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Special: कोरोना से उजड़ा संसार, एक महीने के अंदर माता-पिता की मौत, बेटियों ने कहा- समय पर मिलता इलाज तो साथ होते परिजन

कोरोना से ना जाने कितने घर उजड़ गए हैं. ऐसा ही कोटा का एक परिवार है, जहां कोरोना और ब्लैक फंगस (Black fungus) से माता-पिता की मौत हो गई. पीछे दो बेटियां अकेली रह गई. वक्त का सितम ऐसा हुआ कि दोनों बहनों को किसी अपने के कंधे का सहारा भी नहीं मिला और दोनों को माता-पिता का अंतिम संस्कार भी खुद करना पड़ा.

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Published : Jun 6, 2021, 1:50 PM IST

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कोटा की इन दो बेटियों से कोरोना ने छीना परिजना का साया

कोटा. कोरोना ने ना जाने कितने परिवार उजाड़ दिए हैं. कितने बच्चों के सिर से उनके माता-पिता का साया छीन लिया है. ऐसे ही कोटा की मीनाक्षी और तोषिका पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा है. इन दो लड़कियों के सिर से एक महीने के अंदर ही माता पिता का साया छीन गया. पहले कोरोना के कारण पिता ने दम तोड़ दिया. वहीं एक महीने गुजरता उससे पहले ब्लैक फंगस के कारण मां की भी मौत हो गई.

कोटा की इन दो बेटियों से कोरोना ने छीना परिजना का साया

कोटा के पहाड़ नयापुरा मुक्तिधाम रोड पर किराए के मकान में रहने वाला अजय सेक्सना और विमलेश का परिवार देखते-देखते एक महीने में बिखर गया. 27 अप्रैल को परिवार के मुखिया अजय का कोरोना से निधन हो गया. अभी परिवार हादसे से उबरा भी नहीं था कि एक महीने बाद 27 मई को अजय की पत्नी की भी ब्लैक फंगस से मौत हो गई. परिवार में पीछे दो बेटियां रह गई हैं मीनाक्षी और तोषिका.

दोनों बहनों पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा. वक्त का सितम ऐसा हुआ कि दोनों बहनों को रोने के लिए अपनों का कांधा तक नहीं मिला. मीनाक्षी और तोषिका कोटा में रहती हैं पर पूरा परिवार उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश में रहता है. लॉकडाउन होने के कारण परिवार का कोई सदस्य उनके पास नहीं आ पाया है. दोनों बहनों ने अकेले ही पिता को मुखाग्नि दी और एक महीने बाद ही अपनी मां का भी अंतिम संस्कार किया.

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एक महीने में सिर से माता-पिता का साया उठने के बाद मीनाक्षी और तोषिका के दुख की सीमा नहीं है पर दोनों के मन में सिस्टम के खिलाफ रोष भी है. दोनों बहनों का कहना है कि अगर समय पर और सही इलाज उनके माता-पिता को मिल जाता है तो उनकी जान बच सकती थी.

ऑक्सीजन के इंतजार में पिता की हुई मौत

मीनाक्षी बताती हैं कि लक्षण होने पर उनके पिता सहित सभी परिवार जनों ने अप्रैल महीने की 1 तारीख को कोविड-19 का टेस्ट करवाया था. साथ ही पिता अजय सक्सेना की तबीयत ज्यादा खराब होने पर उनकी सीटी स्कैन भी करवाई गई. जिसमें उनका स्कोर 7 आया था, ऐसे में चिकित्सकों ने घर पर ही इलाज के लिए कहा. इसके बाद 27 अप्रैल को उनका आरटी पीसीआर टेस्ट भी पॉजिटिव आया. जिसने मां और छोटी बहन तोषिका भी संक्रमित मिली. जब तबीयत ज्यादा बिगड़ी तो एमबीएस अस्पताल भी वह लेकर गए, वहां पर ऑक्सीजन सैचुरेशन 56 आने के बावजूद भी भर्ती नहीं किया गया क्योंकि ऑक्सीजन का इंतजाम नहीं था. उन्होंने जैसे-तैसे सिलेंडर का इंतजाम तो कर लिया लेकिन ऑक्सीजन रेगुलेटर वाल्व उन्हें नहीं मिल रहा था. ऐसे में जब तक वह रेगुलेटर मिला और ऑक्सीजन सपोर्ट घर पर ही पिता अजय सक्सेना को देते हुए चल बसे.

नेताओं से गुहार की तो मां को आईसीयू, कुछ घंटे में ही मौत

वहीं छोटी बहन तोषिका का कहना है कि पिता अजय सक्सेना की मृत्यु के बाद 28 अप्रैल को मां और बड़ी बहन के साथ सीटी स्कैन उन्होंने कराया. जिसमें बड़ी बहन का मीनाक्षी का सीटी स्कैन का स्कोर 9 और मां विमलेश का 16 आया था. जैसे-तैसे विमलेश को कोटा के जगपुरा स्थित निजी अस्पताल में भर्ती करवा दिया, जहां भी उनका उपचार चला कि उसे कोविड-19 नेगेटिव हो गई. हालांकि, इसके बाद उन्हें अस्पताल में भर्ती रहने के दौरान ब्लैक फंगल इंफेक्शन ने जकड़ लिया, जहां दवाएं उपलब्ध नहीं होने के चलते उन्हें 18 मई को एमबीएस अस्पताल में भर्ती करवाया गया. जहां पर उनका उपचार जारी था. 27 तारीख को बड़ी मुश्किल से रात 12:30 बजे उन्हें आईसीयू में शिफ्ट किया. तबीयत खराब होने पर भी उन्होंने नेता से संपर्क किया उन्होंने ही आईसीयू दिलवाया. आईसीयू में बेड मिलने के डेढ़ घंटे के भीतर की 2:00 बजे के आसपास उनका देहांत हो गया.

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3 साल से बेरोजगार थे पिता, मां ट्यूशन पढ़ाकर चला रही थी खर्चा

अजय सक्सेना जनरेटर के ऑपरेटर थे, लेकिन 3 साल पहले एक हादसे में उनका हाथ जरनेटर में चला गया था. जिसमें गंभीर चोट लगी और हाथ की दो उंगलियां काटनी पड़ गई थी. जिसके बाद से ही उन से काम नहीं होता था. एक हाथ काम नहीं कर पाता था. इसके चलते हुए घर पर ही रहते थे, कोई छोटा-मोटा काम कभी मिल जाए, तो चले जाते थे. उनकी मां निजी स्कूल में टीचर थी, लेकिन कॉविड 19 के चलते स्कूल बंद ही थे, मां घर पर ही कुछ ट्यूशन पढ़ाकर काम चला रही थी.

इलाज में खत्म हुई जमा पूंजी

अजय और विमलेश सक्सेना की बड़ी बेटी मीनाक्षी बीएससी बीएड है. वह स्कूल में पढ़ाती थी, लेकिन स्कूल बंद थे. इसके चलते घर पर ही थी. वही छोटी बेटी तोषिका सॉफ्टवेयर इंजीनियर है. वह पुणे सर्विस करती थी, लेकिन 2020 मार्च में जो वह घर आई उसके बाद लॉकडाउन लग गया और नौकरी चली गई. तब से वह घर पर ही बेरोजगार है. इन लोगों ने जो जमा पूंजी की थी वह भी मां के उपचार में खर्च हो गई. यहां तक की मां के उपचार में जो पैसे निजी अस्पताल में लगे वह भी कुछ बकाया है. स्थानीय नेताओं के कहने पर अस्पताल में बकाया राशि होने के बावजूद भी उनकी मां को सरकारी अस्पताल में रेफर कर दिया था.

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