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सनातन धर्म छोड़कर 40 दलित परिवारों ने अपनाया बौद्ध धर्म, शपथ ली कि भगवान को नहीं मानेंगे

40 dalit families converted to buddhism : बहगवां में जाटव समाज के लोगों ने हिन्दू धर्म का त्याग करते हुए बौद्ध धर्म अपना लिया. बौद्ध धर्म अपनाने वालों ने उनके साथ छुआछूत का आरोप लगाया है.

40 dalit families converted to buddhism
सनातन धर्म छोड़कर 40 दलित परिवारों ने अपनाया बौद्ध धर्म
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Feb 4, 2024, 9:47 AM IST

Updated : Feb 4, 2024, 10:26 AM IST

सनातन धर्म छोड़कर 40 दलित परिवारों ने अपनाया बौद्ध धर्म

शिवपुरी. जिले के करैरा के ग्राम बहगवां में जाटव समाज के लोगों ने हिन्दू धर्म त्याग करते हुए बौद्ध धर्म अपना लिया. बौद्ध धर्म अपनाने वालों को शपथ दिलाई गई कि वे हिंदू देवी-देवताओं को न मानेंगे और ना ही उनकी पूजा करेंगे. 40 दलित परिवारों के धर्म परिवर्तन के पीछे छुआछूत को वजह बताया जा रहा है. जबकि गांव के सरपंच का कहना है कि सभी आरोप निराधार हैं. ग्रामीणों को बहलाफुसला कर उनसे बौद्ध धर्म स्वीकार करवाया गया है.

शिव, राम, कृष्ण किसी को नहीं मानेंगे

ग्राम बहगवां से एक वीडियो भी सामने आया है, जिसमें जाटव समाज के लोगों को बौद्ध धर्म अपनाने के लिए शपथ दिलाई जा रही है. शपथ में ये कहने के लिए कहा जा रहा है कि हम शिव, राम, कृष्ण या हिंदू देवी-देवताओं को न मानेंगे और ना ही उनकी पूजा करेंगे. साथ ही यह भी शपथ दिलाई गई कि वे इस बात पर भरोसा नहीं करेंगे कि हिंदू धर्म में भगवान ने अवतार लिया या भगवान बुद्द विष्णु के अवतार हैं.

दलित परिवारों ने क्यों अपनाया बौद्ध धर्म?

जानकारी के अनुसार ग्राम बहगवां में लोगों ने साथ मिलकर भागवत कथा का आयोजन करवाया था। गांव में 25 साल बाद सम्मिलित रूप से हुई भागवत कथा के लिए सभी समाज के लोगों ने चंदा एकत्रित किया. भंडारे से एक दिन पहले 31 जनवरी को जाटव समाज के 40 घरों ने अचानक से बौद्ध धर्म स्वीकार कर लिया और हिंदू धर्म का परित्याग करने की शपथ ली. महेंद्र बौद्ध का कहना है कि भंडारे में सभी समाजों को काम बांटे गए, इसी क्रम में जाटव समाज को पत्तल परसने और झूठी पत्तल उठाने का काम सौंपा गया था, लेकिन बाद में किसी व्यक्ति ने यह कह दिया कि अगर जाटव समाज के लोग पत्तल परसेंगे तो पत्तल तो वैसे ही खराब हो जाएगी.

ये धर्मपरिवर्तन का बहाना, छुआछूत जैसा कुछ नहीं : सरपंच

इस मामले में गांव के सरपंच गजेंद्र रावत का कहना है कि जाटव समाज के आरोप पूरी तरह निराधार हैं. उनके अनुसार उक्त समाज के लोगों ने एक दिन पूर्व ही अपने हाथ से केले का प्रसाद बांटा था जो पूरे गांव से लिया और खाया भी. सरपंच ने कहा कि गांव में बौद्ध भिक्षु आए थे, उन्होंने समाज के लोगों को बहलाफुसला कर धर्म परिवर्तन करवाया है. पूरे गांव में किसी भी तरह का काम किसी समाज विशेष को नहीं बांटा गया था, सभी ने मिलजुल कर सारे काम किए हैं. अन्य हरिजन समाज के लोगों ने भी परसाई करवाई, झूठी पत्तल उठाईं हैं. उन लोगों के साथ छुआछूत जैसी कोई बात ही नहीं.

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धर्म परिवर्तन मामले में होगी जांच

इस मामले में शिवपुरी कलेक्टर रविंद्र कुमार चौधरी ने कहा, यह मामला हमारे संज्ञान में नहीं आया है. मैं पता करवाता हूं कि आखिर इतने परिवारों ने एक साथ धर्म परिवर्तन क्यों किया. इस मामले की गहराई से पड़ताल करना जरूरी है, क्योंकि कोई भी व्यक्ति सिर्फ एक दिन में धर्म परिवर्तन कर ले, यह संभव नहीं है. जांच के बाद ही सच्चाई सामने आ सकेगी.

सनातन धर्म छोड़कर 40 दलित परिवारों ने अपनाया बौद्ध धर्म

शिवपुरी. जिले के करैरा के ग्राम बहगवां में जाटव समाज के लोगों ने हिन्दू धर्म त्याग करते हुए बौद्ध धर्म अपना लिया. बौद्ध धर्म अपनाने वालों को शपथ दिलाई गई कि वे हिंदू देवी-देवताओं को न मानेंगे और ना ही उनकी पूजा करेंगे. 40 दलित परिवारों के धर्म परिवर्तन के पीछे छुआछूत को वजह बताया जा रहा है. जबकि गांव के सरपंच का कहना है कि सभी आरोप निराधार हैं. ग्रामीणों को बहलाफुसला कर उनसे बौद्ध धर्म स्वीकार करवाया गया है.

शिव, राम, कृष्ण किसी को नहीं मानेंगे

ग्राम बहगवां से एक वीडियो भी सामने आया है, जिसमें जाटव समाज के लोगों को बौद्ध धर्म अपनाने के लिए शपथ दिलाई जा रही है. शपथ में ये कहने के लिए कहा जा रहा है कि हम शिव, राम, कृष्ण या हिंदू देवी-देवताओं को न मानेंगे और ना ही उनकी पूजा करेंगे. साथ ही यह भी शपथ दिलाई गई कि वे इस बात पर भरोसा नहीं करेंगे कि हिंदू धर्म में भगवान ने अवतार लिया या भगवान बुद्द विष्णु के अवतार हैं.

दलित परिवारों ने क्यों अपनाया बौद्ध धर्म?

जानकारी के अनुसार ग्राम बहगवां में लोगों ने साथ मिलकर भागवत कथा का आयोजन करवाया था। गांव में 25 साल बाद सम्मिलित रूप से हुई भागवत कथा के लिए सभी समाज के लोगों ने चंदा एकत्रित किया. भंडारे से एक दिन पहले 31 जनवरी को जाटव समाज के 40 घरों ने अचानक से बौद्ध धर्म स्वीकार कर लिया और हिंदू धर्म का परित्याग करने की शपथ ली. महेंद्र बौद्ध का कहना है कि भंडारे में सभी समाजों को काम बांटे गए, इसी क्रम में जाटव समाज को पत्तल परसने और झूठी पत्तल उठाने का काम सौंपा गया था, लेकिन बाद में किसी व्यक्ति ने यह कह दिया कि अगर जाटव समाज के लोग पत्तल परसेंगे तो पत्तल तो वैसे ही खराब हो जाएगी.

ये धर्मपरिवर्तन का बहाना, छुआछूत जैसा कुछ नहीं : सरपंच

इस मामले में गांव के सरपंच गजेंद्र रावत का कहना है कि जाटव समाज के आरोप पूरी तरह निराधार हैं. उनके अनुसार उक्त समाज के लोगों ने एक दिन पूर्व ही अपने हाथ से केले का प्रसाद बांटा था जो पूरे गांव से लिया और खाया भी. सरपंच ने कहा कि गांव में बौद्ध भिक्षु आए थे, उन्होंने समाज के लोगों को बहलाफुसला कर धर्म परिवर्तन करवाया है. पूरे गांव में किसी भी तरह का काम किसी समाज विशेष को नहीं बांटा गया था, सभी ने मिलजुल कर सारे काम किए हैं. अन्य हरिजन समाज के लोगों ने भी परसाई करवाई, झूठी पत्तल उठाईं हैं. उन लोगों के साथ छुआछूत जैसी कोई बात ही नहीं.

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धर्म परिवर्तन मामले में होगी जांच

इस मामले में शिवपुरी कलेक्टर रविंद्र कुमार चौधरी ने कहा, यह मामला हमारे संज्ञान में नहीं आया है. मैं पता करवाता हूं कि आखिर इतने परिवारों ने एक साथ धर्म परिवर्तन क्यों किया. इस मामले की गहराई से पड़ताल करना जरूरी है, क्योंकि कोई भी व्यक्ति सिर्फ एक दिन में धर्म परिवर्तन कर ले, यह संभव नहीं है. जांच के बाद ही सच्चाई सामने आ सकेगी.

Last Updated : Feb 4, 2024, 10:26 AM IST
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