झालावाड़.किसानों प्रभु लाल साहू ने 12 हैक्टेयर में अनाज, सब्जी और फलों की खेती को अपनाया है. इससे कम लागत में अधिक मुनाफा भी मिल रहा है. जैविक खाद को वो खुद तैयार करते है. इसी के साथ-साथ उन्होंने लगभग 25 से 30 लोगों को रोजगार भी दे रखा है. खाद तैयार करने में कोई अतिरिक्त खर्च करने की भी आवश्यकता नहीं है. जैविक खेती ही शरीर को स्वस्थ रखने का सही उपाय है.
स्पेशल रिपोर्ट: जैविक खेती किसानों और स्वास्थ्य के लिए वरदान जैविक खेती में जिलास्तर एवं राज्य स्तर पर सम्मानित हो चुके किसान प्रभु लाल साहू का कहना है कि पिछले कई साल से भूमि पर रासायनिक खेती को छोड़कर अनाज, सब्जी व फलों की खेती कर रहे हैं. जिनमें जैविक खाद एवं कीटनाशक दवाओं को तैयार किया जाता है. अब जैविक खाद से उत्पन्न होने वाले फसल के अनाजों की मांग बढ़ गई है इसके अतिरिक्त आस-पास के गांवों में जैविक अनाज, सब्जी व फलों की डिमांड बढ़ रही है. वो बताते है कि भैंस का गोबर डालकर केचुएं की सहायता से जैविक खाद तैयार किया जाता है.
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किसान प्रभु लाल साहू अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त एवं राष्ट्रपति से सम्मानित हुकुमचंद पाटीदार से समय-समय पर जैविक खेती का बारे में जानकारी लेते रहते हैं..वहीं जिले के सरेडी गांव में इन्हें देखकर लोग प्रेरित होते हैं और इनसे सीखने के लिए बड़ी संख्या में यहां आते हैं.
गोमूत्र व घास से तैयार होती है कीटनाशक दवाएं
जैविक खेती करने वाले किसान प्रभु लाल साहू का कहना है कि बाजार में महंगे दामों पर मिलने वाली रासायनिक दवाओं के स्थान पर गोमूत्र, गाय के गोबर, नीम पत्ते, घास एवं आसानी से घर पर ही उपलब्ध होने वाली चीजों से कीटनाशक दवाओं को तैयार किया जाता है. जिससे पैदावार बढऩे के साथ-साथ विभिन्न रोगों से छुटकारा मिल जाता है.
सब्जियों के भी मिलते हैं दोगुने दाम
स्वास्थ्य पर कुप्रभाव डालने वाले रासायनिक अनाज एवं सब्जियों के स्थान पर लोग जैविक अनाज व सब्जियों को बढ़ावा दे रहे हैं. लोग किसानों से पकने से पहले ही गेहूं की बुकिंग कर जाते हैं. किसानों का कहना है कि बाजार में रासायनिक गेहूं 1800 से 2000 तक बिकता है, लेकिन जैविक गेहूं के लिए लोग चार से पांच हजार प्रति क्विटंल तक लेने को तैयार हो जाते हैं.
झालावाड़ जिले के अंदर धीरे-धीरे जैविक खेती की ओर रुझान लोगों का बढ़ता जा रहा है. किसान प्रभु लाल साहू ने बताया कि मेरे खेत पर लोगों को रोजगार के साथ-साथ अच्छा मुनाफा मिल रहा है और इसको देखकर जैविक खेती की ओर लोग प्रेरित हो रहा है.
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वहीं प्रभु लाल साहू ने बताया कि अगले वर्ष उनका धनिया अमेरिका, नेपाल बिकने के लिए भेजा गया था. जहां पर भी अच्छी मांग है. उन्होंने बताया कि बढ़ते जैविक खेती के उत्पादों की मांग तेजी से हो रही है. उनके खेत पर पपीता, आंवला, कटहल, अमरूद अच्छी काफी मांग चल रही है. जैविक खेती के बढ़ते रुझान को देखते हुए लोग इसकी ओर आकर्षित हो रहे हैं. देश-विदेश के लोग झालावाड़ जिले के सरेडी गांव में जैविक खेती का प्रशिक्षण लेने के लिए पहुंचते हैं. कृषि महाविद्यालय के छात्र-छात्राएं भी कई बार इसका अवलोकन कर चुके हैं.