नागौर.इस साल नागौर के कई इलाकों में मानसून की एक भी अच्छी बरसात नहीं हुई है. नागौर, खींवसर, लाडनूं, जायल और मूंडवा आदि ऐसे इलाके हैं. जहां औसत से भी काफी कम बारिश अब तक हुई है. नागौर शहर की बात करें तो मानसून सक्रिय होने के बाद यहां एक दिन भी मूसलाधार बारिश नहीं हुई.
नागौर में पिछले साल के मुकाबले आधी ही बारिश, बुवाई का लक्ष्य भी नहीं हुआ पूरा - नागौर में कम हुई बारिश
प्रदेश में मानसून सक्रिय हुए भले ही कई दिन बीत गए हों. लेकिन नागौर का अधिकांश इलाका आज भी मानसून की एक अच्छी बारिश की राह देख रहा है. नतीजा, खरीफ फसलों की बुवाई भी लक्ष्य के अनुरूप नहीं हुई है, जिन इलाकों में मानसून से पहले की बारिश में किसानों ने बुवाई कर दी थी. वहां भी अब किसान चिंतित हो रहे हैं.
हालांकि, एक दो बार रिमझिम बारिश नागौर में जरूर हुई है. ऐसे में अब किसानों के माथे पर चिंता की लकीरें साफ देखी जा सकती हैं. चावंडिया गांव के किसान ईश्वरराम का कहना है कि करीब 15 दिन पहले गांव और आसपास के इलाकों में बारिश हुई थी. तब कई किसानों ने बुवाई कर दी. अब बारिश नहीं होने से खेत खराब हो रहे हैं. वहीं, जीवनबेरा के श्रवण राम का कहना है कि बाजरे की बुवाई का समय निकाल चुका है. अब यदि अच्छी बारिश होती है तो मूंग, मोठ और अन्य फसलों में अच्छे उत्पादन की उम्मीद की जा सकती है.
सरकारी आंकड़े बताते हैं कि नागौर में पिछले साल एक जून से 19 जुलाई के बीच 182.5 एमएम औसत बारिश हुई थी. लेकिन इस साल इस अवधि में यह आंकड़ा 96.5 एमएम ही पहुंचा है. खेती की बात करें तो इस साल खरीफ फसलों की बुवाई का जिले का लक्ष्य 12 लाख 20 हजार हेक्टेयर रखा गया है. अभी तक करीब सात लाख 57 हजार हेक्टेयर में ही खरीफ फसलों की बुवाई हो पाई है. कृषि विभाग के उपनिदेशक हरजीराम चौधरी का कहना है कि कुछ और दिन अच्छी बारिश नहीं होती है तो खेती को काफी नुकसान होने की आशंका है.