कोटा को मिला IIIT का कैंपस कोटा.करीब 10 साल बादIIIT कोटा को अपना कैंपस मिल रहा है. इस साल कोटा के नए बिल्डिंग में IIIT की शुरुआत होगी. यह बिल्डिंग खास तरीके से तैयार की गई है. इसे 3 स्टार GRIHA (ग्रीन रेटिंग फॉर इंटीग्रेटेड हैबिटेट असेसमेंट) रेटिंग मिली है, यानी कि यह पूरी तरह से ग्रीन कॉन्सेप्ट पर बनाई गई है. इसमें ईंधन की कम खपत होगी. पर्यावरण मानकों से भी यह बिल्डिंग काफी अनुकूल है. भीषण गर्मी के दौरान भी बिल्डिंग में ठंडक रहेगी.
2 साल के लेटलतीफी के बाद बिल्डिंग हुआ तैयार : राजस्थान केकोटा को इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी मिली थी, लेकिन बीते गहलोत शासन में इसे जोधपुर शिफ्ट कर दिया गया था. इसके बाद कोटावासियों को खुश करने के लिए इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ इनफार्मेशन टेक्नोलॉजी (IIIT) दी गई, लेकिन बिल्डिंग नहीं होने के कारण उसे भी साल 2013 में जयपुर के एमएनआईटी में शुरू कर दिया गया. साल 2014 में सरकार बदल गई और राशि नहीं मिलने के कारण यह बिल्डिंग नहीं बन पाई. साल 2019 में बिल्डिंग के लिए राशि स्वीकृत हुई और साल 2020 में सीपीडब्ल्यूडी ने ठेकेदार के जरिए इसका निर्माण शुरू करवाया गया. हालांकि इसे 18 महीने में ही बनकर तैयार हो जाना था, लेकिन 2 साल की लेटलतीफी के चलते अब बिल्डिंग बनकर तैयार हुई है.
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पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप से बनी बिल्डिंग :इस बिल्डिंग का निर्माण पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप के तहत भी हुआ है. इसमें 50 फीसदी पैसा केंद्र सरकार ने दिया है. इसके अलावा स्टेट का शेयर 35 है, शेष 15 फीसदी में 4 निजी कंपनियां शामिल हैं. लोकसभा स्पीकर ओम बिरला भी काफी समय से इसके लिए प्रयासरत थे. ऐसे में जल्द ही IIIT कोटा के नवनिर्मित कैंपस का लोकार्पण किया जाएगा. इस लोकार्पण समारोह में पीएम मोदी और एचआरडी मिनिस्टर शामिल हो सकते हैं.
इस तरह से काम करती है ग्रीन कॉन्सेप्ट :सीपीडब्ल्यूडी के सहायक अभियंता (सिविल) दिव्य प्रकाश मीणा का कहना है कि बिल्डिंग को ग्रीन कॉन्सेप्ट से बनाने के लिए डबल एसी ब्लॉक लगाए गए हैं. इनके बीच में थोड़ा गैप रहता है, जिससे बाहर की गर्मी अंदर कम आ पाती है. इसी कारण नॉर्मल बिल्डिंग से यहां थोड़ी ज्यादा ठंडक रहती है. साथ ही बिल्डिंग के हर विंडो या ब्लॉक में भी डबल ग्लास लगाए गए हैं. इन दो ग्लास के बीच में गैप दिया गया है. पहले एक ग्लास 12 एमएम का उसके बाद 6 एमएम खाली जगह है, इसके आगे 12 एमएम का एक और ग्लास लगाया गया है. कांच के जरिए गर्मी बिल्डिंग में प्रवेश करती है, इसलिए पहले वाले कांच के बाद गैप होने से तपन रुक जाएगी.
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बिल्डिंग में लगे हैं विद्युत बचाने के लिए सेंसर :सीपीडब्ल्यूडी के सहायक अभियंता (इलेक्ट्रिकल) प्रभात कुमार का कहना है कि बिल्डिंग में इलेक्ट्रिक फिटिंग के साथ सेंसर लगाए गए हैं. साथ ही फायर अलार्म और फायर फाइटिंग के भी सभी उपकरण लगे हैं. इस बिल्डिंग में लगने वाले दरवाजे फायर रेसिस्टेंट हैं, यानी अगर आग अंदर लगी है तो लगातार 2 घंटे तक आग दरवाजे से बाहर नहीं आ सकती है. इसके साथ ही कोरिडोर में सेंसर भी लगाए गए हैं, ताकि कोई व्यक्ति अगर कॉरिडोर में चल रहा है तो ही बिजली चालू रहेगी, अन्यथा वह बंद हो जाएगी. एईएन प्रभात कुमार का यह भी कहना है कि सभी बिल्डिंग में एलईडी लाइट का उपयोग किया गया है. इसके साथ ही बिजली बचाने के लिए कम विद्युत खर्च करने वाले पंखे लगाए गए हैं. सभी हॉस्टल रूम में स्टूडेंट की टेबल पर उन्हें इंटरनेट कनेक्शन, लैपटॉप चार्जिंग के साथ लैंप और सभी आवश्यकता की चीजें उपलब्ध करवाई गई हैं.
900 स्टूडेंट्स के लिए हॉस्टल :IIIT कोटा के दो फेज के निर्माण के लिए 106 करोड़ रुपए की स्वीकृति जारी हुई थी, जिसमें पहले फेज में एकेडमिक कम एडमिनिस्ट्रेटिव ब्लॉक का निर्माण किया गया था. बिल्डिंग पूरी तरह से बनकर तैयार है. इसमें लेक्चर, थियेटर, कंप्यूटर और नॉर्मल लैब बनी हुई है. इसके साथ ही डायरेक्टर और डीन ऑफिस, एडमिनिस्ट्रेटिव, एस्टेब्लिशमेंट और अकाउंट सेक्शन भी बनाए गए हैं. इसके साथ ही 200 सीटिंग कैपेसिटी का ऑडिटोरियम भी बनाया गया है. इसके अलावा एक छोटा कैंटीन भी बनाई गई है. बिल्डिंग में पूरी तरह से सेंट्रलाइज्ड एसी है. पानी की कमी होने के चलते यहां पर सेंट्रलाइज्ड एसी के लिए एयर चिलर लगाए गए हैं, ताकि पानी की बचत भी हो सके. दूसरे फेज के तहत 52 करोड़ रुपए की स्वीकृति हुई थी, इसमें बॉयज और गर्ल्स हॉस्टल, मेस, डायरेक्टर रेजिडेंस, टाइप-3 और टाइप-4 क्वाटर्स भी बनाए गए हैं. गर्ल्स हॉस्टल की क्षमता 144 और बॉयज हॉस्टल की 760 है.
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जल्द होगा कोटा में शिफ्ट :IIIT कोटा के कोऑर्डिनेटर प्रो. एके व्यास का कहना है कि कोटा शिफ्टिंग के लिए पूरी तैयारी कर ली गई है. वर्तमान में 11 टीचिंग स्टाफ IIIT में हैं, जिनमें बढ़ोतरी के लिए भर्ती खोली जाएगी. इसके अलावा नॉन टीचिंग स्टाफ टेंपरेरी ही जयपुर में काम कर रहा है. ये सब कुछ कांट्रेक्चुअल था, लेकिन अब कोटा IIIT में परमानेंट स्टाफ की भर्ती की जाएगी. जयपुर एमएनआईटी परिसर से कोटा शिफ्टिंग के लिए प्रयास शुरू कर दिए गए हैं.
11वें बैच को मिलेगा कोटा में पढ़ने का अवसर :वर्तमान में हर साल 214 स्टूडेंट्स को बीटेक के लिए IIIT में एडमिशन दिए जाते हैं. इनमें कंप्यूटर साइंस इंजीनियरिंग ब्रांच में 143 और इलेक्ट्रॉनिक्स में 71 स्टूडेंट्स शामिल हैं. इस साल भी ज्वाइंट सीट एलोकेशन अथॉरिटी (JoSAA) की काउंसलिंग के बाद IIIT की 214 सीटों पर स्टूडेंट्स को प्रवेश मिलेगा. यह IIIT का 11वां बैच है, जिसे कोटा के नवनिर्मित कैंपस में पढ़ने का अवसर मिलेगा. इसके पहले के सभी बैच जयपुर से पास आउट हुए हैं.
जयपुर से पास होकर निकल जाएंगे 6 बैच :IIIT कोटा स्वीकृत तो कोटा के लिए हुई थी, लेकिन इसे एमएनआईटी जयपुर परिसर में चलाया जा रहा था. बिल्डिंग नहीं बन पाने के चलते लगातार बीते 10 सालों से जयपुर में ही स्टूडेंट पढ़ रहे थे. ऐसे में साल 2013-14 में पहले बैच को एडमिशन मिला था, यह बैच साल 2018-19 में पासआउट भी हो गया है. इसके बाद लगातार 5 बैच अब तक जयपुर से ही पास आउट हो चुके हैं. वर्तमान में जयपुर के कैंपस में करीब 800 विद्यार्थी पढ़ रहे हैं, इनमें से करीब 200 स्टूडेंट्स इस साल पास आउट हो जाएंगे. शेष 600 स्टूडेंट्स कोटा शिफ्ट होंगे.