सीकर. कोरोना वायरस से बचाव के लिए सबसे ज्यादा जोर ज्यादा से ज्यादा लोगों की जांच पर दिया जा रहा है. देश भर में कहा जा रहा है कि सैंपल की संख्या बढ़ाई जाएगी, तो कोरोना से जल्द ही निजात मिल पाएगी. हालांकि इस वायरस के आने के बाद ही सब तरह की तकनीक और इलाज विकसित किया जा रहा है. लेकिन सीकर जिले में भी इस कोरोना काल में ऐसे दो प्रयोग किए, जिन्हें पूरे प्रदेश में और देश में भी कई जगह लागू किया गया और आज यह प्रयोग सबसे ज्यादा चल रहे हैं. सबसे पहले सीकर में इन पर काम किया गया और उसके बाद सब जगह इन्हें माना गया. बात चाहे 300 की क्षमता वाली मशीनों से 1,000 से ज्यादा सैंपल की जांच करने की हो या फिर सबसे पहले डेडिकेटेड कोविड-19 अस्पताल बनाने की.
सीकर जिले की बात करें तो यहां पर श्री कल्याण मेडिकल कॉलेज में कोरोना वायरस की जांच के लिए लैब बनाई गई थी. इस लैब में दो मशीनें भेजी गईं. जिन पर 1 दिन में 300 सैंपल की जांच हो सकती थी. लेकिन जब जिले में संदिग्ध मरीज बढ़ने लगे और प्रवासियों का आवागमन शुरू हुआ, तो ज्यादा से ज्यादा सैंपल जांच की जरूरत पड़ी उस वक्त सीकर में सबसे पहले पूल बनाकर सैंपल जांच शुरू की गई.
'250 बेड का पहला कोविड अस्पताल'
आज पूरे देश में ज्यादातर जगह पूल सैंपल से ही जांच हो रही है. इसकी शुरुआत सबसे पहले सीकर में हुई. इसके अलावा सबसे पहले सीकर में 250 बेड का अलग से कोविड-19 अस्पताल बनाया गया, जिसमें सभी सुविधाएं स्थापित की गई. फिलहाल सीकर में सभी ब्लॉक पर अलग से कोरोना वायरस के इलाज के लिए अस्थाई अस्पताल बनाए गए हैं और वहीं पर पॉजिटिव मरीजों को रखा जाता है. पहले से चल रहे किसी भी सरकारी अस्पताल में एक भी मरीज को नहीं रखा जा रहा है. इसके बाद प्रदेश में भी कई जगह डेडीकेटेड कोविड-19 बनाए गए.
क्या है पूल सैंपलिंग?