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নীতির প্রশ্নে আপোস নয়, 370 প্রত্যাহারের সমর্থনে বললেন কংগ্রেস নেতা হুদা

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Published : Aug 18, 2019, 5:16 PM IST

জম্মু ও কাশ্মীর থেকে 370 ধারা প্রত্যাহার প্রসঙ্গে কেন্দ্রীয় সরকারকে সমর্থন করলেন কংগ্রেস নেতা তথা হরিয়ানার প্রাক্তন মুখ্যমন্ত্রী ভুপিন্দর সিং হুদা ।

নীতির প্রশ্নে আপোস নয়, 370 প্রত্যাহারের সমর্থনে বললেন কংগ্রেস নেতা হুদা

রোহতক, 18 অগাস্ট : জম্মু ও কাশ্মীর থেকে 370 ধারা প্রত্যাহার প্রসঙ্গে কংগ্রেসের নীতি থেকে সরে গিয়ে কার্যত কেন্দ্রীয় সরকারকে সমর্থন করলেন কংগ্রেস নেতা তথা হরিয়ানার প্রাক্তন মুখ্যমন্ত্রী ভুপিন্দর সিং হুদা ।

আজ রোহতকে এক জনসভায় ভাষণ দেওয়ার সময় 370 ধারা প্রত্যাহার প্রসঙ্গে তিনি বলেন, "স্বাধীনতা সংগ্রামীদের পরিবারের আমার জন্ম । এর পরেই বিখ্যাত উর্দু কবি জ়াহিদ হুসেন তথা ওয়াসিম বরেলভির একটি কবিতার লাইন উদ্ধৃত করে বলেন, "যাঁরা 370 ধারা প্রত্যাহারের বিরোধিতা করছেন তাঁদের উদ্দেশে আমি বলতে চাই যে, নীতি নিয়ে কেউ প্রশ্ন করলে সমস্ত শক্তি দিয়ে তার বিরোধিতা করা উচিত । শুধু বেঁচে থাকাটাই বড় কথা নয়, আপনি যে বেঁচে আছেন সেটা বাকিদের দেখানো জরুরি ।"

অবশ্য ভুপিন্দার সিং হুদাই প্রথম নন । এর আগে 370 ধারা প্রত্যাহার ইশুতে পার্টিলাইন থেকে সরে এসে জ্যোতিরাদিত্য সিন্ধিয়ার মতো তরুণ কংগ্রেস নেতার পাশাপাশি জনার্ধন দ্বিবেদির মতো বর্ষীয়ান নেতারাও কেন্দ্রীয় সরকারকে সমর্থন করেছিলেন । তা ছাড়া ভুপিন্দর সিংয়ের ছেলে তথা কংগ্রেস নেতা দীপেন্দর হুদাও 370 ধারা প্রত্যহারের সমর্থনে টুইট করেছিলেন ।

এছাড়া জনসভায় তিনি রাজ্যের বিভিন্ন প্রতিষ্ঠানে নিয়োগের ক্ষেত্রে ভূমিপুত্রদের অগ্রাধিকার দেওয়ার পক্ষে সওয়াল করেন । তিনি বলেন, "কংগ্রেস যদি রাজ্যে ফের ক্ষমতায় আসে তবে অন্ধ্রপ্রদেশের মতো আইন চালু করা হবে যার মাধ্যমে মোট চাকরির 75 শতাংশ ভূমিপুত্রদের জন্য সংরক্ষিত থাকবে ।"

রোহতক, 18 অগাস্ট : জম্মু ও কাশ্মীর থেকে 370 ধারা প্রত্যাহার প্রসঙ্গে কংগ্রেসের নীতি থেকে সরে গিয়ে কার্যত কেন্দ্রীয় সরকারকে সমর্থন করলেন কংগ্রেস নেতা তথা হরিয়ানার প্রাক্তন মুখ্যমন্ত্রী ভুপিন্দর সিং হুদা ।

আজ রোহতকে এক জনসভায় ভাষণ দেওয়ার সময় 370 ধারা প্রত্যাহার প্রসঙ্গে তিনি বলেন, "স্বাধীনতা সংগ্রামীদের পরিবারের আমার জন্ম । এর পরেই বিখ্যাত উর্দু কবি জ়াহিদ হুসেন তথা ওয়াসিম বরেলভির একটি কবিতার লাইন উদ্ধৃত করে বলেন, "যাঁরা 370 ধারা প্রত্যাহারের বিরোধিতা করছেন তাঁদের উদ্দেশে আমি বলতে চাই যে, নীতি নিয়ে কেউ প্রশ্ন করলে সমস্ত শক্তি দিয়ে তার বিরোধিতা করা উচিত । শুধু বেঁচে থাকাটাই বড় কথা নয়, আপনি যে বেঁচে আছেন সেটা বাকিদের দেখানো জরুরি ।"

অবশ্য ভুপিন্দার সিং হুদাই প্রথম নন । এর আগে 370 ধারা প্রত্যাহার ইশুতে পার্টিলাইন থেকে সরে এসে জ্যোতিরাদিত্য সিন্ধিয়ার মতো তরুণ কংগ্রেস নেতার পাশাপাশি জনার্ধন দ্বিবেদির মতো বর্ষীয়ান নেতারাও কেন্দ্রীয় সরকারকে সমর্থন করেছিলেন । তা ছাড়া ভুপিন্দর সিংয়ের ছেলে তথা কংগ্রেস নেতা দীপেন্দর হুদাও 370 ধারা প্রত্যহারের সমর্থনে টুইট করেছিলেন ।

এছাড়া জনসভায় তিনি রাজ্যের বিভিন্ন প্রতিষ্ঠানে নিয়োগের ক্ষেত্রে ভূমিপুত্রদের অগ্রাধিকার দেওয়ার পক্ষে সওয়াল করেন । তিনি বলেন, "কংগ্রেস যদি রাজ্যে ফের ক্ষমতায় আসে তবে অন্ধ্রপ্রদেশের মতো আইন চালু করা হবে যার মাধ্যমে মোট চাকরির 75 শতাংশ ভূমিপুত্রদের জন্য সংরক্ষিত থাকবে ।"

Intro:नैनीताल: महात्मा गांधी ऐसे व्यक्तित्व का नाम है जिन्होंने देश को गुलामी की जंजीरों से आजादी दिलाई थी. जिनकी एक आवाज पर लाखों लोगों का कारवां उनके पीछे चलता था. गांधी जी के जुनून ने देश को आजादी तो दिलाई ही लेकिन मरने के बाद भी आज भी वे लोगों के दिलों में अमर हैं. वहीं गांधी जी का देवभूमि से भी काफी लगाव रहा था. उनकी नैनीताल से बागेश्वर तक की यात्रा ने लोगों के दिलों में आजादी की चिंगारी को और भड़का दिया था. लेकिन अफसोस की बात है कि उनकी कई विरासतें आज खंडहर में तब्दील हो रही है. Body:जानकार बताते हैं कि गांधी जी इस यात्रा में वे कई रूप में नजर आते थे. कभी वे समाजसेवी तो कभी कुशल राजनीतिज्ञ और कभी आध्यात्मिक संत के रूप में लोगों से मुखातिब होते थे. महात्मा गांधी जी ने नैनीताल से बागेश्वर तक यात्रा की यात्रा के दौरान लोगों को आजादी की लड़ाई के लिये प्रेरित किया था. लेकिन आज गांधी गांधी के कुमाऊं दौरे की कई विरासतें देखरेख के अभाव में खंडहर में तब्दील होते जा रहे हैं. उन्हीं में से एक ताकुला स्थित गांधी मंदिर भी है.
14 जून 1929 को गांधी जी ताकुला पहुंचे थे, जिसके अगले दिन उन्होंने महिलाओं को संबोधित किया था. गांधी जी के संबोधन से महिलाओं में ऐसा प्रभाव पड़ा कि उन्होंने स्वतंत्रता आंदोलन के लिए अपने आभूषण दान दे दिए. महिलाओं के इस कदम से गांधी जी काफी प्रभावित हुए थे. जिसके परिणाम स्वरुप कुमाऊं के लोगों ने नमक सत्याग्रह आंदोलन में सक्रिय भूमिका निभाई थी. ताकुला के लोगों ने इस आश्रम को गांधी मंदिर नाम दिया.
जिसकी बुनियाद खुद महात्मा गांधी जी ने रखीं थी.जहां उन्होंने प्रवास भी किया था. लेकिन विडंबना देखिए गांधी जी की इस ऐतिहासिक धरोहर को सरकारें भूल गई. जो आज भी अपने हाल पर रो रहा है. वहीं गांधी दर्शन से जुड़े लोग इसको राष्ट्रीय स्मारक घोषित किये जाने की मांग कर रहे हैं. आज जरूरत है तो गांधी की इस ऐतिहासिक विरासत को सहेज कर रखने की, जिससे आने वाली पीढ़ी भी इससे रूबरू हो सकें.
Conclusion:बता दें कि पहली बार महात्मा गांधी 14 जून 14 जून 1929 को कुमाऊं दौरे पर आए थे और15 जून को नैनीताल वासियों को उनके इस्तकबाल का सौभाग्य मिला था. गांधी जी 14 जून को हल्द्वानी पहुंचने के बाद उसी दिन गांधी काठगोदाम-नैनीताल मार्ग पर स्थित ताकुला गांव पहुंचे थे. उसी समय महात्मा गांधी ने वहां गांधी आश्रम की नींव रखी थी. गांधी जी जिसके बाद भवाली, रानीखेत, अल्मोड़ा और बागेश्वर तक गए. दूसरी बार गांधी जी 1931 में पुनः कुमाऊं के दौरे पर आएं और ताकुला स्थित गांधी आश्रम में कुछ दिन तक रहे.

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