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बैलेट पेपर से हो सकते हैं पंचायत एवं निकाय चुनाव, राज्य निर्वाचन आयुक्त ने दिए संकेत

राजस्थान में पंचायती राज एवं नगर निकाय चुनाव फिर बैलेट पेपर के जरिए हो सकते हैं. राज्य निर्वाचन आयुक्त ने कहा है कि छोटी जगहों पर बैलेट से चुनाव काफी सरल और कम खर्च में हो सकते हैं.

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Published : Mar 22, 2023, 1:56 PM IST

जोधपुर.राज्य के पंचायती राज एवं नगर निकाय के आने वाले चुनावों में एक बार फिर मतदाता बैलेट पेपर के जरिए वोट डालते नजर आ सकते हैं. राज्य निर्वाचन आयोग का मानना है कि चुनाव सरल और कम खर्च के होने चाहिए. बुधवार को जोधपुर आए राज्य निर्वाचन आयुक्त मधुकर गुप्ता ने सर्किट हाउस में मीडिया से बात करते हुए ऐसे संकेत दिए हैं. उन्होंने कहा है कि छोटी पंचायतों और निकायों में बैलेट पेपर के जरिए चुनाव करवाना काफी सरल और कम खर्चीला होेगा.

गुप्ता ने बताया कि 2000 मतदाताओं की संख्या पर बैलेट से चुनाव आसनी से हो सकते हैं. उन्होंने कहा कि वर्तमान में हर स्तर पर चुनाव में ईवीएम का प्रयोग हो रहा है. यह बहुत खर्चीला है. इनके रखरखाव के लिए इंजीनियर को बुलाना पडता है. गुप्ता ने बताया कि हमारा प्रयास सरल सुलभ सस्ते चुनाव करवाने हैं. हमारे पास आज भी बैलेट बॉक्स मौजूद हैं. इनका विकेंद्रीकरण करना चाहिए. तहसील या पटवार स्तर तक इनका वितरण कर देना चाहिए. इससे कई खर्चे बच सकते हैं. गुप्ता ने आज जोधपुर संभाग के उन सभी अधिकारियों और कर्मचारियों की बैठक ली जो चुनाव प्रक्रिया में शामिल होते हैं.

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हर गलती की जिम्मेदारी तय हो
मधुकर गुप्ता ने कहा कि हमारे पास शिकायतें आती हैं कि बीएलओ ने नाम काट दिए. गलत शपथपत्र स्वीकार कर लिए गए. ऐसा नहीं होना चाहिए. हर गलती की जिम्मेदारी तय होना जरूरी है. भारत निर्वाचन आयोग में किसी तरह की गलती की गुंजाइश नहीं हैं जबकि पॉलिटिकल प्रेशर सब जगह होता है. उन्होंने जैसलमेर और गंगानगर में हुई गलतियों का उदाहरण देते हुए कहा कि आंख खोलकर की गई गलती बर्दाश्त नहीं होगी.

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हर चार माह में उपचुनाव होंगे
राज्य मुख्य निर्वाचन आयुक्त ने बताया कि पंचायत और नगर निकायों में खाली होने वाले पदों के लिए उपचुनाव करवाने का पूरा मैकेनिज्म अगले वित्तीय वर्ष में जारी होगा. पहले इन क्षेत्रों में खाली होने वाले पदों के उपचुनाव के लिए तारीखें घोषित होंगी. कम से कम चार माह में उपचुनाव होगा जिससे कोई भी पद खाली नहीं रहे. पद लंबे समय तक खाली रहने और उसका अतिरिक्त कार्य किसी को देने से अच्छा संदेश नहीं जाता है और व्यवस्था पर प्रभाव पड़ता है.

अमेरिका में डिजिटल नहीं तो हमारे क्यों?
मधुकर गुप्ता ने बताया कि अब डिजिटल मतदान की बात होने लगी है, लेकिन अमेरिका जैसे देश में अभी डिजिटल मतदान नहीं है. हमें इसकी क्या जरूरत है. हमारे दूर दराज के मतदाता आज भी अशिक्षित हैं. उन्हें सरल चुनाव प्रक्रिया से जोड़ना चाहिए.

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