासिल की. 32.9% वोट महागठबंधन को मिला, वहीं एनडीए में बीजेपी 53, लोजपा दो, रालोसपा 2 और हम सेकुलर ने एक सीट पर जीत हासिल की. चार दलों में NDA को 34.9% वोट आया. नीतीश कुमार के नेतृत्व में महागठबंधन की सरकार बनी. तेजस्वी यादव को उपमुख्यमंत्री बनाया गया.

2020 विधानसभा चुनाव : 2020 विधानसभा चुनाव में एनडीए में जेडीयू, बीजेपी, हम और वीआईपी एक साथ चुनाव लड़ी. दूसरी तरफ महागठबंधन में आरजेडी, कांग्रेस और तीनों वामपंथी दल एक साथ थे. एनडीए के चार दल के मुकाबले महागठबंधन के पांच दलों का मुकाबला हुआ और फिर एनडीए की सरकार बन गई. NDA से महागठबधन को 12768 हजार वोट कम मिला लेकिन लेकिन वोट प्रतिशत के हिसाब से 0.03% ही महागठबंधन को कम मिला था और सरकार बनाते-बनाते महागठबंधन रह गया. एनडीए को 125 सीट मिला था तो महा गठबंधन को 110 सीट.

लोजपा को एक सीट : NDA को 37.26% वोट मिले तो महागठबंधन को 37.23% वोट प्राप्त हुआ. लोजपा अकेले चुनाव लड़ी और 134 सीट पर एक में जीत और 9 सीट पर दूसरे नम्बर पर रही. लोजपा को 5.64% वोट प्राप्त हुआ. लोजपा के कारण एनडीए को काफी नुकसान हुआ, जिसका फायदा आरजेडी और महागठबंधन के उन घटक दलों को हुआ. वामपंथी दल 16 सीट जीतने में कामयाब हुए.

कांटे की रही टक्कर : NDA को 1 करोड़ 57 लाख 1226 वोट मिले जबकि महागठबंधन को 1 करोड़ 56 लाख 88458 वोट मिला. NDA को 125 सीटें मिलीं और महागठबंधन को 110 सीटों पर संतोष करना पड़ा. आरजेडी को 75, बीजेपी को 74, जेडीयू को 43, कांग्रेस 19, माले को 12 सीट मिली, अन्य दोनों वामपंथी दलों को चार सीटें मिली. AIMIM ने भी 5 सीट जीती और वीआईपी को चार सीट मिली. बाद में AIMIM और वीआईपी के विधायकों ने पाला बदल लिया.

7 PARTIES ALLIANCE WAS FORMED
अरुण पांडेय राजनीतिक विशेषज्ञ (ETV Bharat)

''लोहिया जी ने कांग्रेस के खिलाफ मुहिम पूरे देश में चलाया. 1967 में कई राज्यों में कांग्रेस के विरोध में सरकार बनी. बिहार में भी कांग्रेस को बाहर रखने के लिए 7 दलों ने मिलकर सरकार बनाई. आज बिहार में चुनाव लड़ने के लिए गठबंधन तय हो रहा है कि गठबंधन में कौन दल जाएंगे. यह फैसला पहले हो रहा है और बिना गठबंधन की अब तो सरकार बन भी नहीं सकती है. NDA में जहां पांच दल हैं तो वहीं महागठबंधन में अब लालू जी चूड़ा दही भोज में पशुपति पारस के यहां चले गए और उन्हें ग्रीन सिग्नल दे दिया, लेकिन अभी जो स्थिति है उसमें एनडीए की मजबूत लग रही है.''- अरुण पांडेय, राजनीतिक विशेषज्ञ

एनडीए एकजुटता के साथ चुनावों में उतरेगी : जदयू के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और समाजवादी नेता वशिष्ठ नारायण सिंह का कहना है कि ''1967 की घटना बिहार की राजनीति को बदलने वाली थी. चुनाव में अपनी आइडेंटिटी के साथ कई नेता जीत कर आए और फिर बाद में सब ने मिलकर सरकार बनाया. उसमें कई दल शामिल थे. महामाया बाबू की भूमिका महत्वपूर्ण थी और कर्पूरी ठाकुर की भी.'' जेडीयू का दावा है कि एनडीए के 5 दल एकजुटता के साथ चुनाव में जाएंगे. जहां तक महागठबंधन की बात है कहीं से एक जुट नहीं लग रहे हैं. आने वाले समय में सभी दल अलग-अलग चुनाव लड़ेंगे.

7 PARTIES ALLIANCE WAS FORMED
समाजवादी नेता वशिष्ठ नारायण सिंह (ETV Bharat)

एनडीए स्वार्थ का गठबंधन-RJD : हालांकि आरजेडी नेताओं का कहना है एनडीए सत्ता के स्वार्थ के लिए गठबंधन बना हुआ है. प्रवक्ता एजाज अहमद का कहना है ''लालू प्रसाद यादव रामविलास परिवार के साथ हमेशा मुसीबत में खड़े रहे हैं. पशुपति पारस मंत्रिमंडल में भी रहे हैं, लेकिन चिराग पासवान सत्ता और स्वार्थ के लिए जिनके हनुमान बने हुए हैं. लगातार अपमान करते रहे हैं अब इनके यहां गठबंधन कितना मजबूत है, यह तो चूड़ा दही के भोज में ही पता चल गया, जब नीतीश कुमार को भाजपा के इशारे पर अपमानित किया गया.''

7 PARTIES ALLIANCE WAS FORMED
आरजेडी प्रवक्ता एजाज अहमद (ETV Bharat)

5 दल के मुकाबले 7 दल की लड़ाई : बिहार में एनडीए में पांच दल हैं बीजेपी, जेडीय़ू, हम, लोजपा रामविलास और राष्ट्रीय लोक मोर्चा. पांचों दल का संयुक्त अभियान भी शुरू हो गया है. 2025 विधानसभा चुनाव में 225 सीट जीतने का दावा कर रहे हैं. दूसरी तरफ महागठबंधन में राजद, कांग्रेस, वीआईपी और वामपंथी दलों की तीनों दल मिलकर 6 दल और यदि पशुपति पारस भी उसमें शामिल होते हैं तो 7 दल हो जाएगा. दोनों गठबंधन के तरफ से अभी से ही दावे हो रहे हैं ऐसे में जैसे जैसे चुनाव नजदीक आएगा दोनों तरफ से शक्ति प्रदर्शन भी होगा और दावे भी और तेज होंगे.

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पटना: 2025 चुनावी साल है. बिहार विधानसभा चुनाव में गठबंधन की ताकत दिखाने की कोशिश शुरू हो गई है. बिहार में पहली बार गठबंधन की सरकार 1967 में बनी थी. हालांकि चुनाव पूर्व गठबंधन नहीं हुआ था. चुनाव के बाद कांग्रेस को सत्ता से बाहर करने के लिए पहली बार 7 दलों ने गठबंधन किया था.

NDA के 5 दल Vs महागठबंधन के 7 दल : असल में चुनावी गठबंधन 2000 के बाद ही शुरू हुआ है. ऐसे 1977 में आपातकाल के बाद जनता पार्टी का जब गठन हुआ था तो उसमें कई दल शामिल हो गए थे. बाद में गठबंधन की सरकार ही बनी थीं लेकिन आज राजनीतिक विशेषज्ञ भी कह रहे हैं कि बिना गठबंधन की सरकार बनना संभव नहीं है. इसीलिए एक तरफ एनडीए तो दूसरी तरफ महागठबंधन अपनी ताकत संवारने में लगा है. दोनों तरफ से दावे भी हो रहे हैं एनडीए के पांच दल का मुकाबला महागठबंधन के 7 दल से होना है.

NDA के 5 दल Vs महागठबंधन के 7 दल (ETV Bharat)

बिहार में गठबंधन सरकार की नींव : बिहार में इस साल 18वीं बार विधानसभा का चुनाव होगा. 2020 तक 17 बार विधानसभा का चुनाव हो चुका है और इन 17 विधानसभा चुनाव में 1967 से ही गठबंधन का दौर शुरू हो चुका था. आज गठबंधन किसी भी सरकार बनाने के लिए मजबूरी बन चुका है . पहली बार जब 1967 में कांग्रेस को सत्ता से बाहर करने के लिए गठबंधन बना था तो उसमें 7 दल सरकार में शामिल थे, हालांकि वह गठबंधन चुनाव जीतने के बाद बना था. और बहुत सफल नहीं रहा.

1967 का विधानसभा चुनाव : 1967 से पहले तक कांग्रेस की सरकार बिहार में बनती रही. 1967 में बिहार और झारखंड दोनों एक राज्य हुआ करते थे. विधानसभा की कुल 312 सीटें होती थी. उस साल हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को 128, संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी को 63, बीजेएस को 26, सीपीआई को 24, पीएससी को 18, जन क्रांति दल को 13, सीपीएम को 04, एसडब्लूयूएच को 03 और निर्दलीय को 33 सीटें मिली थी.

ईटीवी भारत GFX.
ईटीवी भारत GFX. (ETV Bharat)

किसी भी दल को बहुमत नहीं मिला : ऐसी स्थिति में किसी भी दल को पूर्ण बहुमत नहीं मिला और कांग्रेस को सत्ता से दूर करने के लिए 7 विपक्षी दल एक साथ आए और उन्हें निर्दलीय विधायकों का भी समर्थन मिला. विपक्ष में सबसे बड़ी पार्टी संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी थी और इसके नेता थे कर्पूरी ठाकुर, लेकिन कांग्रेस को सत्ता से बाहर करने के लिए उन्होंने जन क्रांति दल के महामाया प्रसाद को मुख्यमंत्री बनाया और खुद उपमुख्यमंत्री बने. हालांकि सरकार बहुत दिनों तक नहीं चली.

1969 में विधानसभा का चुनाव : 1969 में मध्यावधि चुनाव हो गया. मध्यावधि चुनाव में भी कांग्रेस को केवल 118 सीट मिले. 16 फरवरी 1970 में इंदिरा गांधी की कांग्रेस ने प्रजातांत्रिक सोशलिस्ट पार्टी, शोषित दल, लोकतांत्रिक क्रांति दल जैसी पार्टियों के समर्थन से सरकार बनाई. लेकिन सरकार नहीं चली और दिसंबर 1970 में गिर गई, उसके बाद कर्पूरी ठाकुर के अगुवाई में सरकार बनी, जिसमें 5 दल जनसंघ, संगठन कांग्रेस, लोकतांत्रिक कांग्रेस, शोषित दल, भारतीय क्रांति दल जैसी पार्टियों ने समर्थन दिया.

बिहार विधान सभा
बिहार विधान सभा (ETV Bharat)

1972 में हुए विधानसभा चुनाव : 1967 के बाद एक बार फिर 1972 में विधानसभा चुनाव हुए. इस चुनाव में एक बार फिर कांग्रेस बहुमत के साथ सत्ता में लौटी. कांग्रेस को 167 सीटों पर जीत मिली थी और 1977 तक कांग्रेस की सरकार चलती रही.

1977 का विधानसभा चुनाव : आपातकाल के बाद चुनाव में केंद्र में भी कांग्रेस की सरकार चली गई और बिहार में जो विधानसभा चुनाव हुए उसमें समाजवादियों ने जनता पार्टी बनाया था. कई दल का विलय हुआ था. जनता पार्टी को 214 सीट मिला, कांग्रेस को केवल 57 सीट मिला . सीपीआई को 21, सीपीएम को चार, जेकेडी (जन क्रांति दल) को दो और निर्दलीय 24 सीट जीता. जनता पार्टी ने कर्पूरी ठाकुर के नेतृत्व में कांग्रेस विरोधी दल जन संघ, लोक दल और अन्य दलों के साथ सरकार बनाई.

ईटीवी भारत GFX.
ईटीवी भारत GFX. (ETV Bharat)

1980 चुनाव में सत्ता में लौटी कांग्रेस : बिहार में एक बार फिर 1980 में चुनाव हुए और इस बार कांग्रेस को पूर्ण बहुमत मिल गई. कांग्रेस इंदिरा को 167 सीटों पर जीत मिल गई थी और 1990 तक बिहार में कांग्रेस फिर से सत्ता पर काबिज हो गई.

1990 में गठबंधन की सरकार : बिहार में 1990 के दशक की शुरुआत ही गठबंधन की सरकार से हुई. इस समय तक कांग्रेस की हालत खराब हो चुकी थी. विपक्ष में भी नये युवा अपनी राजनीतिक पहचान बना चुके थे. इसी परिप्रेक्ष्य में 1990 का विधानसभा चुनाव हुआ. 1990 विधानसभा चुनाव कई दलों के विलय से बने जनता दल ने पहली बार बिहार चुनाव लड़ा था.

कई सीएम बनने का दौर खत्म : जनता दल 276 सीटों पर चुनाव लड़कर 122 सीटें जीता और सबसे बड़ी पार्टी बन गयी . वही, कांग्रेस को 323 सीटों में से 71 सीटें और भाजपा को 237 सीटों में से 39 सीटों हासिल हुईं. कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ़ इंडिया ने 109 सीटों पर चुनाव लड़कर 23 सीटें जीती थीं. जेएमएम 82 में से 19 सीटें जीत पाई थी. तब बिहार में लालू यादव के नेतृत्व में जनता दल की सरकार बनी थी. इन चुनावों के बाद ही बिहार में एक ही कार्यकाल में कई मुख्यमंत्री बनने का दौर भी ख़त्म हुआ.

मार्च 1995 में विधानसभा चुनाव : 1995 से पहले जनता दल टूटने लगा. 1994 में नीतीश कुमार समता पार्टी बनाकर अलग हो गए. चुनावों में जनता दल ने 264 सीटों पर चुनाव लड़ा था और उसे 167 सीट पर जीत मिली थीं. वहीं, भाजपा को 41 सीटें जीतीं. इसके अलावा समता पार्टी को 7 सीट पर जीत मिली और कांग्रेस को 29 सीट पर जीत हासिल हुई थीं. चारा घोटाला में लालू प्रसाद यादव के जेल जाने के कारण लालू प्रसाद ने राबड़ी देवी को मुख्यमंत्री बना दिया. इस पर काफी विवाद हुआ और 1997 में जनता दल से अलग होकर आरजेडी का लालू प्रसाद ने गठन किया. इसके बाद कांग्रेस के समर्थन से राबड़ी देवी मुख्यमंत्री बनीं.

मार्च 2000 में विधानसभा चुनाव : बिहार का झारखंड के साथ अंतिम चुनाव था क्योंकि इसके बाद झारखंड अलग हो गया इस चुनाव में बीजेपी ने समता पार्टी के साथ गठबंधन किया था और राजद का एक वामपंथी दल के साथ गठबंधन था. राजद ने 293 सीटों पर चुनाव लड़ा था और उसे 124 सीटें मिली थीं. भाजपा को 168 में से 67 सीटें हासिल हुई थीं. इसके अलावा समता पार्टी को 120 में से 34 और कांग्रेस को 324 में से 23 सीटें हासिल हुई थीं. नीतीश कुमार 7 दिनों के लिए मुख्यमंत्री बने थे लेकिन बहुमत साबित नहीं करने के कारण इस्तीफा दे दिया था. इसके बाद कांग्रेस की समर्थन से राबड़ी देवी मुख्यमंत्री बनीं और यह सरकार 2005 तक चली.

बिहार विधानसभा 2005 : 2005 फरवरी में चुनाव हुआ जिसमें किसी को बहुमत नहीं मिला लेकिन नवंबर 2005 में हुए विधानसभा चुनाव में एनडीए को बहुमत मिल गया. इस चुनाव में NDA में भाजपा और जेडीयू का गठबंधन था. भाजपा 55 सीट जीती और जदयू 88 सीट, 31. 02% वोट प्रतिशत मिला था. वहीं विपक्ष में उस समय बना था यूपीए. जिसमें आरजेडी 54, कांग्रेस 9, राकांपा एक, माकपा एक कुल 4 दल 65 सीट जीते और 30.9% वोट आया था. बहुमत के साथ NDA की सरकार बनी. नीतीश कुमार मुख्यमंत्री बने और सुशील कुमार मोदी को उप मुख्यमंत्री बनाया गया.

2010 विधानसभा चुनाव : 2010 में एनडीए में फिर से एक बार जदयू और भाजपा साथ लड़ी. जदयू को 115 और भाजपा को 91 सीट मिला और 39.1% वोट मिला था. 206 सीट एनडीए को मिला और सरकार बनाई. वहीं विपक्ष की बात करें तो राजद, लोजपा का गठबंधन इस बार हुआ. राजद को 22 सीट तो लोजपा को तीन सीट पर जीत मिली दोनों का वोट प्रतिशत 25.5% था. कांग्रेस अकेले चुनाव लड़ी थी. 2010 में एनडीए का अब तक का सबसे शानदार प्रदर्शन रहा.

2015 विधानसभा चुनाव : बिहार में नीतीश कुमार के आरजेडी के साथ जाने के कारण महागठबंधन का निर्माण हुआ इसमें आरजेडी 80, जेडीयू 71, कांग्रेस 27 सीटों पर जीतीं. तीनों ने एक साथ लड़ा और 178 सीट पर जीत हासिल की. 32.9% वोट महागठबंधन को मिला, वहीं एनडीए में बीजेपी 53, लोजपा दो, रालोसपा 2 और हम सेकुलर ने एक सीट पर जीत हासिल की. चार दलों में NDA को 34.9% वोट आया. नीतीश कुमार के नेतृत्व में महागठबंधन की सरकार बनी. तेजस्वी यादव को उपमुख्यमंत्री बनाया गया.

2020 विधानसभा चुनाव : 2020 विधानसभा चुनाव में एनडीए में जेडीयू, बीजेपी, हम और वीआईपी एक साथ चुनाव लड़ी. दूसरी तरफ महागठबंधन में आरजेडी, कांग्रेस और तीनों वामपंथी दल एक साथ थे. एनडीए के चार दल के मुकाबले महागठबंधन के पांच दलों का मुकाबला हुआ और फिर एनडीए की सरकार बन गई. NDA से महागठबधन को 12768 हजार वोट कम मिला लेकिन लेकिन वोट प्रतिशत के हिसाब से 0.03% ही महागठबंधन को कम मिला था और सरकार बनाते-बनाते महागठबंधन रह गया. एनडीए को 125 सीट मिला था तो महा गठबंधन को 110 सीट.

लोजपा को एक सीट : NDA को 37.26% वोट मिले तो महागठबंधन को 37.23% वोट प्राप्त हुआ. लोजपा अकेले चुनाव लड़ी और 134 सीट पर एक में जीत और 9 सीट पर दूसरे नम्बर पर रही. लोजपा को 5.64% वोट प्राप्त हुआ. लोजपा के कारण एनडीए को काफी नुकसान हुआ, जिसका फायदा आरजेडी और महागठबंधन के उन घटक दलों को हुआ. वामपंथी दल 16 सीट जीतने में कामयाब हुए.

कांटे की रही टक्कर : NDA को 1 करोड़ 57 लाख 1226 वोट मिले जबकि महागठबंधन को 1 करोड़ 56 लाख 88458 वोट मिला. NDA को 125 सीटें मिलीं और महागठबंधन को 110 सीटों पर संतोष करना पड़ा. आरजेडी को 75, बीजेपी को 74, जेडीयू को 43, कांग्रेस 19, माले को 12 सीट मिली, अन्य दोनों वामपंथी दलों को चार सीटें मिली. AIMIM ने भी 5 सीट जीती और वीआईपी को चार सीट मिली. बाद में AIMIM और वीआईपी के विधायकों ने पाला बदल लिया.

7 PARTIES ALLIANCE WAS FORMED
अरुण पांडेय राजनीतिक विशेषज्ञ (ETV Bharat)

''लोहिया जी ने कांग्रेस के खिलाफ मुहिम पूरे देश में चलाया. 1967 में कई राज्यों में कांग्रेस के विरोध में सरकार बनी. बिहार में भी कांग्रेस को बाहर रखने के लिए 7 दलों ने मिलकर सरकार बनाई. आज बिहार में चुनाव लड़ने के लिए गठबंधन तय हो रहा है कि गठबंधन में कौन दल जाएंगे. यह फैसला पहले हो रहा है और बिना गठबंधन की अब तो सरकार बन भी नहीं सकती है. NDA में जहां पांच दल हैं तो वहीं महागठबंधन में अब लालू जी चूड़ा दही भोज में पशुपति पारस के यहां चले गए और उन्हें ग्रीन सिग्नल दे दिया, लेकिन अभी जो स्थिति है उसमें एनडीए की मजबूत लग रही है.''- अरुण पांडेय, राजनीतिक विशेषज्ञ

एनडीए एकजुटता के साथ चुनावों में उतरेगी : जदयू के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और समाजवादी नेता वशिष्ठ नारायण सिंह का कहना है कि ''1967 की घटना बिहार की राजनीति को बदलने वाली थी. चुनाव में अपनी आइडेंटिटी के साथ कई नेता जीत कर आए और फिर बाद में सब ने मिलकर सरकार बनाया. उसमें कई दल शामिल थे. महामाया बाबू की भूमिका महत्वपूर्ण थी और कर्पूरी ठाकुर की भी.'' जेडीयू का दावा है कि एनडीए के 5 दल एकजुटता के साथ चुनाव में जाएंगे. जहां तक महागठबंधन की बात है कहीं से एक जुट नहीं लग रहे हैं. आने वाले समय में सभी दल अलग-अलग चुनाव लड़ेंगे.

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समाजवादी नेता वशिष्ठ नारायण सिंह (ETV Bharat)

एनडीए स्वार्थ का गठबंधन-RJD : हालांकि आरजेडी नेताओं का कहना है एनडीए सत्ता के स्वार्थ के लिए गठबंधन बना हुआ है. प्रवक्ता एजाज अहमद का कहना है ''लालू प्रसाद यादव रामविलास परिवार के साथ हमेशा मुसीबत में खड़े रहे हैं. पशुपति पारस मंत्रिमंडल में भी रहे हैं, लेकिन चिराग पासवान सत्ता और स्वार्थ के लिए जिनके हनुमान बने हुए हैं. लगातार अपमान करते रहे हैं अब इनके यहां गठबंधन कितना मजबूत है, यह तो चूड़ा दही के भोज में ही पता चल गया, जब नीतीश कुमार को भाजपा के इशारे पर अपमानित किया गया.''

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आरजेडी प्रवक्ता एजाज अहमद (ETV Bharat)

5 दल के मुकाबले 7 दल की लड़ाई : बिहार में एनडीए में पांच दल हैं बीजेपी, जेडीय़ू, हम, लोजपा रामविलास और राष्ट्रीय लोक मोर्चा. पांचों दल का संयुक्त अभियान भी शुरू हो गया है. 2025 विधानसभा चुनाव में 225 सीट जीतने का दावा कर रहे हैं. दूसरी तरफ महागठबंधन में राजद, कांग्रेस, वीआईपी और वामपंथी दलों की तीनों दल मिलकर 6 दल और यदि पशुपति पारस भी उसमें शामिल होते हैं तो 7 दल हो जाएगा. दोनों गठबंधन के तरफ से अभी से ही दावे हो रहे हैं ऐसे में जैसे जैसे चुनाव नजदीक आएगा दोनों तरफ से शक्ति प्रदर्शन भी होगा और दावे भी और तेज होंगे.

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Last Updated : Jan 17, 2025, 1:43 PM IST
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