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Abheda Biological Park : बाघ के शावकों को वाइल्ड व अनटच रखने के जतन जारी, सिखाया शिकार करना

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Published : Mar 29, 2023, 7:21 PM IST

कोटा के अभेड़ा बायोलॉजिकल पार्क में दो शावकों को वाइल्ड रखने के लिए वन्यजीव विभाग अनटच फार्मूले पर काम कर रहा है. शावकों को मुर्गे के जरिए से शिकार करना भी सिखाया गया है. और क्या हो रहा खास ? जानने के लिए देखिए ये रिपोर्ट...

Tiger Cubs in Abheda Biological Park
शावकों को सिखाया शिकार करना

डीसीएफ सुनील गुप्ता ने क्या कहा...

कोटा.रणथंभौर टाइगर रिजर्व की बाघिन टी-114 की मौत के बाद उसके दो शावकों कोटा शिफ्ट किया है, जिन्हें अभेड़ा बायोलॉजिकल पार्क में दो महीने से ज्यादा समय हो गया है. वन्यजीव विभाग दोनों शावकों को वाइल्ड रखने के लिए अनटच फार्मूले पर काम कर रहा है. इन दोनों शावकों ने शिकार करना भी प्रारंभिक तौर पर सीख लिया है. दोनों शावकों को मुर्गे के जरिए से शिकार करना सिखाया गया है. हालांकि, अभी इनकी उम्र कम है. ऐसे में पूरी तरह से सुरक्षा रखते हुए ही इन्हें शिकार करवाया जा रहा है, साथ ही दूसरी तरफ मीट के रूप में डाइट भी इन्हें दी जा रही है.

डीसीएफ सुनील गुप्ता का कहना है कि हमारा मकसद मानव से उनको दूर रखा जाए, उन्हें डायरेक्ट टच में नहीं लिया जाए या फिर मिनिमम टच में रखा जाए. कराल एरिया में जंगल जैसा माहौल रखा है. शिकार के मामले पर डीसीएफ वन्यजीव गुप्ता का कहना है कि जब इनको जंगल में छोड़ा जाएगा, तब शिकार करने में सक्षम हो जाए. ये अपना पेट भर सके. इसके लिए शिकार देना भी शुरू कर दिया, जिसमें छोटे मोटे शिकार दिए जा रहे है, ताकि वह खुद शिकार करके अपना पेट भरे लेंगे.

2 महीने में बढ़ गया है 3 गुना वजन : डॉ. विकास राव गुल्हने का कहना है कि दोनों शावक अच्छे हैं. दो माह में इनका 3 गुना वजन बढ़ गया है. अच्छी डाइट भी यह ले रहे हैं और पूरी तरह से एक्टिव हैं. इनकी डाइट के बारे में बताते हुए डॉ. गुल्हने ने बताया कि अंदाज एक शावक करीब सवा 2 किलो मीट खा लेता है. डॉ. गुल्हने का कहना है कि यह शावक 40 किलो से ज्यादा के हो जाएंगे, तब पूरी तरह से शिकार करवाया जाएगा.

अभी लड़नी है लंबी लड़ाई : डॉ. विकास राव गुल्हने के अनुसार अभी दोनों शावकों को लंबी लड़ाई लड़नी है. इनकी मां से दोनों दूर हो गए थे. करीब दो माह से कोटा में है. वहीं, ये वर्तमान में करीब साढ़े 4 माह के आसपास के हुए हैं, जबकि टाइगर वयस्क के करीब डेढ़ साल में हो जाता है, जिसका वजन 160 से 230 किलो के आसपास होता है. इस हिसाब से दोनों शावकों को लंबी लड़ाई लड़नी है. इसी तरह से फीमेल टाइगर का वजन 130 से 180 के आसपास होता है.

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कोई एब्नॉर्मलिटी नहीं आई सामने : स्वास्थ्य परीक्षण में इनको स्क्रीन पर मॉनिटर किया जाता है, जिसमें दोनों शावक खेलते कूदते-दौड़ते भाग करते नजर आते हैं, तब समझा जाता है कि यह बिल्कुल स्वस्थ हैं. अगर स्वस्थ नहीं होंगे, तब गुमसुम बैठे रहेंगे या उठ नहीं पाएंगे. इनके स्केट (मल) भी पतला नहीं आ रहा है. कोई एब्नॉर्मल बात सामने नहीं आ रही है. इसलिए इन्हें फिट माना जा रहा है. दूसरी तरफ इनकी डाइट भी अच्छी है. ऐसे में फिट होने पर ही ये अच्छी डाइट और पर्याप्त पानी पी रहे है. वाइल्ड लाइफ में इन सब तरह से ही मॉनिटरिंग होती है.

एक का 19 दूसरे का 15 किलो पहुंचा वजन : दोनों शावकों को 31 जनवरी की रात को लाया गया था, तब एक का वजन 7 किलो 200 ग्राम और दूसरे का 4 किलो 900 ग्राम था. डॉ. तेजेंद्र रियाड़ का कहना है कि करीब 10 दिन पहले इनका वजन लिया था, जिसमें एक शावक का वजन करीब 19 किलो के आसपास हो गया है, जबकि दूसरे का वजन 14.900 किलो है. दोनों शावकों को वैक्सीन की पहली डोज लग गई है, साथ ही दूसरी डोज एक-दो दिन में लगाई जाएगी.

पूरी तरह से बनाया जंगली एरिया : शावकों को जंगली माहौल देने के लिए अभेड़ा बायोलॉजिकल पार्क में एक एनक्लोजर में एक साथ बने दो नाइट शेल्टर में रखा है. यह करीब 10 गुना 20 फीट के हैं, जबकि साथ मे करीब 20 गुना 25 फीट के एरिया के एरिया को कराल बनाया हुआ है. इसे जंगल जैसा ही मिट्टी वाला रखा है, जिसे ऊपर से छोड़ सभी तरफ से कवर किया है, ताकि व्यक्ति से सम्पर्क नहीं हो. इसमें इनके खेलने के लिए वुडन लॉग व टायर डाल रखे हैं, जहां ये नाखून की तीखे करने के लिए टायर और लकड़ी को खुरचते हैं.

शावकों को मिनरल वाटर ही दिया जा रहा : दोनों शावकों के लिए फ्रेश वाटर के लिए फिलहाल मिनरल वाटर के ही दिया जा रहा है. जब इनका वजन बढ़ जाएगा और शरीर भी थोड़ा मजबूत होगा, तभी धीरे-धीरे नॉर्मल वाटर पर शिफ्ट किया जाएगा. फिलहाल, हम इन के मामले में किसी भी तरह की कोई रिस्क नहीं ले रहे हैं. यदि इनका पेट खराब हो जाएगा, जिसमें डिहाईड्रेशन और डायरिया जैसी स्थिति बनती है, तब इन्हें हैंडल करना पड़ेगा. हम रिस्क नहीं ले रहे हैं. बीमार होने पर उनको हैंडल करना पड़ेगा और रीवाईल्ड व अनटच की जो हमारी प्रक्रिया है, वह नहीं रह पाएगी.

मीट पर छिड़क रहे पैट लेक्ट पावडर : डॉ. तेजेंद्र रियाड़ का कहना है कि दोनों शावकों को दूध नहीं दिया जा रहा है. यह जब कोटा लाए गए थे, तब से ही मीट का सेवन कर रहे हैं. ऐसे में इन्हें मीट पर छिड़ककर पैट लेक्ट पाउडर दिया जा रहा है. यह मिल्क पाउडर का मिलता-जुलता होता है, लेकिन इसमें मिनरल विटामिन और कई पोषक तत्व होते हैं.

उम्मीद छह माह का होने पर छोड़ा जाएगा : डॉ. रियाड़ के अनुसार दोनों शावकों की उम्र छह माह हो जाएगी, तब ही मुकुन्दरा हिल्स टाइगर रिजर्व में छोड़ा जाएगा. जहां पर 28 हेक्टेयर के एक सॉफ्ट एंक्लोजर में रखा जाएगा, जिससे ये वहां के इलाके से वाकिफ हो जाएं. डॉ. रियाड़ के अनुसार हमने इनके स्केट (मल) का दो बार परीक्षण करवा लिया है, यह पूरी तरह से नॉर्मल आया है. किसी भी पर परजीवी का संक्रमण नजर नहीं आया है.

रात भर कराल में मस्ती, दिन में नाइट शेल्टर में आराम : डीसीएफ सुनील गुप्ता का कहना है कि जब इन्हें लाया गया था, तब इनमें एक कमजोर था, लेकिन अब पूरी तरह से एक्टिव हो गया है. इनके के लिए बनाए गए कराल एरिया में रात भर मस्ती करते हैं. जब सुबह हो जाती है और उजाला हो जाता है, तब यह कराल को छोड़कर नाइट शेल्टर के अंधेरे कॉर्नर में आकर बैठो कर सो जाते हैं. इन्हें सीसीटीवी में रात भर मूवमेंट करते देखा जाता है. नाइट शेल्टर की पूरी तरह से साफ सफाई और सैनिटाइजेशन होता है. नाइट शेल्टर और कराल का एरिया पूरी तरह से खुला हुआ है. ऐसे में यह अपनी इच्छा से दोनों जगह मूवमेंट कर सकते हैं.

सीसीटीवी के साथ 20 लोग लगे मॉनिटरिंग में : डीसीएफ गुप्ता के अनुसार अभी 2 चिकित्सक मिलाकर 20 जनों का स्टाफ यहां पर तैनात किया गया है, जो कि पूरी तरह से मॉनिटरिंग में लगा हुआ है. इसमें जानवरों के नजदीक जाने की अनुमति किसी भी स्टाफ को नहीं है. केवल सीसीटीवी से ही उन्हें दोनों शावकों पर नजर रखना है. नियमित रूप से दवाओं का छिड़काव कर रहे हैं, ताकि कोई बैक्टीरिया नहीं पनपे.

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