जोधपुर. कोरोना (Corona) की तीसरी लहर की आशंका बनी हुई है. कोरोना की पहली लहर और दूसरी लहर का असर ये है कि साइकेट्रिस्ट के पास अभी भी पोस्ट कोविड डिप्रेशन के मामले सामने आ रहे हैं. मुंबई के एलटीएम मेडिकल कॉलेज के सांस्कृतिक डिपार्टमेंट के हेड डॉ. निलेश शाह का कहना है कि कोरोना के मरीज जो ICU में भर्ती हुए थे, उनमें से 10 मरीज में से 3 डिप्रेशन के शिकार हुए.
जोधपुर में आयोजित साइकेट्रिस्ट कांफ्रेंस में भाग लेने आए डॉ. शाह ने बताया कि कोरोना से ठीक होने के बाद ऐसे मरीज लगातार उदास रहते हैं. उनमें नेगेटिव थॉट आने लगते हैं. उन्होंने यह भी बताया कि इस तरह की परेशानी अन्य वायरल संक्रमण से जुड़ी बीमारियों में भी देखी जाती है लेकिन कोरोना केस की संख्या ज्यादा थी. ऐसे में ज्यादा मामले सामने आ रहे हैं.
डॉक्टरों ने बताया कि डिप्रेशन की प्रमुख वजह मस्तिष्क में मौजूद सिरोटोनिन नामक केमिकल है, जिसे फील गुड हार्मोन कहा जाता है. इसका स्तर कम होने से निगेटिव विचार होता है. यह क्लीनिकल फाइंडिंग में ही सामने आता है. जिसके बाद मरीज को दवाइयां दी जाती है और करीब 6 से 8 महीने बाद मरीज इस डिप्रेशन से बाहर आता है. आयोजन सचिव डॉक्टर जी डी कूलवाल ने बताया कि कॉन्फ्रेंस में केंद्र की ओर से बनाए गए नए मेंटल हेल्थ एक्ट पर भी चर्चा की जा रही है.