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कोरोना से 'जंग' : झुंझुनूं की चिराना पंचायत ने सोशल डिस्टेंसिंग को बनाया हथियार, अपनों को अपनाने में भी बरती सतर्कता

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Published : Jun 8, 2020, 2:08 PM IST

Updated : Jun 12, 2020, 8:33 AM IST

ईटीवी भारत की टीम झुंझुनूं जिले की चिराना ग्राम पंचायत पहुंची, ये जानने के लिए कि गांव के लोग कोरोना वायरस को लेकर कितने जागरूक हैं और कैसे इस महामारी से लड़ रहे हैं. वर्तमान में इस ग्राम पंचायत की आबादी कुल 6 हजार से ज्यादा है, साथ ही अब तक करीब 100 से अधिक प्रवासी गांव में आ चुके हैं. बावजूद इसके, मजबूत व्यवस्थाओं के चलते यहां अभी तक कोई कोरोना पॉजिटिव नहीं मिला है. देखिए ग्राउंड रिपोर्ट...

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चिराना गांव कर रहा कोरोना से जंग

नवलगढ़ (झुंझुनू).चिराना ग्राम अरावली पर्वतमाला की पहाड़ियों से तीन ओर से घिरा हुआ है. हरियाली वादियों के बीच ये गांव बहुत सुंदर लगता है. यहां के लोगों ने बड़ी ही मजबूती से मोर्चा संभाल रखा है. सोशल डिस्टेंसिंग और बाहर से आने वालों को क्वॉरेंटाइन करने में यहां की आम जनता ने बड़ी भूमिका निभाई है.

चिराना गांव कर रहा कोरोना से जंग

झुंझुनूं जिले के नवलगढ़ उपखंड क्षेत्र की चिराना ग्राम पंचायत में अब तक 100 से ज्यादा प्रवासी अपने घर लौट चुके हैं. इनमें से कुछ को होम क्वॉरेंटाइन किया गया है तो वहीं कुछ प्रवासियों की स्क्रीनिंग और कोरोना जांच भी करवाई गई है. जब ईटीवी भारत की टीम गांव में पहुंची तो जनजीवन सामान्य दिखाई दिया. हालांकि, मुख्य बाजार में आमजन की भीड़ नजर नहीं आई.

ग्रामीणों से बातचीत की तो पता चला कि यहां कोरोना को हराने के लिए हर मोर्चे पर मुस्तैदी है. हर दुकान के बाहर 1-1 मीटर की दूरी पर घेरे बने हुए नजर आए, फिर पता चला कि पूरे गांव में सैनिटाइजेशन भी हो चुका है. प्रत्येक दुकान के बाहर रस्सियां बांधकर बाड़ेबंदी जैसे पुख्ता इंतजामात हैं, ताकि ग्राहक और दुकानदार का सीधा संपर्क भी ना हो सके.

चिराना सरकारी अस्पताल के प्रभारी डॉ. श्यामप्रताप सिंह शेखावत ने हमें बताया कि चिराना गांव में भले ही कोरोना मरीज नहीं आया है फिर भी एहतियात के तौर पर सीएचसी में आइलोशन वार्ड बनाकर पूरी तैयारियां कर ली गई हैं. साथ ही मरीजों को सबसे पहले सोशल डिस्टेंसिंग की पालना के लिए कहा जाता है.

ग्रामीणों की कोरोना से 'जंग'...

ग्रामीणों ने कोरोना के खिलाफ लड़ाई में सोशल डिस्टेंसिंग को मुख्य हथियार बनाया है. इस गांव के लोग मास्क, रूमाल या गमछे से अपनी नाक और मुंह को ढकना अपनी आदत बना चुके हैं. लगभग लोग अपना मुंह ढकने के बाद ही घर से बाहर निकलते हैं.

गांव में लोग रख रहे सोशल डिस्टेंसिंग का ध्यान

ग्राम विकास अधिकारी रणजीताराम सैनी ने बताया कि गांव में लगभग 100 प्रवासी अपने घर लौट चुके हैं. इन सभी को सरकारी नियमावली के तहत होम क्वॉरेंटाइन किया गया है और कुछ को क्वॉरेंटाइन सेंटर तक भी भेजा गया है.

इसके लिए सरपंच राजेंद्र सिंह शेखावत ने बताया कि गांव में कोरोना संक्रमण की रोकथाम में आम जनता ने भरपूर सहयोग किया है. बाहर से आने वाले की सूचना स्वयं उनके घरवालों ने हम तक पहुंचाई है. चिकित्सा कार्मिक महेंद्र छिनवाल, संजू मीणा, उर्मिला चैधरी और शिक्षक हेमराज शर्मा की अगुवाई में चिकित्सा और शिक्षा विभाग की टीम के साथ मिलकर काम किया है. गांव की सभी दुकानों के बाहर लोगों को रोकने के लिए रस्सी लगाई गई है. जिससे कि ग्राहक एक साथ प्रवेश नहीं कर सकें. चिराना ग्राम की वर्षों पुरानी सब्जी मंडी में कोरोना संक्रमण के चलते अब गेट भी लगा दिया गया है ताकि मंडी परिसर में भीड़ नहीं हो सके.

मंडी व्यापारी मस्ताराम सैनी ने बताया कि सब्जी के पैकेट बनाए जा रहे हैं ताकि लोग सीधा सब्जियों और फलों को हाथ ना लगाएं. इतने साल बीतने के बाद कोरोना की वजह से मंडी में प्रवेश करने से पहले गेट लगाया गया है. शिक्षा विभाग से जुड़े वरिष्ठ अध्यापक सुवालाल कांटीवाल ने बताया कि भीड़-भाड़ वाली जगहों जैसे बैंक, राशन वितरण की दुकानों और सब्जी मंडी में शिक्षकों की ड्यूटी लगाकर सोशल डिस्टेंसिंग की पूर्ण पालना करवाई जा रही है. हालांकि अब धीरे-धीरे लोग भी समझने लगे हैं और खुद सख्ती का पालन कर रहे हैं.

बात अगर कोरोना वायरस को लेकर जागरूकता की करें तो बाहर से आने वाले लोगों को यहां 14 दिन के लिए होम क्वॉरेंटाइन में रहना होता है. ग्रामीणों का कहना है कि कोरोना संक्रमण की रोकथाम में यहां सबसे बड़ा योगदान मुख्य मार्ग पर तैनात 2 होमगार्ड संजय शर्मा और शौकीनसिंह सैनी का है. इन दोनों की वजह से गांव में बाहरी वाहन को घुसने नहीं दिया जाता है. साथ ही बाजार को तय समय पर बंद करवा दिया जाता है. जिससे भीड़ इकट्ठी नहीं हो सके.

पुलिस भी लोगों पर है सख्त

दवा विक्रेता अरूण शर्मा ने बताया कि दवाइयों की दुकान पर आने वाले मरीजों के हाथ पहले सैनिटाइजर से धुलवाए जाते हैं, उसके बाद उनकी पर्ची दूर से देखकर ही दवाई दी जाती है. साथ ही मरीज से पर्याप्त दूरी बनाते हुए अन्य परामर्श दिया जाता है. गांव के जो मुख्य रास्ते हैं, वहां युवाओं ने भी मोर्चा संभाल रखा है.

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युवा स्वयंसेवक अंकित शर्मा बताते हैं कि गांव में कोरोना संक्रमण ना आए ये सभी की सामूहिक जिम्मेदारी है. इसके लिए अन्य युवाओं के साथ दुकानों के बाहर सोशल डिस्टेंसिंग की पालना करवाई जाती है. इसके अलावा निजी स्तर पर सैनिटाइजर का छिड़काव भी करवाया गया है. ग्रामीणों का कहना है कि हम मास्क लगाने और हाथ धोने के साथ ही अनावश्यक काम से घर से बाहर नहीं जाते हैं. गांव की दुकानें सुबह 7 से शाम 6 बजे तक खुलती हैं.

ग्रामीणों के लिए चुनौती...

चिराना गांव के चारों तरफ पहाड़ियों पर हनुमानजी, शिव परिवार, संतोषी माता, ब्रह्माणी माता, राम दरबार समेत अन्य देवी-देवताओं के मंदिर हैं. जिनकी आस-पास के इलाके में बड़ी मान्यता है. यहां पर दर्शन करने के लिए दूर-दराज से श्रद्धालु आते हैं. शुरुआत में यहां आने वाले लोगों को रोकना गांव वालों के लिए बड़ी चुनौती थी. हलांकि बाद में मंदिर बंद कर दिया गया जिसके बाद ग्रामीमों को राहत मिली. फिलहाल, गांव वालों की समझ और जागरुकता की वजह से कोरोना वायरस यहां दस्तक नहीं दे पाया है. इसके अलावा गांव में बड़ी संख्या में आमजन निवास करते हैं और यहां पर कभी-कभी पेयजल किल्लत को लेकर कुओं पर पानी भरने वालों की लंबी लाइनें लग जाती हैं. सोशल डिस्टेंसिंग को हथियार बनाए हुए इस गांव में पेयजल के लिए लगने वाली लंबी लाइनें लगातार चुनौती बनी हुई हैं.

Last Updated : Jun 12, 2020, 8:33 AM IST

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