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नागौर लोकसभा सीट पर सिर्फ 6 बार ही जमानत बचाने में कामयाब रहा तीसरा प्रत्याशी - hanuman beniwal

नागौर लोकसभा सीट के लिए 18 बार हुआ चुनाव कुछ दिलचस्प ही रहा है. इस सीट पर 18 में से छह चुनावों में ही तीसरा प्रत्याशी अपनी जमानत बचा पाने में सफल रहा है.

नागौर लोकसभा सीट

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Published : May 7, 2019, 10:14 PM IST

नागौर. नागौर लोकसभा सीट पर मतदान हो चुका है. वहीं इस सीट पर एनडीए प्रत्याशी हनुमान बेनीवाल, कांग्रेस प्रत्याशी ज्योति मिर्धा समेत 13 प्रत्याशियों का भाग्य ईवीएम में कैद हो चुका है. नागौर से किसके सिर पर जीत का सेहरा बंधेगा. इसका फैसला 23 मई को होगा.

नागौर लोकसभा सीट पर अब तक हुए लोकसभा चुनावों का गणित

साथ ही यह भी पता चलेगा कि कौन प्रत्याशी कितने वोट पाने में सफल रहा. इससे उसके राजनीतिक भविष्य का भी फैसला होगा. नागौर सीट पर हुए अब तक के चुनावी आंकड़े बताते हैं कि इस सीट पर अमूमन दो प्रत्याशियों में सीधी टक्कर ही होती रही है. बता दें कि 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले नागौर सीट पर 16 बार चुनाव और दो बार उप चुनाव हो चुके हैं. नागौर सीट पर हुए 18 चुनावों में छह चुनाव ही ऐसे थे. जब कोई तीसरा प्रत्याशी अपनी जमानत बचाने में सफल रहा है. बाकी 12 चुनावों में टक्कर आमने-सामने की रही है.

  • साल 1980 में कांग्रेस (यू) के नाथूराम मिर्धा को जनता पार्टी के गोरधन सोनी ने टक्कर दी थी. उस वक्त कांग्रेस (आई) के मोहम्मद उस्मान अपनी जमानत बचाने में सफल रहे थे.
  • साल 1984 में कांग्रेस के रामनिवास मिर्धा और लोकदल के नाथूराम मिर्धा में मुकाबला हुआ था. उस समय जनता पार्टी के कल्याण सिंह कालवी ने तीसरे प्रत्याशी के तौर पर जमानत बचा पाए थे.
  • वहीं साल 1996 में मुकाबला कांग्रेस के नाथूराम मिर्धा और भाजपा के हरीश कुमावत में रहा. उस समय लोकेंद्र सिंह कालवी तीसरे उम्मीदवार के रूप में जमानत बचाने में सफल रहे थे.
  • इसी तरह 1999 में कांग्रेस के रामरघुनाथ चौधरी और बसपा के विजय पूनिया में टक्कर हुई थी. उस वक्त भाजपा के श्याम सुंदर काबरा अपनी जमानत बचा पाए थे.
  • जबकि 2004 के चुनाव में बसपा के मूलचंद आर्य और 2014 में निर्दलीय प्रत्याशी हनुमान बेनीवाल भी जमानत बचाने में सफल रहे थे. बाकी सभी चुनावों में दो उम्मीदवारों में आमने-सामने की टक्कर ही रही है.

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