राजसमंद. वैश्विक महामारी कोरोना वायरस का दौर लगातार जारी है. इस महामारी के कारण उत्पन्न हुई परिस्थितियों की वजह से सरकार ने मंदिरों को बंद करने का एलान किया है. पिछले लंबे समय से राजस्थान में मंदिर बंद है. अब इसका असर भगवान श्री कृष्ण के जन्मोत्सव के 18 दिन बाद मनाए जाने वाले जलझूलनी एकादशी पर भी पड़ता हुआ दिखाई दे रहा है.
यही वजह है कि कोरोना संक्रमण को देखते हुए इस बार भक्तों का प्रवेश मंदिरों में निषेध रहेगा. देश दुनिया में विख्यात राजसमंद जिला मुख्यालय से 40 किलोमीटर दूर गढ़बोर स्थित प्रभु श्री चारभुजा नाथ मंदिर के लिए ईटीवी भारत की टीम यह जानने के लिए निकली कि इस बार जलझूलनी एकादशी का पर्व किस प्रकार मनाया जाएगा. 5 हजार 285 वर्ष पुराने इस मंदिर में पहली बार कोरोना महामारी के कारण मंदिर बंद किया गया है.
चारभुजा नाथ मंदिर में प्रवेश निषेध लेकिन प्रभु श्री चारभुजा नाथ के पूजा आराधना उसी ठाट बाट से हो रही है. इस बार जलझूलनी एकादशी के पर्व श्रद्धालुओं का प्रवेश बंद है. जिला प्रशासन द्वारा कोरोना महामारी को देखते हुए 28 और 29 अगस्त को चारभुजा क्षेत्र में कर्फ्यू लगाया गया है. वहीं इस बार प्रभु की सवारी में कितने व्यक्तियों की स्वीकृति दी जाएगी. यह निर्णय 28 अगस्त को जिला कलेक्टर के परामर्श के बाद तय होगा.
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मंदिर के पुजारी ने बताया कि ऐसा पहली बार होगा कि भगवान के दर्शनों के लिए जलझूलनी पर श्रद्धालुओं का प्रवेश निषेध रहेगा. उन्होंने बताया कि हर साल भारत के विभिन्न अंचलों से हजारों की संख्या में लोग प्रभु के दर्शनों के लिए पहुंचते हैं. लेकिन कोरोना के कारण जो परिस्थितियां उत्पन्न हुई है और सरकार ने जो गाइडलाइन तय की है. उसकी पालना करते हुए इस बार मंदिर में किसी को प्रवेश नहीं दिया जाएगा.
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जलझूलनी ग्यारस के पर्व पर प्रभु की सेवाएं उसी ठाठ बाट से निभाई जाएंगे जैसे वर्षों पुराने से जो परंपरा चली आ रही है. मंदिर के पुजारी ने बताया कि द्वापर युग में पांडवों ने अपने वनवास के दौरान भगवान चारभुजा नाथ की पूजा अर्चना की थी. यहां भगवान श्रीकृष्ण चतुर्भुज स्वरूप में विराजते हैं. वहीं ईटीवी भारत ने कुछ श्रद्धालुओं से भी बातचीत कि पहली बार कोरोना की वजह से भगवान के दर्शन जलझूलनी पर नहीं कर पाएंगे कोई बात नहीं है. लेकिन प्रभु से घर पर रहकर ही गुहार लगाएंगे कि कोरोना महामारी से मुक्ति दिलाए, जिससे कि प्रभु के फिर से दर्शन कर सकें.