તેમણે કહ્યું કે, આ જ કારણ છે કે BIMSTECના નેતાઓને વડાપ્રધાન મોદીની શપથગ્રહણ વિધીમાં નિમંત્રણ આપવામાં આવ્યું હતું. 31મી મેના રોજ વિદેશપ્રધાન તરીકે પદગ્રહણ કરનાર એસ.જયશંકરે પ્રથમ વખત સાર્વજનિક કાર્યક્રમમાં સંબોધન કર્યું હતું. તેમણે કહ્યું કે દક્ષિણ એશિયાના દેશો સાથે સારા સંપર્ક બનાવા માટે ભારતને ઉદારનીતિ સાથે અનુકરણ કરવું જોઈએ તથા પાડોસી દેશ સાથે સહયોગ બનાવો જોઇએ.
જયશંકરએ વધુમાં જણાવ્યું કે, “SAARCની સાથે સમસ્યા છે. મારૂ માનવું છે કે અમે આ બધાથી જાગૃત છીએ. તમે આતંકવાદની બાબતને અલગ કરી દો તો સંપર્ક અને વ્યાપાર સંબધી સમસ્યાઓ છે.આ સ્પષ્ઠરીતે પારિસ્તાનની તરફથી બોલી રહ્યા હતા. જેની સાથે ભારત સારા સંબધ બનાવા માટે અસમર્થ છે. કારણ કે આંતકવાદને વધારે સમર્થન આપવામાં આવી રહ્યું છે. જેથી ભારતને નુકસાન પહોંચાડવામાં આવી રહ્યું છે.”
પાકિસ્તાન SAARC નો સભ્ય છે. SAARC માં ભારતની સાથો સાથ અફઘાનિસ્તાન, ભૂટાન, નેપાલ, બાંગ્લાદેશ, શ્રીલંકા તથા માલદીવનો સમાવેશ થાય છે.
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भारत के साथ सहयोग में बिम्सटेक दुरुस्त, सार्क को समस्या : जयशंकर
नई दिल्ली, 6 जून (आईएएनएस)| विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने गुरुवार को कहा कि भारत के आशावादी आर्थिक सहयोग के नजरिये को लेकर बिम्सटेक नेताओं की ऊर्जा और मानसिकता दुरुस्त है, जबकि सार्क के साथ समस्या है। उन्होंने यह बात स्पष्ट तौर पर पाकिस्तान के संदर्भ में कही।
उन्होंने कहा कि इसी वजह से बिम्सटेक के नेताओं को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के शपथ ग्रहण समारोह में पिछले महीने आमंत्रित किया गया।
31 मई को विदेश मंत्री का पदभार ग्रहण करने के बाद पहली बार किसी सार्वजनिक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए पूर्व विदेश सचिव ने कहा कि दक्षिण एशिया के देशों के साथ बेहतर संपर्क का मार्ग सुगम बनाने के लिए भारत को उदारवादी नीति का अनुसरण करना चाहिए और पड़ोसियों के साथ आगे बढ़कर सहयोग बढ़ाना चाहिए न कि परस्पर आदान-प्रदान पर ज्यादा जोर देना चाहिए।
जयशंकर ने कहा, "सार्क के साथ कुछ समस्याएं हैं और मेरा मानना है कि हम इनसे अवगत हैं। आप आतंकवाद के मसले को अलग भी कर दें तो संपर्क और व्यापार संबंधी समस्याएं हैं।"
वह स्पष्ट तौर से पाकिस्तान ने संदर्भ में बोल रहे थे जिसके साथ भारत सुखद संबंध बनाने में असमर्थ है क्योंकि वहां से लगातार आतंकवाद को बढ़ावा दिया जा रहा है जिससे भारत को नुकसान पहुंचाया जा रहा है।
पाकिस्तान आठ देशों का समूह दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन (सार्क) का सदस्य है। सार्क में भारत के साथ-साथ अफगानिस्तान, भूटान, नेपाल, बांग्लादेश, श्रीलंका और मालदीव शामिल हैं।
मोदी ने पहली बार 2014 में जब भारत प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ग्रहण किया था जो उस समारोह में पाकिस्तान के तत्कालीन प्रधानमंत्री नवाज शरीफ समेत सार्क में शामिल सभी देशों के प्रमुखों ने शिरकत की थी।
इसके पीछे यही मकसद था कि भारत अपने पड़ोसी देशों को खास तवज्जो देता है।
हालांकि इस बार बे ऑफ बंगाल इनिशिएटिव फॉर मल्टी सेक्टोरल टेक्निकल एंड इकॉनोमिक को-ऑपरेशन (बिम्सटेक) के नेताओं को आमंत्रित किया गया। इसमें सार्क के छह देश शामिल हैं, लेकिन पाकिस्तान नहीं है।
--आईएएनएस
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