सिंघाना (झुंझुनू). सिंघाना पंचायत समिति के चितौसा गांव में मानवीय संवेदनाओं की हत्या हो रही है. सरकार गरीबों और असहाय लोगों की सहायता के लिए बड़े बड़े दावे किए जा रहे हैं, लेकिन चित्तौसा गांव के बाबूलाल यादव के लिए तो राम और राज दोनों ही रूठ गए हैं.
माता पिता को ऐसी स्थिति से गुजरना पड़ रहा है कि अपने 17 साल के जिगर के टुकड़े बेटे अमित को जंजीरों से पेड़ से बांधकर रखना पड़ रहा है. अमित को करीब 8 साल से बाहर पशुओं के साथ पेड़ के साथ बांध कर रखना पड़ता है. वह मानसिक रूप से विक्षिप्त है. जब अमित को बेड़ियों से खोलते तो घर में तोड़फोड़ और बाहर गांव में जाकर लोगों के साथ मारपीट शुरू कर देता है. जिससे मजबूरन पिता बाबूलाल और मां राजेश देवी को अपने बेटे को बांधकर ही रखना पड़ रहा हैं.
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पेड़ से बंधे बंधे ही उसको खाना देते हैं. नित्य कर्म भी अपने बेटे का हाथों से ही करवाते हैं. वह कोई भी कार्य अपने हाथों से नहीं कर पा रहा है. उसको बार-बार दौरे पड़ रहे हैं. पिता का मलाल है कि न तो सरकार ही कोई मदद कर रही है ना हीं कोई जनप्रतिनिधि बेटे के इलाज के लिए मदद कर रहा है. पिता के पास जमा पूंजी थी वह भी बेटे के इलाज पर खर्च हो चुकी है घर में आय का कोई साधन नहीं है खेती-बाड़ी और पशुपालन करके अपने घर का गुजारा कर रहे हैं.
इलाज करवाने में भी अब माता-पिता हुए असमर्थ