चंडीगढ़: हरियाणा विधानसभा चुनाव में सरकार बनाने के लिए बीजेपी और कांग्रेस पूरे जोर शोर से जुटी हुई हैं. सत्ता की लड़ाई इन्हीं दोनो पार्टियों के बीच बताई जा रही है. लेकिन दोनों दलों के कई दिग्गज नेता अंतरखाने में नाराज बाताये जा रहे हैं, जिससे दोनों दलों का पारा चढ़ा हुआ है. ये नाराज नेता अगर 5 से 10 सीटें भी हरा दिये तो सत्ता की चाभी फिसल सकती है. ये हालत कमोबसे बीजेपी और कांग्रेस दोनों में है. हरियाणा का चुनावी इतिहास देखें तो हरियाणा में हर पार्टी पिछले कई चुनाव से 5 से 10 सीटों के मामूली अंतर से बहुमत से दूर रह जाती है. इसलिए इन नेताओं की अहमियत बढ़ जाती है. खास बात ये है कि अनुशासन वाली पार्टी बीजेपी में इस बार नाराज नेता सबसे ज्यादा हैं.
1. अनिल विज बीजेपी के लिए बड़ी मुश्किल
मनोहर लाल खट्टर की जगह नायब सैनी को सीएम बनाये जाने से नाराज हुए अनिल विज बीजेपी के लिए बड़ी टेंशन बने हुए हैं. पूर्व गृह मंत्री अनिल विज अंबाला कैंट से चुनाव तो लड़ रहे हैं. लेकिन प्रदेश स्तर पर उनकी सक्रियता नहीं दिखाई दे रही. लोकसभा चुनाव में भी वो प्रचार करने नहीं निकले थे, जिसके चलते बीजेपी अंबाला सीट हार गई थी. अनिल विज को मनाने के लिए नायब सैनी से लेकर मनोहर लाल सबने जोर लगाया लेकिन विधानसभा चुनाव में भी अनिल विज अभी तक अपनी अंबाला कैंट सीट को छोड़कर कहीं सक्रिय नहीं नजर आ रहे हैं. उन्होंने यहां तक कहा था कि उन्हें पार्टी में बेगाना कर दिया गया है.
2. राव इंद्रजीत ने चली चौधर की चाल
अहीरवाल के बड़े नेता और बीजेपी सरकार में केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत के बारे में राजनीतिक जानकार कहते हैं कि वो अपने लिए राजनीति करते हैं. राव इंद्रजीत बीजेपी से नाराज हुए बड़े नेता रामबिलास शर्मा के निर्दलीय नामांकन में पहुंचकर उन्हें समर्थन दिया था. रामबिलास शर्मा पुराने आरएसएस के नेता और पूर्व मंत्री हैं. इस बार उनका टिकट बीजेपी ने काट दिया है. जिसका राव इंद्रजीत ने भी विरोध किया था. राव के इस दांव को अहीरवाल में उनकी लॉबिंग के तौर पर देखा जा रहा था. अगर राव इंद्रजीत इस राह पर चलते हैं तो बीजेपी को कई सीटों का नुकसान हो सकता है. अहीरवाल इलाके में करीब 12 सीटें आती हैं. हलांकि बीजेपी ने राव इंद्रजीत की बेटी आरती राव को इस बार टिकट दिया है.
3. रामबिलास शर्मा जब हुए बागी
हरियाणा बीजेपी के कद्दावर नेता और पूर्व मंत्री रामबिलास शर्मा को बीजेपी ने इस बार टिकट नहीं दिया. नाराज रामबिलास शर्मा ने निर्दलीय नामांकन भी कर दिया था. उनके नामकांन में केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत भी पहुंचे थे. हलांकि मनाने के बाद में उन्होंने अपना नामांकन वापस ले लिया. राजनीतिक जानकार कहते हैं कि रामबिलास शर्मा ने नामांकन भले वापस ले लिया हो लेकिन इतने पुराने नेता होने के बावजूद दरकिनार किये जाने से वो अंदरखाने में नाराज हैं. हरियाणा में करीब 7 प्रतिशत ब्राह्मण वोटर हैं, रामिबलास शर्मा की नाराजगी से बीजेपी का ब्राह्मण मतदाता बिखर सकता है.
4. BJP ओबीसी मोर्चा के अध्यक्ष कर्णदेव कंबोज कांग्रेस में शामिल
हरियाणा की बीजेपी सरकार में मंत्री रहे हरियाणा ओबीसी मोर्चा के अध्यक्ष कर्ण देव कंबोज भी पार्टी से भयंकर नाराज हैं. कंबोज हरियाणा के बड़े ओबीसी नेता हैं. वो करनाल की इंद्री और यमुनानगर के रादौर से चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे थे लेकिन पार्टी ने उन्हें टिकट नहीं दिया. जिसके बाद नाराज कर्णदेव कंबोज कांग्रेस में शामिल हो गये. और बीजेपी पर ओबीसी विरोधी होने का आरोप लगा डाला. उन्हें मनाने के लिए सीएम नायब सैनी पहुंचे तो कर्ण देव कंबोज ने उनसे हाथ तक नहीं मिलाया. राजनीतिक जनाकारों का मानना है कि कर्ण देव कंबोज की नाराजगी कई सीटों पर बीजेपी के ओबीसी वोटर को भी नाराज कर सकती है.
5. देवीलाल के बेटे रणजीत चौटाला भी बीजेपी के विद्रोही
देवीलाल के बेटे और पूर्व मंत्री रणजीत चौटाला को भी बीजेपी ने विधानसभा का टिकट नहीं दिया. लोकसभा चुनाव में हिसार से बीजेपी उम्मीदवार रहे रणजीत चौटाला बीजेपी से नाराज हो गये और निर्दलीय मैदान में उतर गये हैं. हलांकि 2019 में वो निर्दलीय ही चुनाव जीतकर विधायक बने थे. लेकिन लोकसभा चुनाव में बीजेपी में शामिल होने के बाद उन्हें उम्मीद थी कि पार्टी विधानसभा में भी टिकट देगी. रणजीत चौटाला भी केवल अपनी रानिया सीट तक ही सिमटे हुए हैं.
6. सोनीपत में बीजेपी की पूर्व मंत्री कविता जैन नाराज
बीजेपी की एक और पूर्व मंत्री कविता जैन भी पार्टी से नाराज हैं. इस बार उनका टिकट काट दिया गया है. टिकट कटने के बाद कविता जैन फूट फूटकर रोने लगी थीं. कविता सोनीपत से विधायक रही हैं. मनोहर सरकार में मंत्री भी रहीं. लेकिन 2019 में वो चुनाव हार गईं थी. टिकट कटने से नाराज कविता जैन के पति राजीव जैन ने निर्दलीय नामांकर कर दिया था. बाद में सीएम नायब सैनी उन्हें मनाने पहुंचे थे. जिसके बाद उन्होंने नामांकन वापस ले लिया. कविता जैन की नाराजगी सोनीपत इलाके में पार्टी के लिए मुश्किल हो सकती है.
7. कुमारी सैलजा की नाराजगी से कांग्रेस बेहाल
कांग्रेस के नाराज नेताओं की लिस्ट में सिरसा से कांग्रेस की सांसद और पूर्व केंद्रीय मंत्री कुमारी सैलजा पहले नंबर पर आती हैं. सैलजा हरियाणा की बड़ी नेता और दलित समुदाय का बड़ा चेहरा हैं. उनकी नारजगी कांग्रेस को सत्ता से दूर कर सकती है. क्योंकि हरियाणा में करीब 21 फीसदी दलित वोट है. सैलजा प्रचार के लिए नहीं निकल रही हैं. राजनीतिक गलियारे में चर्चा है कि टिकट बंटवारे में हुड्डा गुट को तवज्जो देने के चलते सैलजा नाराज हैं. सैलजा की नाराजगी हरियाणा की 17 दलित आरक्षित सीटों के अलावा भी कई सीटों पर प्रभाव डाल सकती हैं. इसीलिए आलाकमान अब उन्हें मनाने में जुटा है. सैलजा भूपेंद्र हुड्डा को दरकिनार करके सीएम पद के लिए दावेदारी भी करती रही हैं.
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8. कांग्रेस के कैप्टन अपने घर में सीमित
अहीरवाल के बड़े नेता और पूर्व मंत्री कैप्टन अजय यादव हरियाणा कांग्रेस के कद्दावर नेता हैं. प्रदेश में वो बड़ा ओबीसी चेहरा हैं. हरियाणा में ओबीसी मतदाता सबसे ज्यादा हैं. राजनीतिक विश्लेष कहते हैं कि अजय यादव पिछले कई चुनाव से अपने गृह जिले रेवाड़ी से बाहर प्रचार के लिए नहीं निकल रहे हैं. लोकसभा चुनाव में गुरुग्राम सीट से उनका टिकट काटकर राज बब्बर को दे दिया गया था. उस समय भी उन्होंने नाराजगी जाहिर की थी. अजय यादव की नाराजगी भी भूपेंद्र हुड्डा गुट से रहती है. हलांकि कांग्रेस ने उनके बेटे चिरंजीव राव को रेवाड़ी से टिकट दिया है. चिरंजीव राव खुद को डिप्टी सीएम का दावेदार भी बात चुके हैं. इस मामले पर अजय यादव ने भी समर्थन किया है. अजय यादव का रेवाड़ी में सिमटे रहना कांग्रेस के लिए मुश्किल खड़ी कर सकता है.
9. रणदीप सुरजेवाला की हुड्डा गुट से रार
राजनीतिक जानकार कहते हैं कि रणदीप सुरजेवाला भी कुमारी सैलजा गुट के नेता हैं. हरियाणा कांग्रेस में भूपेंद्र हुड्डा गुट के खिलाफ सैलजा, रणदीप सुरजेवाला और किरण चौधरी ने SRK गुट बनाया था. किरण चौधरी बीजेपी में चली गई हैं. जिसके बाद अब सुरजेवाला और सैलजा रह गई हैं. सैलजा की नाराजगी पर सुरजेवाला ने भी उन्हें खुलकर समर्थन दिया. सुरजेवाला हरियाणा कांग्रेस जाट नेता हैं. विधानसभा चुनाव में सुरजेवाला और सैलजा अभी तक प्रचार के लिए जोर-शोर के साथ नजह नहीं आये. सुरजेवाला अपने गृह जिले कैथल और जींत तक ही सीमित हैं. चुनाव के बीच इनकी नाराजगी पार्टी पर भारी पड़ सकती है.
10. चंद्रमोहन बिश्नोई ने अपनी पार्टी पर साधा निशाना
हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भजनलाल के बड़े बेटे और पंचकूला से कांग्रेस उम्मीदवार चंद्रमोहन बिश्नोई भी अपनी ही पार्टी पर निशाना साध चुके हैं. चंद्रमोहन बिश्नोई कुमारी सैलजा गुट के नेता माने जाते हैं. सैलजा की नाराजगी के बीच चंद्रमोहन बिश्नोई ने कहा था कि कांग्रेस पार्टी उनके साथ अच्छा नहीं कर रही है. चंद्रमोहन बिश्नोई भजन लाल के बेटे होने के चलते प्रदेश के चर्चित चेहरे में गिने जाते हैं. लेकिन वो भी केवल अपनी सीट तक ही सीमित हैं.