कोटा. राजस्थान में विधानसभा चुनाव की सरगर्मी तेज हो गई है और पुलिस व प्रशासन आचार संहिता की पालना में लगा है. दूसरी तरफ राज्य की दोनों ही प्रमुख पार्टियां भाजपा और कांग्रेस अपने प्रचार और प्रत्याशियों की घोषणा कर रही हैं. हाड़ौती में कुल 17 विधानसभा की सीटें हैं, जिसमें दो हॉट सीट हैं. इनमें एक कोटा शहर की कोटा उत्तर और दूसरी बारां जिले की अंता सीट है. यहां से दिग्गज ही अब तक चुनावी मैदान में उतरते रहे हैं. अंता सीट की खासियत है कि यहां से जो भी दिग्गज चुनाव जीता है, वो सरकार में मंत्री बनता रहा है. साथ ही जिस पार्टी को यहां जीत मिली है, उसी की राज्य में सरकार बनती है. इसी तरह से कोटा उत्तर सीट की भी यही खासियत रही है. यहां से भी जिस पार्टी को जीत मिलती है, उसी की प्रदेश में सरकार बनती आ रही है.
दो बार भाया और एक बार सैनी बने मंत्री :बारां जिले की अंता सीट साल 2008 में परिसीमन के बाद अस्तित्व में आई थी. यहां अब तक तीन चुनाव हुए हैं, जिनमें दो बार कांग्रेस और एक बार भाजपा के प्रत्याशी को जीत मिली है. हालांकि, इस सीट की खासियत रही है कि यहां से जीतने वाले प्रत्याशी को प्रदेश की सरकार में मंत्री पद मिलता रहा है. साल 2008 में यहां से भाजपा ने रघुवीर सिंह कौशल को टिकट दिया था. वहीं, कांग्रेस ने एक बार निर्दलीय विधायक रहे प्रमोद जैन भाया को चुनावी मैदान में उतारा था और प्रमोद जैन भाया 29668 वोटों से चुनाव जीते थे. वहीं, चुनाव जीतने के बाद उन्हें साल 2009 में सार्वजनिक निर्माण विभाग का मंत्री बनाया गया था. हालांकि, इस सरकार के पूरे कार्यकाल में वो मंत्री नहीं रह सके थे.
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इसके बाद 2013 के चुनाव में भाजपा ने यहां प्रभु लाल सैनी को मैदान में उतारा. उन्होंने कांग्रेस प्रत्याशी प्रमोद जैन भाया को 3399 वोट से शिकस्त दी. इसके बाद उन्हें भाजपा सरकार में कृषि मंत्री बनाया गया. वहीं, साल 2018 के चुनाव में दोनों पार्टियों ने प्रत्याशी रिपीट किए, जिसमें प्रमोद जैन भाया 34063 वोटों से चुनाव जीते और उन्हें कांग्रेस सरकार में कैबिनेट मंत्री के साथ ही खनन व गोपालन विभाग की जिम्मेदारी सौंपी गई.
यहां जिस पार्टी को मिली जीत, उसी की राज्य में बनती है सरकार :दूसरी हॉट सीट कोटा उत्तर है. यहां से दिग्गज नेता और प्रदेश की राजनीति में बड़ा नाम रखने वाले शांति धारीवाल चुनाव लड़ते हैं. साल 2008 में शांति धारीवाल का मुकाबला सुमन श्रृंगी से हुआ था, जिसमें धारीवाल 21731 वोटों से चुनाव जीते थे. वहीं, प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनी थी और उन्हें गृह मंत्री व यूडीएच मंत्री का जिम्मा सौंपा गया था.
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साल 2013 में यहां से भाजपा ने प्रह्लाद गुंजल को टिकट दिया तो कांग्रेस ने धारीवाल पर फिर से मैदान में उतारा, लेकिन इस चुनाव में प्रह्लाद गुंजल 14861 वोटों से जीत गए और प्रदेश में भाजपा की सरकार बनी. वहीं, 2018 के चुनाव में इन दोनों ही प्रत्याशियों के बीच मुकाबला हुआ, जिसमें शांति धारीवाल 17945 वोटों से चुनाव जीत गए और राज्य में कांग्रेस की सरकार बनी. उसके बाद उन्हें यूडीएच मंत्री बनाया गया.