सूरजगढ़ (झुंझुनू).चिकित्सकों को धरती के भगवान की संज्ञा यूं ही नहीं दी जाती. एक बार फिर सूरजगढ़ सीएचसी में डॉक्टर ने एक छह दिन के नवजात का ब्लड ट्रांसफ्यूजन करते हुए उसकी जान बचाई. चिकित्सीय टीम ने 3 घंटे के जटिल ऑपरेशन के बाद नवजात का दूषित खून बदला.
सूरजगढ़ सीएचसी प्रदेश की दूसरी सीएचसी बनी, जिसमें एक्सचेंज ट्रांसफ्यूजन कर नवजात की जान बचाई गई हो. सूरजगढ़ के निकटवर्ती गांव कुम्हारो के बास गांव के राजवीर की पत्नी सपना ने छह दिन पूर्व ब्लॉक की काजड़ा पीएचसी में प्रसव कराते हुए लड़के को जन्म दिया था. नवजात मासूम की तबियत खराब होने पर शुक्रवार को परिजन उसे लेकर सूरजगढ़ सीएचसी में आए.
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सूरजगढ़ सीएचसी में शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. हरेंद्र धनकड़ ने मासूम की जांच कराई तो वो पीलिया ग्रस्त मिला. पीलिया उसके पूरे शरीर में फैल चूका था. डॉ. हरेंद्र धनखड़ ने नवजात के परिजनों को उसे हायर सेंटर लेकर जाने की बात कही. परिजनों की आर्थिक स्थिति को समझते हुए डॉ. हरेंद्र धनकड़ ने सीएचसी प्रभारी डॉ. पंकज वर्मा को मामले से अवगत कराया. अपना चिकित्सीय धर्म निभाते हुए सीएचसी में ही बच्चे ब्लड एक्सचेंज ट्रांसफ्यूजन करने का निर्णय लिया.
सीएचसी में गहन शिशु इकाई में डॉ. हरेंद्र धनकड़ ने डॉ. पंकज, डॉ. विकास बेनीवाल, विक्रम सैनी आदि की टीम के साथ ब्लड ट्रांसफ्यूजन का कार्य शुरू कर दिया. करीब तीन घंटे तक चले जटिल ऑपरेशन के बाद डॉ. हरेंद्र धनखड़ ने नवजात के शरीर से पूरा दूषित खून निकाला.
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ब्लड बैंक से मंगवाए शुद्ध खून चढ़ाकर नवजात की जान बचाई. नवजात की जान बची देख उसकी माता सपना की आंखें भर आई. नवजात की माता और अन्य परिजनों ने घर के बुझते चिराग की जान बचाने पर डॉ. हरेंद्र धनकड़ और सीएचसी की पूरी टीम को दिल से दुआएं देते हुए आभार जताया.