नई दिल्ली: दिल्ली में यूपीएससी की कोचिंग कराने वाले एक इंस्टीट्यूट को खुद को ब्रांड साबित करना महंगा पड़ गया, इस कोचिंग संस्थान पर भ्रामक प्रचार के लिए 5 लाख का जुर्माना लगाया है. ये कोचिंग है करोल बाग स्थित शंकर आईएएस अकादमी. आरोप है कि इस संस्थान ने इनके यहां से कोचिंग करके यूपीएससी पास करने वाले अभ्यर्थियों का गलत आंकड़ा अपने विज्ञापनों में साझा किया. साथ ही यूपीएससी अभ्यर्थियों को आकर्षित करने के लिए इसका लाभ उठाया. इस मामले में कार्रवाई करते हुए केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण (सीसीपीए) ने कोचिंग संस्थान पर पांच लाख रूपये का जुर्माना लगाया है.
यह जुर्माना 2019 में बनाए गए उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के प्रावधानों के तहत उपभोक्ताओं के हितों को ध्यान में रखते हुए लगाया गया है. ताकि वस्तु और सेवाओं से जुड़ा हुआ किसी भी तरह का भ्रामक प्रचार नहीं किया जा सके. प्राधिकरण की प्रमुख निधि खरे ने जानकारी देते हुए बताया कि विभिन्न रिपोर्ट्स के अनुसार प्रति वर्ष करीब 10 लाख अभ्यर्थी यूपीएससी के लिए अप्लाई करते हैं. शंकर आईएएस का प्रचार इन उम्मीदवारों को ध्यान में रखते हुए तैयार किया गया था.
अकादमी ने यूपीएससी के 2022 के परिणाम में खुद को प्रभावशाली दिखाने के लिए झूठे तथ्यों का सहारा लिया था. अकादमी ने दावा किया था कि साल 2022 में यूपीएससी के लिए चुने गए 933 अभ्यर्थियों में से 336 ने उनके यहां से कोचिंग ली थी. इतना ही नहीं यहां तक भी दावा किया गया था कि शीर्ष 100 में से 40 अभ्यर्थियों ने उनके यहां से कोचिंग ली थी. साथ ही यह भी दावा किया गया कि तमिलनाडु के 40 अभ्यर्थियों ने परीक्षा पास की थी, उसमें से 37 ने उनके यहां से कोचिंग ली. इन झूठे आंकड़ों को पेश करते हुए शंकर आईएएस ने अपने आप को बाजार में एक ब्रांड के रूप में पेश किया. जांच में पाया गया कि अकादमी ने कई कोर्स चलाए हुए हैं. लेकिन संस्थान ने अपने प्रचार के दौरान इस तथ्य को छुपाया कि यूपीएससी परीक्षा में सफल हुए उनके यहां के किस बच्चे ने कौन सा कोर्स लिया था. इस तरह के प्रचार से बच्चों में झूठी धारणा बन रही थी कि पास हुए बच्चों ने वही कोर्स खरीदे हैं जो अकादमी द्वारा पैसे देकर चलाए जा रहे हैं. इस तरह के प्रचार से लोगों को पेड कोर्स खरीदने के लिए प्रेरित किया जा रहा है.
जांच आगे बढ़ी तो अकादमी सिर्फ 333 ही सफल अभ्यर्थियों के बारे में जानकारी दे पाई. जबकि एकेडमी ने अपने प्रचार में 336 से अधिक लोगों के सफल होने का दावा किया था. जांच में पाए गए 336 अभ्यर्थियों में से 221 लोग निशुल्क मॉक इंटरव्यू से जुड़े गाइडेंस प्रोग्राम का हिस्सा थे. 71 लोग मेंस टेस्ट सीरीज से जुड़े थे. 35 प्रीलिम्स टेस्ट सीरीज से जुड़े थे. 12 लोग सामान्य अध्ययन के पहले और दूसरे चरण से जुड़े थे. इस तरह अकादमी द्वारा अपने प्रचार में इस्तेमाल किए गए तथ्यों को गलत पाया गया.
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