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कोटा एमबीएस अस्पताल का निर्माण कार्य बजट की कमी से रुका - एमबीएस

कोटा जिले के एमबीएस अस्पताल का निर्माण कार्य बजट की कमी से थम गया है. एमबीएस अस्पताल के अधीक्षक डॉ. नवीन सक्सेना का कहना है कि निर्माण कार्य काफी धीमी गति से चल रहे हैं. इस संबंध में पीडब्ल्यूडी के अधिकारियों से बात की थी. वहीं, पीडब्ल्यूडी के अधिशासी अभियंता शरद सक्सेना का कहना है कि अस्पताल प्रबंधन की तरफ से उन्हें बजट नहीं मिल पा रहा है.

एमबीएस अस्पताल का निर्माण कार्य रुका

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Published : Jul 9, 2019, 5:43 PM IST

कोटा.बजट के चलते मेडिकल कॉलेज के एमबीएस अस्पताल के निर्माण कार्य भी थम गए हैं. अस्पताल में चल रहे तीन निर्माण कार्य ऐसे हैं, जिनकी समय सीमा निकल चुकी है, लेकिन वे अभी भी अधूरे ही पड़े हुए हैं. पीडब्ल्यूडी के अभियंता बजट नहीं होने का हवाला दे रहे हैं.

एमबीएस अस्पताल का निर्माण कार्य रुका

सेंट्रल लैब
अस्पताल में पुरानी सेंट्रल लैब की जगह ही रेनोवेशन और नवीन निर्माण कार्य करवाया जा रहा है. यह कार्य फरवरी 2018 से शुरू था, जिसे 8 महीने में पूरा होना था, लेकिन इस 88 लाख के निर्माण कार्य को शुरू हुए डेढ़ साल से ज्यादा हो गया है और अभी भी यह अधूरा ही है. ऐसे में सेंट्रल लैब का कार्य प्रभावित हो रहा है. जिससे मरीजों को भी असुविधा हो रही है.

ड्रग वेयर हाउस
अस्पताल में आरआरसी के सामने नया ट्रक वेयरहाउस 135 लाख की लागत से बनाया जाना है. इसका कार्य जनवरी 2018 में शुरू हुआ था. जिसे सितंबर 2018 में ही पूरा होना था, लेकिन डेढ़ साल बाद भी अभी भी कार्य पूरा नहीं हुआ है.

रिकॉर्ड रूम
ड्रग वेयरहाउस के पास ही 77 लाख रुपए की लागत से रिकॉर्ड रूम का निर्माण करवाया जाना है. इसका निर्माण कार्य 20 जुलाई 2018 में शुरू हुआ था. जिसे इस साल जनवरी में पूरा होना था. यह कार्य भी बजट नहीं होने के चलते आधा अधूरा ही है.

एमबीएस अस्पताल के अधीक्षक डॉ. नवीन सक्सेना का कहना है कि निर्माण कार्य काफी धीमी गति से चल रहे हैं. इस संबंध में पीडब्ल्यूडी के अधिकारियों से बात की थी, उन्होंने बजट की कमी के चलते धीमी गति से होने की बात कही थी. हालांकि, सेंट्रल लैब का काम चलने से मरीजों को भी परेशानी हो रही है और काम भी प्रभावित होता है.

वहीं, पीडब्ल्यूडी के अधिशासी अभियंता शरद सक्सेना का कहना है कि अस्पताल प्रबंधन की तरफ से उन्हें बजट नहीं मिल पा रहा है. इसके चलते ठेकेदार का भुगतान नहीं कर पा रहे हैं. साथ ही ठेकेदार का पैसा भी बिल्डिंग में लग चुका है. अब वह और पैसा नहीं लगा पा रहा है. इसके चलते काम धीमी गति से चल रहा है.

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