कोटा. देश की सबसे बड़ी इंजीनियरिंग प्रवेश परीक्षा जॉइंट एंट्रेंस एक्जाम (JEE MAIN 2023) के जनवरी सेशन के लिए परीक्षा के लिए अप्लाई प्रक्रिया शुरू हो चुकी है. इस बार अप्लाई प्रक्रिया में नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (National Testing Agency changed the JEE Main eligibility criteria) ने बदलाव किए हैं, जिनसे अप्लाई प्रक्रिया में कई गलतियां या गड़बड़ी हो गई है. जिससे बहुत अधिक संख्या में स्टूडेंट असमंजस में आ गए हैं. इस बार बोर्ड पर्सेंटेज की शर्त दोबारा लगाए जाने से हजारों की संख्या में तैयारी कर रहे स्टूडेंट एलिजिबिलिटी क्राइटेरिया (Student Eligibility Criteria) से बाहर ही गए है. क्योंकि बीते तीन साल से इसमें छूट दी गई थी.
नेशनल टेस्टिंग एजेंसी के जारी किए गए इनफार्मेशन बुलेटिन के अनुसार, एनआईटी, ट्रिपलआईटी और जीएफटीआई की काउंसलिंग आयोजक संस्था सीएसएबी ने प्रवेश बोर्ड पात्रता सामान्य, ईडब्ल्यूएस और ओबीसी के लिए 75 प्रतिशत, एससी-एसटी के लिए 65 प्रतिशत अनिवार्य होना बताया गया है. जबकि बीते तीन सालों में इस बोर्ड पात्रता से रियायत दी जा रही थी और इसके अलावा साल 2019 तक इस पात्रता के साथ साथ स्टूडेंट्स को कैटेगिरी अनुसार संबंधित बोर्ड की टॉप-20 पर्सेन्टाइल के आधार पर भी आईआईटी और एनआईटी में प्रवेश (Engineering Entrance Exam) के लिए योग्य माना जाता था, लेकिन इस साल इनफोर्मेशन बुलेटिन में टॉप-20 पर्सेन्टाइल बोर्ड पात्रता का कोई जिक्र नहीं किया गया है. हालांकि, इस नोटिफिकेशन में यह भी जानकारी दी गई है कि संस्थान अपनी प्रवेश पात्रता में बदलाव कर सकते हैं.
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ये मिलता था स्टूडेंट को फायदा: निजी कोचिंग संस्थान के करियर काउंसलिंग एक्सपर्ट अमित आहूजा का मानना है कि देश में बहुत से बोर्ड की परीक्षाएं इतनी कठिन होती हैं कि उनमें स्टूडेंट्स को 75 प्रतिशत अंक लाना भी चुनौती होता है. ऐसे में इन बोर्डों की टॉप-20 पर्सेन्टाइल 75 प्रतिशत के मुकाबले कम जाती थी और स्टूडेंट टॉप-20 पर्सेन्टाइल योग्यता क्वालीफाई कर आईआईटी और एनआईटी में प्रवेश करवा पाता था. ऐसे में हजारों की संख्या में स्टूडेंट असमंजस में आ गए हैं, जिनकी बोर्ड पात्रता 75 प्रतिशत और कैटेगिरी अनुसार 65 प्रतिशत नहीं आ पाई है, क्योंकि अब इन स्टूडेंट्स के पास अपने संबंधित बोर्ड से इम्प्रूवमेंट का विकल्प भी निकल चुका है.
कैसे मिलेगा एनआईटी में स्टेट कोटा का फायदा पर भी संशय? : अमित आहूजा ने बताया कि जेईई-मेन में अप्लाई के दौरान एक बड़ी त्रुटि यह सामने आई है कि हर साल आवेदन में स्टेट ऑफ एलिजिबिलिटी (State of Eligibility in Application) विकल्प भरवाया जाता है, जिसमें स्टूडेंट अपने 12वीं बोर्ड उत्तीर्ण करने वाले स्टेट की जानकारी देता था, जिससे उसे उस स्टेट की एनआईटी में 50 प्रतिशत सीटों में होम स्टेट कोटे से दाखिला मिलता है. इस साल आवेदन के दौरान पूरे अप्लाई में कहीं भी उस स्टेट का जिक्र नहीं किया गया है और उसके स्थान पर स्टेट ऑफ रेजीडेंस (निवास) की जानकारी मांगी गई है.
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2023 की जगह 2022 के सर्टिफिकेट मांगे: आहूजा ने बताया कि अप्लाई के दौरान दूसरी बड़ी गलती यह सामने आई है कि ऐसे स्टूडेंट ओबीसी और ईडब्ल्यूएस के हैं. उनके दस्तावेजों को 1 जनवरी 2022 के बाद का मांगा गया है, जबकि इसके स्थान पर संबंधित कैटेगिरी दस्तावेज को 1 जनवरी 2023 के बाद का मांगा जाना था. ऐसे में जिन स्टूडेंट्स के पास ओबीसी ईडब्ल्यूएस सर्टिफिकेट नहीं हैं. वे स्टूडेंट डिक्लेरेशन के जरिए से अप्लाई कर सकते हैं, लेकिन दिए जाने वाले डिक्लेरेशन में भी 1 जनवरी 2022 ही दर्ज है.