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Special: संकट में पाली के अन्नदाता, खेतों में खड़ी फसलें खराब, आर्थिक संकट में किसान

पाली के किसान पहले ही लॉकडाउन के कारण आर्थिक संकट से जुझ रहे थे, अब मानसून की मार ने उनकी कमर ही तोड़ दी है. जिस खेत से 100 बोरी फसल आने की उम्मीद थी, उस खेत से एक बोरी भी फसल निकालना मुश्किल है. फसलें खेतों में सड़ रही है, जोकि किसानों की परेशानी और बढ़ा रही है. पढ़िए ये विशेष खबर...

राजस्थान न्यूज, Kharif crop rotten in Pali
पाली में बारिश के कारण फसलें खराब

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Published : Sep 18, 2020, 10:25 AM IST

पाली.किसान पहले लॉकडाउन की मार झेल रहे थे. वहीं अब पाली के किसानों पर मानसून ने ऐसा कहर ढाया है कि वे खून के आंसू रोने पर मजबूर हैं. मानसून की दगाबाजी ने खेतों में लहलहाती फसल को नष्ट कर दिया है.

पाली में बारिश के कारण फसलें खराब

पाली के अन्नदाताओं को उम्मीद थी कि लॉकडाउन खुलने के बाद वे खरीफ की फसल से अच्छा मुनाफा कमाएंगे. ऐसे में किसानों ने अपनी खेतों में चार गुनी मेहनत कर फसल की बुवाई की. जब उन्होंने खेत में बुवाई की उस समय मौसम ने उनका साथ भी दिया और अच्छी बारिश ने उनके खेतों में लहराते फसलों को खड़ा कर दिया. किसानों की उम्मीदों में इजाफा हुआ लेकिन मानसून दगा कर गया. खेतों में किसानों के मूंग, तिल, बाजरा और ज्वार की फसलें पूरी तरह से चौपट हो चुकी है.

मूंग की फसल का उत्पादन क्षेत्र है पाली

बता दें कि पाली में खरीफ की फसल में किसान सबसे ज्यादा अपने खेतों में मूंग की फसल की पैदावार करता है. यहां की मिट्टी और यहां का जलवायु मूंग की फसल के लिए इतनी उपयुक्त है कि पाली कृषि विभाग को मिलने वाले लक्ष्य 54 हजार 8700 हेक्टेयर जमीन की बुवाई में से 25 हजार हेक्टेयर भूमि में सिर्फ मूंग के फसल की बुवाई की जाती है. मूंग को बेचकर किसानों का अच्छा मुनाफा मिलता था.

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पाली में इस बार किसानों ने खरीफ की 5 लाख 48 हजार 500 हेक्टेयर जमीन में बुवाई की है. किसानों ने सबसे ज्यादा 80 हजार हेक्टर में ज्वार, 80 हजार हेक्टर में तिल, 2 लाख 50000 हेक्टेयर में मूंग, 35000 हेक्टर में बाजरे की बुवाई की है.

तिल की फसलों की जड़ें गली

इसके साथ ही किसानों ने खेत में मक्के, मौठ, उड़द, चौला, अरंडी, कपास और गवार के फसलों की बुवाई की. इन फसलों की बुवाई के समय प्री मानसून के दौरान पाली में अच्छी बारिश हुई थी. जिसके चलते इन फसलों को बढ़ने में मदद मिली और एक महीने बाद सभी खेतों में बेहतर फसलें नजर आने लगी.

खेतों में ही फसलें सड़ रही हैं

शायद किसानों की उम्मीदों पर किसी की नजर लग गई. पहले तो मानसून पाली में 1 महीने लेट आया. ऐसे में किसानों ने जैसे-तैसे अपनी फसलों को जिंदा रखने के लिए पानी की व्यवस्था कर इनकी सिंचाई की लेकिन जब इन फसलों को काटने का समय पास आया तो उस समय पाली में मानसूनी बारिश का दौर शुरू हुआ.

मूंग की फसलों में लगा फंगस

यह दौर ऐसा चला कि लाखों रुपए की यह फसलें खेत में ही सड़ना शुरू हो गई. मूंग की फलियों में फंगस लग गया और सभी फसलों के दाने नीचे गिरने लगे. तिल की फसलों की जड़े गल जाने से पौधा खेतों में गिर गया. जिससे पूरी फसलें काली पड़ गई.

पूरे पाली में किसानों को हुआ नुकसान

जिले भर में हुई बारिश के चलते सभी जगह फसलों को नुकसान हुआ है. सबसे ज्यादा फसलों के नुकसान की बात करें तो पाली के रोहट, पाली ग्रामीण, सुमेरपुर, देसूरी, बाली व जैतारण के किसानों को सबसे ज्यादा फसलों के खराबी के चलते नुकसान हुआ है.

अब खराब फसल को निकालना भी किसानों के लिए भारी संकट

अपनी खराब फसलों को खेतों में देखकर किसान दर्द के आंसू बहा रहे हैं. बड़े मेहनत और इधर-उधर से पैसे जुटाकर इन किसानों ने अपने खेतों में निराई-गुड़ाई की. महंगे बीज खरीकर बुवाई की. किसानों को उम्मीद थी कि ये लाखों रुपए की लागत से वे चार गुना मुनाफा कमाएंगे लेकिन इस बार अन्नदाताओं की किस्मत खराब रही.

पाली में कुल खरीफ की फसलें को बुवाई

फसलें इनके खेतों में सड़ रही हैं. फसलें उनके खेतों को नुकसान पहुंचा रही है. ऐसे में अब इन खेतों से इन सभी फसलों को निकालने के लिए भी किसानों के पास पैसा नहीं है.

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अब किसान को जिस खेत से 100 बोरी फसल आने की उम्मीद थी. वहां से एक बोरी आना भी अब संभव नहीं है. आर्थिक संकट से जुझ रहा किसान अब सरकार के सामने अपने खराबे की फसल का समय पर मुआवजा मिल जाए, यही उम्मीद कर रहा है. इन किसानों ने अपनी फसल का बीमा भी करवा रखा है लेकिन जब इस बीमे की राशि किसान की समय पर मिलेगी, तभी इनकी परेशानी कुछ कम होगी.

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