बीकानेर : भारत और अमेरिका की सेनाओं के बीच संयुक्त सैन्य अभ्यास का शनिवार को समापन हो गया. इस मौके पर महाजन फील्ड फायरिंग रेंज में समारोह का आयोजन किया गया, जिसमें बताया गया कि दोनों देशों के बीच ये 20वां संयुक्त युद्धाभ्यास था. वहीं, अब अगला युद्धाभ्यास अमेरिका में होगा, जिसमें भारतीय सेना के जवान अमेरिका जाएंगे. इधर, इस युद्धाभ्यास के दौरान दोनों देशों की सेनाओं ने आपसी सामंजस्य के साथ एक-दूसरे के रणनीतिक कौशल और हथियारों की तकनीक व संचालन से संबंधित जानकारियां व अनुभव साझा किए.
आतंकवाद विरोधी अभियानों पर केंद्रित किया ध्यान : युद्धाभ्यास ने संयुक्त राष्ट्र के अर्ध-शहरी और अर्ध-रेगिस्तानी इलाके में आतंकवाद विरोधी अभियानों पर ध्यान केंद्रित किया. इस अभ्यास में शारीरिक फिटनेस, सामरिक अभ्यास और दोनों सेनाओं के बीच सर्वोत्तम प्रथाओं, तकनीकों और प्रक्रियाओं के आदान-प्रदान पर जोर दिया गया, जो समापन समारोह के दौरान स्पष्ट रूप से प्रदर्शित हुआ.
राजपूत रेजिमेंट ने किया प्रतिनिधित्व : भारतीय दल का प्रतिनिधित्व अमोघ डिवीजन की राजपूत रेजिमेंट के एक बटालियन समूह और एक इन्फैंट्री ब्रिगेड मुख्यालय ने किया. अमेरिकी दल में अलास्का स्थित 1-24 इन्फैंट्री बटालियन और 11वीं एयरबोर्न डिवीजन के सैनिक शामिल थे. थार रेगिस्तान के कठिन भूभाग और जलवायु का सामना करते हुए इस दीर्घकालिक अभ्यास में 1200 से अधिक सैन्यकर्मियों ने हिस्सा लिया.
दो चरणों में हुआ अभ्यास : यह अभ्यास दो चरणों में आयोजित किया गया था. पहले चरण में दोनों दलों ने युद्धाभ्यास और सामरिक प्रशिक्षण पूरा किया, जिसमें उनकी संयुक्त संचालन क्षमता को सुधारने पर ध्यान केंद्रित किया गया. दूसरे चरण, जिसे सत्यापन चरण कहा जाता है. इसमें प्रशिक्षण को संयुक्त अभियानों की एक श्रृंखला के माध्यम से व्यवहार में लाया गया. साथ ही एक कमान योजना अभ्यास भी आयोजित किया गया, जिसका उद्देश्य योजना, तकनीकों, रणनीति और प्रक्रियाओं को सत्यापित करना और संयुक्तता तथा अंतरसंचालनीयता को बढ़ाना था.
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काल्पनिक ठिकानों को किया ध्वस्त : युद्धाभ्यास के अंतिम 72 घंटे में हुए सत्यापन अभ्यास में दुश्मन के काल्पनिक ठिकानों पर जमीनी और हवाई स्तर से हमला करते हुए रॉकेट और पिनाका मिसाइल का भी उपयोग किया गया. अवलोकन चौकी स्थापित करना, रोड ओपनिंग ड्रिल, घेराबंदी और तलाशी अभियान, और घरों को साफ करने के अभ्यास जैसी कई प्रकार की संयुक्त गतिविधि शामिल थी. इसमें हेलिकॉप्टरों का उपयोग करके घायलों को निकाला गया.
इसके अलावा C-130, ALH और Mi-17 प्लेटफार्मों का उपयोग करके एयरबोर्न और हेलिबोर्न ऑपरेशंस भी किए गए. एक लाइव फायरिंग अभ्यास भी आयोजित किया गया, जिसमें PINAKA, HIMARS और M-777 तोपों जैसी लंबी दूरी की मारक क्षमता का उपयोग कर लक्ष्यों को बेअसर किया गया, जिसके बाद अंतिम घेराबंदी और तलाशी अभियान ने सटीकता और प्रभावशीलता का प्रदर्शन किया.
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सैनिकों को किया सम्मानित : समापन समारोह में दोनों सेनाओं के उत्कृष्ट सैनिकों को सम्मानित किया गया और उनकी सांस्कृतिक और सैन्य विरासत को प्रदर्शित किया गया. एक श्रृंखला के कार्यक्रमों ने दोनों देशों की समृद्ध परंपराओं को उजागर किया, जिससे दोनों सेनाओं के बीच संबंधों को और अधिक मजबूती मिली. समापन के दौरान हथियार और उपकरण प्रदर्शनी आयोजित की गई.
आत्मनिर्भर भारत पहल के तहत स्वदेशी रूप से निर्मित हथियार प्रणालियों का प्रदर्शन किया गया. अमेरिकी सेना के मेजर जनरल जो हिल्बर्ट ने कहा कि युद्ध अभ्यास-24 भारत और अमेरिका के रक्षा साझेदारी में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित हुआ, जिसने द्विपक्षीय संबंधों को और मजबूत किया और वैश्विक आतंकवाद विरोधी अभियान में योगदान दिया.