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jodhpur, Rajasthan Assembly Election Result 2023 जोधपुर में नए चेहरे जीते तो राजनीति में आगे जाएंगे, पुराने हार तो बाहर होंगे

jodhpur, rajasthan vidhan sabha chunav assembly election Result 2023:राजस्थान के विधानसभा चुनाव को लेकर जो एग्जिट पोल आए हैं, उससे एकतरफा अंदाजा लगाना मुश्किल हो गया है कि किस पार्टी की सरकार बनने जा रही है. नतीजे आज दोपहर तक पूरी तरह से सामने आ आएंगे. जोधपुर संभाग में बीजेपी और कांग्रेस के नए प्रत्याशियों पर सबकी नजरें टिकी हुई हैं.

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राजस्थान का रण

By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Dec 3, 2023, 6:06 AM IST

जोधपुर. विधानसभा चुनाव में इस बार जोधपुर जिले में भाजपा और कांग्रेस के नए प्रत्याशियों पर सबकी नजरें बनी हुई हैं. राजस्थान के सियाीस रण में कांग्रेस ने इस बार चार नए चेहरे उतारे थे, जबकि भाजपा ने सिर्फ दो सीटों पर कैंडिडेट बदले जिनके नतीजों पर सबकी नजरें बनी हुई हैं. खास तौर से कांग्रेस के चेहरों से पार्टी को काफी उम्मीदें है क्योंकि पिछली बार भी जिले में उतारे गए नए चेहरों ने जीत कर गहलोत को मजबूत किया था.

भाजपा ने इस भी ज्यादातर 2018 में हारने वाले प्रत्याशियों को ही तव्वजो दिया है जिनके लिए यह चुनाव आर-पार का है. कांग्रेस ने जिले में इस बार चार टिकट नए चेहरों को दिए हैं. इनमें फलौदी से प्रकाशचंद छंगाणी, सूरसागर से शहजाद खान, भोपालगढ़ से गीता बरवड़ और बिलाड़ा से मोहनराम कटारिया शामिल हैं. अगर ये सभी कैंडिडेट चुनाव नहीं जीत पाए तो अगली बार टिकट मिलना आसान नहीं होगा.

जोधपुर में नए प्रत्याशियों पर नजर

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कांग्रेस को इन नए चेहरों से अपेक्षा

फलौदी से प्रकाशचंद छंगाणी: प्रकाश छंगाणी इससे पहले 2003 में राजस्थान सामाजिक न्याय मंच से चुनावी रण में उतरे थे. इस बार कांग्रेस ने उन पर दांव खेला है. फलौदी सीट ब्राहृमण बाहुल है. ऐसे में कांग्रेस को उनसे काफी उम्मीदें हैं. छंगाणी की मुस्लिम ओर राजपूतों में भी पकड़ है. उनके सामने लगातार दो बार से भाजपा के विधायक पब्बाराम विश्नोई हैं.

सूरसागर से शहजाद खान: शहजाद खान जिले के सबसे युवा उम्मीदवार हैं. शहजाद पेशे से इंजीनियर हैं. उनके पिता अयूब खान ने पिछला चुनाव चुनाव लड़ा था लेकिन वो चुनाव हार गए थे. सरकार ने उनको आचार संहिता से ठीक पहले आरपीएससी का सदस्य बना दिया है. शहजाद के टिकट का मुस्लिम नेताओं ने ही विरोध किया था.कांग्रेस को उम्मीद है कि युवा चेहरे से सूरसागर से पार्टी का खाता खुल सकता है. पिछले चार चुनावों में कांग्रेस पार्टी इस सीट पर शिकस्त मिली है.

बिलाड़ा से मोहनराम कटारिया: कांग्रेस ने ठेकेदार मोहनराम कटारिया को इस बार सुरिक्षत सीट पर उतारा है. पिछली बार यह सीट कांग्रेस के पास ही थी. लेकिन हीराराम का टिकट काट कर उतारा गया हैं. बताया जा रहा है कि कटारिया को मालियों ने रिकमंड किया था जो बिलाड़ा व पिपाड़ कस्बे में निर्णायक वोट बैंक हैं. ऐसे में कांग्रेस पार्टी को उम्मीद है कि कटारिया सीट बरकरार रख सकते हैं.

भोपालगढ़ से गीता बरवड़:पूर्व मंत्री नरपतराम बरवड़ की पुत्री गीता को कांग्रेस ने प्रत्याशी बनाया है. भोपालगढ़ सीट पर त्रिकोणीय मुकाबला बना हुआ है. गीता के सामने रोलोपा के मोजूदा विधायक पुखराज गर्ग और भाजपा से पूर्व मंत्री अर्जुनराम गर्ग हैं. गीता को जाटों से उम्मीद है अगर उनका साथ मिला तो जीत सकती है. लेकिन यहां जाटों के वोट तीनों और बंटने की उम्मीद ने मुकाबला रोचक बना दिया है.

जोधपुर में नए प्रत्याशियों पर नजर

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सूरसागर से देवेंद्र जोशी:भाजपा ने एक मात्र बदलाव सूरसागर से सूर्यकांता व्यास का टिकट काट कर देवेंद्र जोशी के रूप में किया है. जोशी आठ साल तक जिलाध्यक्ष की कुर्सी पर रहे हैं. उनका नाम काफी चौंकान्ने वाला था क्योंकि यहां कई बड़े नाम दावेदारी में शामिल थे. इस बार भी यहां ध्रुवीकरण हुआ है. जोशी अगर नहीं जीते तो अगली बार पार्टी को फिर चेहरा बदलना होगा.

सरदारपुरा से प्रो. महेंद्र सिंह राठौड़: मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के सामने पार्टी ने इस बार जेडीए के पूर्व अध्यक्ष प्रो. महेंद्र सिंह राठौड़ को टिकट दिया है. राठौड़ चुनाव हार कर भी सरकार बनने पर कोई नियुक्ति मिलने की आस में लड़ रहे हैं. सरदारपुरा में अशोक गहलोत को चुनौती देना आसान नहीं है. पहले यहां पूर्व अध्यक्ष नरेंद्र सिंह कच्छवाह को उतारने की बात थी जो माली हैं, पार्टी ने लगातार तीसरी बार राजपूत कैंडिडेट को मैदान में उतारा है.

इन हारे हुए का करियर दांव पर: भाजपा ने 2018 का चुनाव हारने वाले शेरगढ़ से बाबूसिंह राठौड़, लोहावट से गजेंद्र सिंह खिंवसर, ओसियां से भैराराम चौधरी, भोपालगढ़ से कमसा मेघवाल, बिलाड़ा से अर्जुनराम गर्ग, लूणी से जोगाराम पटेल, जोधपुर शहर से अतुल भंसाली को फिर से उतारा है. माना जा रहा है कि इनमें जो भी हारेगा वो आगे की राजनीति में हाशिए पर चला जाएगा. इनमें अतुल भंसाली एक मात्र उम्मीदवार है जो पिछली बार पहला मौका मिला था. बाकी सब दो से तीन बार विधायक रह चुके हैं. इन सीटों पर कई दावेदार थे जिन्हें पार्टी ने अनदेखा कर इन पर वापस भरोसा जताया है.

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