नागौर. जिले के किसानों में रासायनिक खाद के प्रति लगातार बढ़ती रुचि और खेतों में रासायनिक खाद के असंतुलित उपयोग से नागौर जिले की मिट्टी में पोषक तत्व लगातार कम हो रहे हैं. इस साल मिट्टी के करीब 250 सैंपल की जांच में यह खुलासा हुआ है. इसका असर यह हो रहा है कि खेतों में उत्पादन कम होने के साथ ही पौधों की रोग प्रतिरोधक क्षमता भी घटती जा रही है.
नागौरः मिट्टी में घट रहे पोषक तत्वों ने बढ़ाई किसानों की चिंता, जांच में हुए कई खुलासे - chemical fertilizers
खेती में लगातार उपयोग किए जा रहे रासायनिक खाद के चलते मिट्टी में पोषक तत्व की कमी आने से चिंता बढ़ गई है. मिट्टी के 250 और पानी के 150 सैंपल के किए गए जांच में कई चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं...
जिला मुख्यालय के अलावा डेगाना, मेड़ता, लाडनूं और कुचामन में मिट्टी व पानी की जांच के लिए प्रयोगशाला है. इस साल अब तक मिट्टी के करीब 250 और पानी के 150 सैंपल लेकर उनकी जांच की गई. जांच रिपोर्ट में यह चौंकाने वाला खुलासा हुआ है. कृषि विभाग के उपनिदेशक हरजीराम चौधरी का कहना है कि नागौर की मिट्टी में मुख्य रूप से नाइट्रोजन और फॉस्फोरस की कमी है. इसके अलावा सूक्ष्म पोषक तत्वों में जिंक और फेरस यानि लोह तत्व की कमी भी है. नाइट्रोजन और फॉस्फोरस की कमी के कारण खेतों में पौधों की बढ़वार प्रभावित होती है. जबकि सुक्ष्म पोषक तत्व जैसे जिंक और फेरस की कमी से पौधों में रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है.
इसका असर यह होता है कि कीट और बीमारियां आसानी से पौधों को अपनी चपेट में ले लेते हैं. उनका कहना है कि खेतों की मिट्टी में नाइट्रोजन की मात्रा संतुलित रखने के लिए हरी खाद और गोबर की खाद सबसे असरकार साबित होती है. इसके साथ ही यूरिया का प्रयोग भी नाइट्रोजन की मात्रा बढ़ाने के लिए किया जाता है. जबकि फेरस की कमी दूर करने के लिए फेरस सल्फेट और जिंक की कमी दूर करने के लिए जिंक सल्फेट का प्रयोग किया जाता है. उपनिदेशक हरजीराम चौधरी का कहना है कि इस दिशा में लगातार किसानों को जागरुक भी किया जा रहा है. इसके साथ ही फसल बदल-बदलकर खेती करने के लिए भी किसानों को प्रेरित किया जा रहा है. ताकी पोषक तत्वों का संतुलन बना रहे.