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चंबल पर घाट के निर्माण सिर्फ पैसों की बर्बादी, रिवरफ्रंट बिगाड़ रहा नदी का स्वरूप : वाटरमैन राजेंद्र सिंह

कोटा दौरे पर आए वाटरमैन राजेन्द्र सिंह ने जल संरक्षण और चंबल नदी की शुध्दता विषय पर अपने बेबाक विचार रखें. उन्होंने कहा कि चंबल नदी में प्रदूषण फैलने से इसकी स्थित आईसीयू में हैं. इसमें जल्द सुधार की जरूरत है.

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Published : Sep 1, 2019, 8:11 PM IST

कोटा. गोपालपुरा अलवर निवासी राजेन्द्र सिंह जो वाटरमैन के नाम से जाने जाते हैं. 1984 में मांगू काका की प्रेरणा पर करीब 11 हजार 8 सौ बांध और तालाब बनाकर पानी का संरक्षण शुरू किया. इसमें उन्होंने राज्य सरकार से कोई सहायता नहीं ली. सिर्फ चंदे से ही इस काम को अंजाम दिया हैं. बता दें कि राजेंद्र सिंह अभी जल बिरादरी के राष्ट्रीय अध्यक्ष है जिन्होंने मैग्सेसे अवार्ड भी जीता है.

कोटा दौरे पर जल बिरादरी के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजेंद्र सिंह

जिले के दौरे पर आए वाटर मेन राजेन्द्र सिंह ने बताया कि आज भारत बेपानी हो रहा है. बाढ़ और सूखे के सबके खतरे बढ़ते जा रहे है. भारत की भूमि पर पड़ने वाली एक-एक बूंद को सहेज कर बचानी पड़ेगी. आज मिस मैनेजमेंट के कारण पानी की बर्बादी, पर्यावरण की अशुद्ता सबसे बड़ा कारण बनता जा रहा है. दुनिया का तीसरा विश्व युद्ध पानी के लिए ही होगा. भारत पानी के स्रोतों में विश्व गुरु था. लेकिन शिक्षा के दायरे ने यह खो दिया है.

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उन्होंने कहा कि भारत की शिक्षा पद्धति ने इस ओर कोई ध्यान नहीं दिया. उन्होंने बताया कि चम्बल नदी कोटा की शान है. इसके रिवरफ्रंट से स्वरूप को बिगाड़ा जा रहा है. चम्बल को साफ करने के लिए घाट का निर्माण कर कोई विकल्प नहीं है इसमे पैसों की बर्बादी है. इसको खुला बहने देना चाहिए. चम्बल में जाने वाले पॉल्यूशन को रोकने की कवायद करनी चाहिए. इसके साथ ही नदी में गिरने वाले नालों पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है.

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