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Special: जर्मन शेफर्ड डॉग के पेट से निकाले दो दर्जन स्टोन, करीब 100 ग्राम था वजन - ETV Bharat Rajasthan news

कोटा में चिकित्सकों ने एक जर्मन शेफर्ड डॉग के यूरिनरी ब्लैडर से 24 स्टोन निकाले (German shepherd Stone Operation) हैं. ऑपरेशन से पहले डॉग की हालत काफी गंभीर थी. अब डॉग पूरी तरह स्वस्थ्य है.

German shepherd Stone Operation
German shepherd Stone Operation

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Published : Jan 16, 2023, 7:58 PM IST

डॉग के पेट से निकाले दो दर्जन स्टोन

कोटा.शहर के पशु चिकित्सालय मौखापाड़ा में एक जर्मन शेफर्ड डॉग का ऑपरेशन किया गया. डॉक्टर्स की टीम ने श्वान के यूरिनरी ब्लैडर से दो दर्जन स्टोन (पथरी) निकाले हैं. पथरी का वजन करीब 100 ग्राम के आसपास था. चिकित्सकों ने दावा किया है कि प्रदेश में पहली बार किसी श्वान का इतना बड़ा पथरी का ऑपरेशन हुआ है.

कोटा के बहुउद्देशीय पशु चिकित्सालय के उपनिदेशक डॉ. गणेश नारायण दाधीच ने बताया कि न्यू कॉलोनी में रहने वाले गगनदीप सिंह कपूर के पास जर्मन शेफर्ड नस्ल का एक डॉग है. 14 जनवरी को गगनदीप उसे गंभीर हालात में लेकर अस्पताल पहुंचे थे. डॉग ने बीते 3 से 4 दिनों से खाना-पीना छोड़ दिया था. उसके नाभि के पास काफी सूजन थी. इसके चलते यूरिन भी पास नहीं हो पा रही थी और चलने फिरने में भी परेशानी हो रही थी. चिकित्सकों ने उसके यूरिनरी ब्लैडर की जांच की. इसमें यूरिन के साथ रक्तस्राव भी हो रहा था. अब ऑपरेशन के बाद वह पूरी तरह से स्वस्थ है और खा-पी रहा है.

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पेट मे चीरा लगाकर निकाले स्टोन :डॉ दाधीच ने बताया कि उनके साथ डॉ. ममता गुप्ता ने भी ऑपरेशन में असिस्ट किया है. ऑपरेशन में करीब 1 घंटे का समय लगा. डॉग के पेट में कट लगाकर यूरिनरी ब्लैडर से दो दर्जन से ज्यादा स्टोन निकाले गए. चिकित्सकों का मानना है कि इस तरह का ऑपरेशन आमतौर पर कई जगह होते हैं, लेकिन इतनी मात्रा में स्टोन पहली बार किसी डॉग में रिपोर्ट हुआ है. डॉक्टरों का कहना है कि स्टोन के कारण डॉग को काफी खतरा था. उसकी जान जा सकती थी. इसीलिए तत्काल ऑपरेशन का निर्णय लेना पड़ा.

कम पानी पीने से होता है पथरी का खतरा :डॉग्स पानी कम पीते हैं. इससे ऑक्सलेट और फॉस्फेट के कण एकत्रित हो जाते हैं. ये धीरे-धीरे बड़े होते चले जाते हैं, जो बाद में स्टोन का रूप ले लेते हैं. इसके चलते कई डॉग्स में पथरी की समस्या हो जाती है. जो डॉग्स रेत मिट्टी खाते हैं उनमें यह बीमारी होने की संभावना ज्यादा रहती है. हालांकि ऑपरेशन की जरूरत काफी कम डॉग्स को होती है. अधिकांश में इस बीमारी का पता भी नहीं चलता है.

डॉग में पहले भी किया ब्लड ट्रांसफ्यूजन :डॉ.दाधीच ने बताया कि कोटा में 2021 के जून महीने में एक एनीमिक डॉग का ब्लड ट्रांसफ्यूजन भी किया गया था. जगत मंदिर राम तलाई के रहने वाले कौशल के पास लैब्राडोर नस्ल (Labrador Breed) की श्वान टीना का हीमोग्लोबिन 4 रह गया था. जबकि चिकित्सकों का कहना है कि 6 हिमोग्लोबिन होने पर श्वान को ट्रांसफ्यूजन की जरूरत होती है. इसके बाद आरकेपुरम बॉम्बे योजना निवासी लक्ष्मण की इसी नस्ल की डॉग नंदनी का 250 मिलीग्राम रक्त टीना को चढ़ाया गया. ब्लड ट्रांसफ्यूजन के तुरंत बाद ही टीना काफी एक्टिव हो गई और जल्द ही स्वस्थ भी हो गई.

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