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सावन का दूसरा सोमवार : मनोवांछित फल के लिए भोले को मनाएंगे भक्त...इन मंत्रों के जाप से मिलेगा विशेष लाभ

सोमवार को भोले बाबा के दर्शन, पूजा-अर्चना के लिए सभी ज्योर्तिलिंगों और शिवालयों में श्रद्धालुओं की अच्छी खासी संख्या देखने को मिलती है. आइए जानते हैं सावन माह की महत्ता, व्रत और पूजन की विधि और कैसे कर सकते हैं भगवान शिव को प्रसन्न. देखिये ईटीवी भारत की ये स्पेशल रिपोर्ट...

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Published : Jul 13, 2020, 1:03 PM IST

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सावन में भोले को मनाएंगे भक्त

मनोहरथाना (झालावाड़).सावन का महीना हिंदू धर्म के सबसे पवित्र महीनों में से एक है. 6 जुलाई से प्रारंभ हुए इस महीने का अंत 3 अगस्त को होगा. हिन्दू पंचांग का यह पांचवा महीना होता है, जिसे श्रावण माह के नाम से भी जाना जाता है.

सावन में महादेव की पूजा

मान्यता है कि सावन का महीना भगवान शिव को बहुत ही प्रिय होता है. इसलिए इस माह में शिवजी की विशेष पूजा करने की परंपरा है. धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक सावन में शिवजी की पूजा-अर्चना करने से हर मनोकामना पूरी होती है. इस बार सावन में 5 सोमवार पड़ रहे हैं.

13 जुलाई को सावन का दूसरा सोमवार है. यह दिन कई शुभ संयोग लेकर आ रहा है. इस बार सावन मास में 11 सर्वार्थ सिद्धि, 3 अमृतसिद्धि और 12 दिन के रवियोग बन रहे हैं. सबसे खास बात यह है कि इस बार सावन का महीना भी सोमवार को शुरू हो रहा है और इसका समापन भी सोमवार को ही हो रहा है.

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सर्वार्थ सिद्धियोग ज्योतिषी के अनुसार इस बार सावन की शुरुआत सर्वार्थ सिद्धि योग में हो रही है. पहला सोमवार 6 जुलाई को था. वहीं, सावन का समापन 3 अगस्त को हो रहा है. उस दिन भी सर्वार्थ सिद्धि योग रहेगा. मान्यता है कि सर्वार्थ सिद्धि योग में भगवान शिव की पूजा करने से सभी मनोकामना पूर्ण होती है.

बेलपत्र भगवान को है अतिप्रिय

चंद्रमा मकर राशि में...

सावन के पहले सोमवार को चंद्रमा मकर राशि में मौजूद रहेगा. वहीं, यही स्थिति सावन के आखिरी सोमवार को भी रहेगी. ज्योतिष शास्त्रियों के मुताबिक चंद्रमा शनि के संग मकर राशि में रहेगा, जिससे पुण्य कर्मों का फल शीघ्र मिलेगा.

अंतिम सोमवार को है रवि योग...

सावन के अंतिम सोमवार को रवियोग भी रहेगा. ज्योतिष में रवियोग को भी श्रेष्ठ, सिद्धिकारक और मनोकामनापूर्ति के लिए उपयुक्त बताया गया है. इस दिन शिव की उपासना करने से निश्चित ही शुभफल और सुख समृद्धि की प्राप्ति होगी.

तीसरे सोमवार को कई शुभ योग...

सावन के तीसरे सोमवार को कई शुभ योग भी रहेंगे. इस दिन हर कार्य को सिद्धि देने वाला सर्वार्थ सिद्धि योग बना रहेगा. इसके साथ ही इस दिन अमावस्या भी है, तो इस सोमवार को सोमवती अमावस्या के रूप में भी पूजा जाएगा जो सौभाग्य और पितरों की कृपा पाने का दिन भी माना गया है.

इस बार सावन में पड़ रहे हैं 5 सोमवार...

हिंदी पंचांग के अनुसार, इस बार सावन महीने में 5 सोमवार पड़ रहे हैं. इससे पहले 2017 में सावन महीने में 5 सोमवार पड़े थे.

इस बार सावन में पड़ रहे 5 सोमवार

सावन सोमवार की तारीखें...

  • सावन का पहला सोमवार-06 जुलाई 2020
  • सावन का दूसरा सोमवार-13 जुलाई 2020
  • सावन का तीसरा सोमवार-20 जुलाई 2020
  • सावन का चौथा सोमवार-27 जुलाई 2020
  • सावन का पांचवा सोमवार-03 अगस्त 2020

जानें क्या है सावन माह का महत्व...

सावन मास महादेव का आशीर्वाद पाने का महीना है. इस पूरे माह शिव आराधना करने से कष्टों का नाश होता है और शिव भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं. हिन्दू धर्मग्रंथों में सावन मास को सर्वोत्तम मास कहा जाता है. इसके पीछे कई पौराणिक तथ्य भी बताए गए हैं.

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मान्यतानुसार मरकंडू ऋषि के पुत्र मारकण्डेय ने लंबी आयु के लिए सावन माह में ही घोर तप कर शिव की कृपा प्राप्त की थी, जिससे मिली मंत्र शक्तियों के सामने मृत्यु के देवता यमराज भी नतमस्तक हो गए थे.

भगवान शिव को सावन का महीना प्रिय होने का अन्य कारण यह भी है कि भगवान शिव सावन के महीने में पृथ्वी पर अवतरित होकर अपनी ससुराल गए थे और वहां उनका स्वागत जलाभिषेक से किया गया था. माना जाता है कि प्रत्येक वर्ष सावन माह में भगवान शिव धरती पर आते हैं. इसलिए भू-लोक वासियों के लिए शिव कृपा पाने का यह उत्तम समय होता है.

पौराणिक कथाओं के अनुसार सावन मास में देवताओं और असुरों में समुद्र मंथन किया गया था. इस दौरान जो हलाहल विष निकला, उसे भगवान शंकर ने अपने कंठ में समाहित कर सृष्टि की रक्षा की थी. विष के प्रभाव को कम करने के लिए सभी देवी-देवताओं ने उन्हें जल अर्पित किया, इसलिए शिवलिंग पर जल चढ़ाने का खास महत्व है. यही वजह है कि श्रावण मास में भोले को जल चढ़ाने से विशेष फल की प्राप्ति होती है.

ज्योर्तिलिंगों और शिवालयों में भगवान की होगी पूजा

शास्त्रों में वर्णित है कि सावन महीने में भगवान विष्णु योगनिद्रा में चले जाते हैं. इसलिए ये समय भक्तों, साधु-संतों सभी के लिए अमूल्य होता है. यह चार महीनों में होने वाला एक वैदिक यज्ञ है, जो एक प्रकार का पौराणिक व्रत है, जिसे चौमासा भी कहा जाता है. इसके बाद सृष्टि के संचालन का उत्तरदायित्व भगवान शिव ग्रहण करते हैं. इसलिए सावन के प्रधान देवता भगवान शिव हैं.

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धार्मिक मान्यताओं के अनुसार सावन में पड़ने वाले सोमवार के दिन भोले शंकर की पूजा-अर्चना करने से सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं. इसलिए धार्मिक दृष्टि से सावन सोमवार का विशेष महत्व होता है.

ऐसे करें सावन में शिवशंकर की पूजा-अर्चना...

सावन माह में देवों के देव महादेव की विशेष रूप से पूजा की जाती है. इस दौरान पूजन की शुरूआत महादेव के अभिषेक के साथ की जाती है. अभिषेक में महादेव को जल, दूध, दही, घी, शक्कर, शहद, गंगाजल, गन्ना रस आदि से स्नान कराने की परंपरा है. अभिषेक के बाद बेलपत्र, समीपत्र, दूब, कुशा, कमल, नीलकमल, जंवाफूल कनेर, राई फूल आदि से शिवजी को अर्पित किया जाता है. इसके साथ की भोग के रूप में धतूरा, भांग और श्रीफल महादेव को चढ़ाया जाता है.

शिव मंदिरो में भोले का होगा अभिषेक

पूजन विधि...

ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करके ताजे विल्बपत्र लाएं. पांच या सात साबुत विल्बपत्र साफ पानी से धोएं और फिर उनमें चंदन छिड़कें या चंदन से ऊं नम: शिवाय लिखें. इसके बाद तांबे के लोटे में जल या गंगाजल भरें और उसमें कुछ साबुत और साफ चावल डालें और अंत में लोटे के ऊपर विल्बपत्र और पुष्पादि रखें. फिर इससे शिवलिंग का रुद्राभिषेक करें.

रुद्राभिषेक के दौरान 'ऊं नम: शिवाय' मंत्र का जाप या भगवान शिव का कोई अन्य मंत्र का जाप करें. इसके बाद शिवचालीसा, रुद्राष्टक और तांडव स्त्रोत का पाठ करें. इसके बाद आरती कर प्रसाद वितरण करें.

इन मंत्रों का करें जाप, मिलेगा विशेष लाभ...

सावन माह में भगवान भोलेनाथ की पूजा के साथ मंत्रों का जाप करना भी काफी शुभ माना जाता है. इस माह महामृत्युंजय मंत्र, गायत्री मंत्र या फिर पंचाक्षरी मंत्र का जाप करने से हर मनोकामना पूरी होती है.

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