पाली. जिले में पीसीपीएनडीटी की ओर से सख्ती बरतने के बाद में जिले में कन्या भ्रूण हत्या जैसी घटनाओं पर तो पूरी तरह से अंकुश लग चुका है. लेकिन फिर भी समाज के एक कोने में आज भी महिलाओं के पेट में पल रहे भ्रूण का लिंग परीक्षण कराने जैसी बातें उभर कर सामने आ रही है. हालांकि इस तरह की घटनाओं के बाद चिकित्सा विभाग के सामने समाज का बेटा-बेटी के बीच के भेदभाव का एक घिनौना चेहरा भी सामने आया है.
दरअसल, लोगों की मजबूरी का फायदा उठाकर कई लोगों ने नकली भ्रूण जांच को अपना गोरखधंधा बना लिया है. लोगों को भ्रूण जांच के नाम पर चूना लगाने के लिए पाली में कई लोगों ने अपने गिरोह खड़े कर दिए हैं. पाली चिकित्सा विभाग की पीसीपीएनडीटी टीम के सामने ऐसे कई मामले सामने आए. जिसमें लोग भ्रूण जांच के नाम पर ठगी की चुकी हैं. लेकिन इन सभी के बीच चिकित्सा विभाग पूरी तरह निश्चित है कि पाली में किसी भी प्रकार से भ्रूण जांच जैसी कोई भी गतिविधि नहीं हो रही है.
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गौरतलब है कि चिकित्सा विभाग की ओर से पाली में पिछले 2 सालों में कई ऐसे कई डिकोय ऑपरेशन किए गए. जिनकी सूचना आम जनता ने ही चिकित्सा विभाग की पीसीपीएनडीटी सेल को दी थी. चिकित्सा विभाग की ओर से 2 साल में कई कार्रवाई की गई है. इन सभी कार्रवाई में से ज्यादातर में सभी में लोगों के साथ धोखाधड़ी के मामले ही सामने आए. चिकित्सा विभाग के अधिकारियों की माने तो पीसीपीएनडीटी सेल की ओर से डिकॉय को अंतिम स्तर तक ले जाया गया. लेकिन अंत में पता चला कि उस किसी भी स्थान पर भ्रूण जांच जैसी कोई भी गतिविधि नहीं होती और ना ही उनके पास किसी तरह की सोनोग्राफी मशीन उपलब्ध है.
ऐसे गिरोह या तो ग्रामीण लोगों या लोगों की बेटे को लेकर चाहत को ही पैसे इतने का जरिया बनाते है. पाली पीसीपीएनडीटी सेल की ओर से जयपुर स्थित सेल के थाने में मामले दर्ज करवाए जा चुके है. चिकित्सा विभाग के अधिकारियों की माने तो पाली जिले में 71 सोनोग्राफी सेंटर रजिस्टर्ड करवाएं हुए हैं. वर्तमान में पाली में 39 सोनोग्राफी सेंटर संचालित हो रहे हैं. वही 25 सोनोग्राफी सेंटर अलग-अलग कमियों के कारण बंद किए जा चुके हैं.