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प्रदेश सरकार की सभी राजकीय स्कूलों की लाइब्रेरी में किताबें मुहैया कराने की तैयारी, देगी ग्रांट

शिक्षा व्यवस्था को बेहतर बनाने के लिए सरकार की ओर से काफी जोर दिया जा रहा है. बेसिक स्कूलों में लाइब्रेरी (Libraries in Basic Schools) की सुविधा देने के बाद अब प्रदेश सरकार अपने राजकीय स्कूलों की बदहाल लाइब्रेरी व्यवस्था को सुदृढ़ करने के लिए कदम बढ़ा रही है.

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Published : Oct 18, 2022, 5:46 PM IST

लखनऊ : शिक्षा व्यवस्था को बेहतर बनाने के लिए सरकार की ओर से काफी जोर दिया जा रहा है. बेसिक स्कूलों में लाइब्रेरी (Libraries in Basic Schools) की सुविधा देने के बाद अब प्रदेश सरकार अपने राजकीय स्कूलों की बदहाल लाइब्रेरी व्यवस्था को सुदृढ़ करने के लिए कदम बढ़ा रही है. इसी कड़ी में राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान के तहत प्रदेश के सभी राजकीय इंटर कॉलेजों के हाईस्कूल व इंटरमीडिएट कक्षाओं की लाइब्रेरी में बुक मुहैया कराने की तैयारी कर ली है. इसका प्रस्ताव जल्द ही मंजूरी के लिए शासन को भेजा जाएगा.

राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान के विष्णु कांत तिवारी ने बताया कि प्रदेश के सभी राजकीय स्कूलों में लाइब्रेरी की समस्या को दूर करने के लिए सरकार ने विशेष योजना तैयार की है. जिसके तहत प्रदेश के 1495 हाईस्कूल व 900 इंटरमीडिएट क्लास के लिए लाइब्रेरी में किताबें मुहैया कराई जाएंगी. यह किताबें बच्चों के पाठ्यक्रम से संबंधित होंगी. इनका चयन नेशनल बुक ट्रस्ट से होगा. इसके लिए जल्द ही कमेटी में निर्णय लिया जाएगा.

माध्यमिक शिक्षक संघ के प्रदेशीय मंत्री डॉ. आरपी मिश्रा

उन्होंने बताया कि बीते सप्ताह राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान की बैठक में स्कूलों के चयन के साथ लाइब्रेरी में किताब खरीदने के लिए बजट कर दिया गया है. हालांकि इसकी मंजूरी के लिए अभी सरकार के पास भेजा जाएगा. उन्होंने बताया कि हाईस्कूल के लिए करीब 15 हजार व इंटरमीडिएट के लिए 20 हजार रुपए हर राजकीय स्कूल को दिया जाएगा. उन्होंने बताया कि कमेटी की अगली बैठक में इस पूरे प्रस्ताव को अंतिम रूप दे दिया जाएगा. जिसके बाद शासन को भेजा जाएगा.

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माध्यमिक शिक्षक संघ के प्रदेशीय मंत्री डॉ. आरपी मिश्रा ने बताया कि प्रदेश के केवल राजकीय ही नहीं एडेड कॉलेजों की भी लाइब्रेरी की स्थिति बहुत खराब है. सरकार की ओर से राजकीय के साथ-साथ एडेड कॉलेजों की भी लाइब्रेरी को व्यवस्थित करने की ओर ध्यान देना चाहिए, ताकि बच्चों को बेहतर से बेहतर शिक्षा मिल सके. यहां पर राजकीय स्कूलों की तुलना में एडेड स्कूलों में दोगुने बच्चे पढ़ते हैं.

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