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हर साल परिवार के साथ भारत पहुंचता है ये 'यूरेशियन राजहंस', जमीन पर बनाता है घोंसला

उदयपुर में 11 से 14 जनवरी तक मनाया जाने वाले उदयपुर बर्ड फेस्टिवल में ग्रेलैग गूज नामक हंस भी शामिल होंगे. जानते हैं इस रिपोर्ट में आखिर क्या है इस पक्षी की विशेषताएं और क्या है ऐसी खूबियां जो बनाती है इसे सभी से अलग...

Greylag Goose species
यूरेशियन राजहंस ग्रेलैग गूज

By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Dec 29, 2023, 6:53 AM IST

उदयपुर. झीलों की नगरी उदयपुर में आगामी 11 से 14 जनवरी तक उदयपुर बर्ड फेस्टिवल का आयोजन होगा. इसके दसवें संस्करण को लेकर पक्षी प्रेमियों और विशेषज्ञों में खासा उत्साह है. इस फेस्टिवल में कई नामी-गिरामी पक्षियों की प्रजातियां शामिल होंगी. इनमें से एक है ग्रेलैग गूज हंस, जो जमीन पर घोंसला बनाते हैं.

पक्षी विशेषज्ञ देवेन्द्र श्रीमाली के अनुसार ग्रेलैग गूज जिसे एंसर एनसर भी कहते हैं, जलपक्षी परिवार एनाटिडे में बड़े हंस की एक प्रजाति है. यह जीनस एनसर प्रकार की प्रजाति भी है. इसकी पहचान धब्बेदार वर्जित भूरे व सफेद पंख, नारंगी चोंच और गुलाबी पैर है. ग्रेलैग गूज के एक बड़े पक्षी की लंबाई 74 से 91 सेंटीमीटर (29 और 36 इंच) के बीच होती है, जिसका औसत वजन 3.3 किलोग्राम (7 पौंड 4 औंस) होता है. ये पक्षी यूरोप और एशिया के उत्तरी स्थानों पर रहते हैं, जो सर्दियां बिताने और हल्की गर्मी की तलाश में दक्षिण की ओर पलायन करते हैं. हालांकि, इनकी कई आबादी उत्तर में भी निवास करती है.

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इन्हें पसंद है तटीय द्वीप :उन्होंने यह भी बताया कि यह घरेलू हंस की अधिकांश नस्लों का पूर्वज है, जिसे कम से कम 1360 ईसा पूर्व में पालतू बनाया गया था. जीनस नाम और विशिष्ट विशेषण 'हंस' के लिए लैटिन एन्सर से लिया गया है. ग्रेलैग गूज वसंत ऋतु में अपने उत्तरी प्रजनन स्थलों की ओर यात्रा करते हैं. ये दलदली भूमि पर, झीलों के आसपास और तटीय द्वीपों पर घोंसला बनाते हैं. वे आम तौर पर जीवन के लिए संभोग करते हैं और जमीन पर वनस्पति के बीच घोंसला बनाते हैं. एक साथ तीन से पांच अंडें देते हैं. मादा अंडे सेती है और माता-पिता बच्चों की रक्षा और पालन-पोषण करते हैं. ये पक्षी एक परिवार में समूह के रूप में एक साथ रहते हैं. शरद ऋतु में झुंड के साथ ये दक्षिण की ओर पलायन करते हैं और अगले वर्ष अलग हो जाते हैं.

फसलों को भी खा जाते हैं ये हंस : उन्होंने बताया कि सर्दियों के दौरान वे अर्ध-जलीय आवासों, मुहल्लों, दलदलों और बाढ़ वाले खेतों पर कब्जा कर लेते हैं और घास खाते हैं. अक्सर कृषि फसलों को भी वो खा जाते हैं. कुछ आबादी साल भर एक ही क्षेत्र में रहती हैं, जैसे दक्षिणी इंग्लैंड के ग्रेलैड गूज.

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