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Festival Season : बसों का किराया 1000 तक बढ़ा, घर नहीं जा पा रहे कोचिंग स्टूडेंट्स

कोटा में बसों के बढ़ते किराए ने कोचिंग छात्रों की नींद उड़ा दी है. कई छात्र घर नहीं जा पा रहे हैं. 9 नवंबर से लगने वाली छुट्टियों के चलते ट्रेनों में भी सीट नहींं मिल पा रही तो वहीं बसों के किराए 1000 तक बढ़ गए हैं.

bus fares have increased in Kota
बसों का किराया 1000 तक बढ़ा

By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Nov 4, 2023, 10:01 AM IST

Updated : Nov 4, 2023, 12:00 PM IST

बसों का किराया 1000 तक बढ़ा

कोटा.दीपावली का त्योहार सिर पर है. देशभर से कोटा में विद्यार्थी अध्ययन के लिए आते हैं. इस बीच कोचिंग संस्थान उन्हें लंबी छुट्टियां भी प्रदान करते हैं. ऐसे में ये सभी विद्यार्थी 9 नवंबर से अवकाश पर अपने घरों को जाएंगे, लेकिन ट्रेनों में नो रूम की स्थिति बनी हुई है. अधिकांश ट्रेनों में जगह नहीं मिल रही है. ऐसे में स्टूडेंट तत्काल टिकट के भरोसे हैं या फिर लंबी वेटिंग के टिकट ले रखे हैं. साथ ही बस का भी उनके पास एक ऑप्शन है, लेकिन बसों के बढ़ते किराए ने छात्रों की नींद उड़ा दी है. हालात ऐसे हैं कि लखनऊ, कानपुर, दिल्ली, अहमदाबाद, इंदौर व भोपाल के किराए दोगना हो गए हैं. दूसरी तरफ परिवहन विभाग भी चुनाव के लिए गाड़ियों की व्यवस्था करने में जुटा हुआ है. ऐसे में इन कोचिंग छात्रों की समस्या पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है.

बढ़ा हुआ बसों का किराया इस प्रकार है.

हमारे बारे भी सोचना चाहिए : कोचिंग छात्र आयुष कुमार यादव का कहना है कि बसों का किराया फेस्टिवल सीजन में बढ़ जाता है, उन्हें अपना व्यापार करना है, लेकिन थोड़ा कोचिंग छात्रों के बारे में भी सोचना चाहिए. ट्रेन का किराया नहीं बढ़ा है, लेकिन बस का किराया 1000 रुपए तक बढ़ गया है. बिहार की एक कोचिंग छात्रा साक्षी का कहना है कि ऐसे समय में ट्रेन टिकट नहीं मिल पाता है, वेटिंग रहता है. बस का भी किराया डबल हो जाता है, दिक्कतें आ रही है. मुझे भी टिकट नहीं मिल रहा था, ऐसे में दिल्ली तक का ही टिकट मिल पाया है.

घर जाना हो जाता है मुश्किल : इस बीच कोचिंग स्टूडेंट देवांशी का कहना है कि किराया तो बढ़ जाता है, लेकिन ऐसा होना बिल्कुल गलत है. पूरे साल में एक बार ही हमें छुट्टी मिलती है. किराया बढ़ने से कई बच्चें घर नहीं जा पाते हैं. पेरेंट्स भी ज्यादा किराया होने के चलते मना कर देते हैं. सरकार को इस पर सोचना चाहिए. अधिकांश बच्चे चले जाते हैं, लेकिन कुछ बच्चे टिकट के चक्कर में नहीं जा पाते हैं. इससे पढ़ाई पर भी असर होता है. हॉस्टल के बच्चे तो फेस्टिवल भी नहीं मना पाते हैं.

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दूसरी तरफ से नहीं मिलता है यात्री भार : बस ऑपरेटर अशोक कुमार चांदना का कहना है कि रेगुलर बसों का कोई किराया नहीं बढ़ा है. दीपावली के चलते यात्री भार एक तरफ से बढ़ गया है. इन यात्रियों की सुविधा के लिए अतिरिक्त बसें लगानी पड़ रही है. दीपावली के समय सीजन होता है. इसीलिए करीब 60 फीसदी तक किराया बढ़ जाता है. यह किराया ऑनलाइन बुकिंग करने वाले भी बढ़ा देते हैं. वो भी इसमें अपना ज्यादा मार्जिन लेते हैं. उन्होंने उदाहरण देते हुए बताया कि जिस तरह से फ्लाइट में भी बुकिंग एप पैसा बढ़ा देती है, वैसा ही यहां होता है. दूसरी तरफ दीपावली के समय एक तरफ से यात्रीभार मिल जाता है, लेकिन दूसरी तरफ से बस अधिकांश खाली आती है, इसीलिए डीजल सहित पूरी जिम्मेदारी बस मालिक पर ही आ जाती है.

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ट्रेन और फ्लाइट में भी लिया जाता है एक्स्ट्रा किराया : बस ऑपरेटर महेश कुमार का कहना है कि दीपावली पर अतिरिक्त बसें लगानी पड़ती है. इन बसों का अतिरिक्त टैक्स व टोल टैक्स भी दोनों तरफ का होता है. इसके अलावा त्योहार होने पर चालक-परिचालक को भी उससे ज्यादा ही राशि देनी पड़ती है. कई बार यात्री भार नहीं मिलने पर बसों को एक-दो दिन रोकना पड़ता है. हालांकि इस तरह का किराया केवल बस वाले ही नहीं ले रहे, डायनेमिक फेयर के रूप में ट्रेनों में भी ये वसूला जा रहा है. तत्काल के रूप में भी काफी ज्यादा राशि ली जाती है. प्रदेश में अधिकांश स्लीपर या एसी कोच बस कांटेक्ट कैरिज के तहत चल रही है. इनमें राज्य सरकार को किराया तय करने का अधिकार नहीं होता है. कांटेक्ट कैरिज में यात्री और बस ऑपरेटर के बीच में अनुबंध ही माना जाता है. इसी का फायदा अधिकांश बस ऑपरेटर उठाते हैं. फेस्टिवल सीजन में या फिर यात्री भार बढ़ने पर किराया ज्यादा कर दिया जाता है. प्रादेशिक परिवहन अधिकारी अर्जुन सिंह राठौड़ का कहना है कि बस ऑपरेटर को बुलाकर इस संबंध में बात की जाएगी. दूसरी तरफ उन्होंने कहा कि यह कांट्रैक्ट कैरिज की बसें होती है. इनमें किराया भी तय नहीं किया जा सकता है.

Last Updated : Nov 4, 2023, 12:00 PM IST

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