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धणी की भविष्यवाणीः बीमारी, मौसम और राजनीति को लेकर दिए ये संकेत - धणी परंपरा का आयोजन

जोधपुर के बाईजी का तालाब के पास घांचियों की बगीची में धणी परंपरा का आयोजन किया. इसमें संकेत मिले की इस साल बीमारी का प्रकोप होगा. राजनीति और मौसम को लेकर भी संकेत दिए गए.

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धणी की भविष्यवाणीः बीमारी, मौसम और राजनीति को लेकर दिए ये संकेत

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Published : Apr 22, 2023, 6:58 PM IST

Updated : Apr 22, 2023, 11:30 PM IST

घांचियों की बगीची में धणी परंपरा का आयोजन

जोधपुर. शहर में घांची समाज की अक्षय तृतीया पर होने वाली धणी की भविष्यवाणी ने इस बार तीन साल के अंतराल के बाद फिर चिंता के संकेत दिए हैं. इस प्रक्रिया के दौरान एक बालक के बीमार हो जाने से बताया गया है कि अगले एक साल में किसी बीमारी का प्रकोप आ सकता है. ऐसा 2019 में भी हुआ था. जिसके बाद 2020 की शुरूआत में कोरोना ने कहर ढहाया था. शनिवार को बाईजी का तालाब के पास स्थित घांचियों की बगीची में धणी का आयोजन किया गया.

करीब दो से तीन घंटे तक चले यज्ञ के बाद राजनीतिक, सामाजिक व मौसम को लेकर कई अनुमान बताए गए. धणी के संकेत पर लोग विश्वास करते आए हैं. धणी की भविष्यवाणी अक्सर सही साबित होती है. इस वर्ष अक्षय तृतीया से अगली अक्षय तृतीया तक धणी ने प्रदेश व देश में राजनीतिक उथल-पुथल होने के साथ साथ बनने वाली सरकार सुचारू रूप से चलेगी. इसके अलावा मौसम को लेकर कहा गया है कि बारिश कम होगी, लेकिन अन्न की कमी नहीं रहेगी. लोगों को परेशान नहीं होना पडे़गा. विधानसभा चुनाव को लेकर कहा गया कि राजनीतिक उठापटक से ही सरकार बनेगी, जो पूरी चलेगी.

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ऐसे होती है भविष्यवाणीःधणी को सृष्टि का मालिक माना जाता है. उसके संकेत जानने के लिए यज्ञ वेदी के पास खंभ स्थापित किया जाता है. खंभ के आमने-सामने दो अबोध बालक को मंत्रोच्चार से पवित्र कर खड़ा किया जाता है. इन बालकों के हाथ में बांस पट्टिकाएं थमाई जाती हैं. मंत्रोचार व यज्ञ भी चलता रहा है. सुकाल का संकेत देने वाली बांस पट्टिका पर कुंकुम लगाया जाता है, जबकि काल का संकेत देने वाली पर काजल. मंत्रोचार व जाप से बालकों में भाव आने से बांस पटिटयों में हलचल होती है. वे स्वतः उपर-नीचे होने लगती है. अंतत एक पट्टिका के उपर रहने से संकेत का पता चलता है. जिसकी घोषणा समाज के बुजुर्ग करते हैं.

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गत वर्ष भी बीमारी, अतिवृष्टि के दिए थे संकेतः गत वर्ष भी धणी ने संकेत दिए थे, उसमें बताया था कि प्रदेश में राजनीतिक उथल-पुथल रहेगी. ऐसा हुआ भी. इसी तरह से सुकाल के संकेत पर काल का भार बताया गया था. यानी की बीमारी से लोग परेशान होंगे. साथ ही अत्यधिक बारिश होने से भी फसलें खराब होंगी, तो कई जगहों पर बारिश की कमी से अकाल भी रहेगा. ऐसा लगभग पूरे मारवाड़ व प्रदेश में हुआ. फसलें पकने के साथ ही बारिश होने से खराबा हुआ.

Last Updated : Apr 22, 2023, 11:30 PM IST

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