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हार्डकोर अपराधी पवन सोलंकी एक साल के लिए राजपासा के तहत निरुद्ध

हार्डकोर हिस्ट्रीशीटर पवन सोलंकी को पुलिस ने 22 नवंबर को गिरफ्तार किया था. अब कोर्ट के मार्फत सोलंकी को एक साल के लिए राजपासा के तहत निरुद्ध किया गया है.

Pawan Solanki detained under Rajpasa
हार्डकोर अपराधी पवन सोलंकी

By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Dec 22, 2023, 8:17 PM IST

पवन सोलंकी एक साल के लिए राजपासा के तहत निरुद्ध

जोधपुर.लॉरेंस के गुर्गे के रूप में अपनी पहचान बनाकर अवैध हथियार से लोगों को डराकर धमकार वसूली, फायरिंग और लोगों पर प्राणघातक हमले कर घायल करने वाले हार्डकोर हिस्ट्रीशीटर पवन सोलंकी को पुलिस ने कोर्ट के मार्फत एक साल के लिए राजस्थान समाज विरोधी क्रियाकलाप निवारण अधिनियम 2006 (राजपासा) के तहत निरुद्ध करवा दिया है.

डीसीपी ईस्ट डॉ अमृता दुहन ने बताया कि पवन सोलंकी को पुलिस ने गत 22 नवंबर को उदयपुर से गिरफ्तार कर लाई थी. इसके बाद राजपासा की प्रक्रिया शुरू की गई. आज हाईकोर्ट ने एक वर्ष के लिए निरुद्ध करने के आदेश कर दिए. अब एक साल तक वह बाहर नहीं आ सकेगा. उन्होंने बताया कि सरदारपुरा में एक लूट के मामले में गिरफ्तारी के बाद जमानत मिली, तो वह फरार हो गया. उसकी लगातार तलाश जारी रखी गई. उसके उदयपुर में होने की जानकारी मिली. पुलिस पहुंची, तो वह भाग गया. लेकिन लगातार निगरानी के चलते 22 नवंबर को उसे उदयपुर में एक फ्लेट से पकड़ा गया था.

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33 साल की उम्र 18 मुकदमे: पवन सोलंकी की उम्र 33 साल की है. इसमें उसके खिलाफ 18 गंभीर प्रवृति के मामले दर्ज हैं. पवन सोलंकी रंगदारी करने के लिए लोगों को धमकाता रहा है. इसके अलावा सरकारी जमीनों पर कब्जे करना भी शामिल है. 18 मामलों में 13 मामलों में अभी ट्रायल पेडिंग है. जबकि एक में सजा हुई है. दो मामले ऐसे हैं जिसमें राजनीमा कर वह बरी हो गया. एक आईटी एक्ट के मामला खारिज हो गया, जबकि एक मामले की जांच चल रही है. पवन सोलंकी ने जोधपुर व उदयपुर में अपने लोगों के साथ मिलकर कई सरकारी ठेके ले रखे हैं. इसके अलावा जमीनों कब्जे और अवैध हथियार के काम से भी वह जुड़ा है.

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लंबी है निरुद्ध करने की प्रक्रिया: राजपासा के तहत पुलिस के आवेदन पर कोर्ट संतुष्ट होने पर अपराधी को अधिकतम एक साल के लिए जेल भेज सकता है. इस दौरान उसे किसी तरह की जमानत नहीं मिलती है. लेकिन इस प्रक्रिया के लिए पुलिस को काफी मशक्कत करनी पड़ती है. पुलिस अपना इस्तागासा तैयार करती है. जिसमें अपराधी की प्रवृति सहित अन्य कारण शामिल कर कलेक्टर को भेजती है. कलेक्टर उससे संतुष्ट होने पर गृहविभाग को भेजता है. गृह विभाग की कमेटी को उचित लगता है कि अपराधी को एक साल अंदर रहने से कानून व्यवस्था मे बाधा नहीं होगी, तो वह इसे हाईकोर्ट के पास अनुमोदन के लिए भेजता है. हाईकोर्ट में तीन न्यायाधीशों का एक बोर्ड उसकी विवेचना करता है. पुलिस अधिकारी को अपना पक्ष रखना होता है. कोर्ट संतुष्ट होने पर निरुद्ध करने के आदेश जारी करता है.

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