कोटा. कोरोना ने ना जाने कितने परिवार उजाड़ दिए हैं. कितने बच्चों के सिर से उनके माता-पिता का साया छीन लिया है. ऐसे ही कोटा की मीनाक्षी और तोषिका पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा है. इन दो लड़कियों के सिर से एक महीने के अंदर ही माता पिता का साया छीन गया. पहले कोरोना के कारण पिता ने दम तोड़ दिया. वहीं एक महीने गुजरता उससे पहले ब्लैक फंगस के कारण मां की भी मौत हो गई.
कोटा के पहाड़ नयापुरा मुक्तिधाम रोड पर किराए के मकान में रहने वाला अजय सेक्सना और विमलेश का परिवार देखते-देखते एक महीने में बिखर गया. 27 अप्रैल को परिवार के मुखिया अजय का कोरोना से निधन हो गया. अभी परिवार हादसे से उबरा भी नहीं था कि एक महीने बाद 27 मई को अजय की पत्नी की भी ब्लैक फंगस से मौत हो गई. परिवार में पीछे दो बेटियां रह गई हैं मीनाक्षी और तोषिका.
दोनों बहनों पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा. वक्त का सितम ऐसा हुआ कि दोनों बहनों को रोने के लिए अपनों का कांधा तक नहीं मिला. मीनाक्षी और तोषिका कोटा में रहती हैं पर पूरा परिवार उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश में रहता है. लॉकडाउन होने के कारण परिवार का कोई सदस्य उनके पास नहीं आ पाया है. दोनों बहनों ने अकेले ही पिता को मुखाग्नि दी और एक महीने बाद ही अपनी मां का भी अंतिम संस्कार किया.
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एक महीने में सिर से माता-पिता का साया उठने के बाद मीनाक्षी और तोषिका के दुख की सीमा नहीं है पर दोनों के मन में सिस्टम के खिलाफ रोष भी है. दोनों बहनों का कहना है कि अगर समय पर और सही इलाज उनके माता-पिता को मिल जाता है तो उनकी जान बच सकती थी.
ऑक्सीजन के इंतजार में पिता की हुई मौत
मीनाक्षी बताती हैं कि लक्षण होने पर उनके पिता सहित सभी परिवार जनों ने अप्रैल महीने की 1 तारीख को कोविड-19 का टेस्ट करवाया था. साथ ही पिता अजय सक्सेना की तबीयत ज्यादा खराब होने पर उनकी सीटी स्कैन भी करवाई गई. जिसमें उनका स्कोर 7 आया था, ऐसे में चिकित्सकों ने घर पर ही इलाज के लिए कहा. इसके बाद 27 अप्रैल को उनका आरटी पीसीआर टेस्ट भी पॉजिटिव आया. जिसने मां और छोटी बहन तोषिका भी संक्रमित मिली. जब तबीयत ज्यादा बिगड़ी तो एमबीएस अस्पताल भी वह लेकर गए, वहां पर ऑक्सीजन सैचुरेशन 56 आने के बावजूद भी भर्ती नहीं किया गया क्योंकि ऑक्सीजन का इंतजाम नहीं था. उन्होंने जैसे-तैसे सिलेंडर का इंतजाम तो कर लिया लेकिन ऑक्सीजन रेगुलेटर वाल्व उन्हें नहीं मिल रहा था. ऐसे में जब तक वह रेगुलेटर मिला और ऑक्सीजन सपोर्ट घर पर ही पिता अजय सक्सेना को देते हुए चल बसे.