राजस्थान

rajasthan

SPECIAL : 112 साल बाद आखिर खत्म हुआ झालवाड़ का इंतजार...वापस मिली 9 अमूल्य धरोहर

By

Published : Jan 25, 2021, 7:11 PM IST

झालावाड़ से वर्ष 1908 में अजमेर में राजपूताना संग्रहालय की स्थापना के दौरान 12 मूर्तियां प्रदर्शन के लिए भेजी गई थीं. जिसके बाद 1915 में झालावाड़ में संग्रहालय की स्थापना हुई. उसके बाद से लगातार मूर्तियों को वापस लाने की कवायद की जा रही थी. लेकिन सारे प्रयास असफल रहे थे.

झालावाड़ संग्रहालय में आई दुर्लभ प्रतिमाएं,  चंद्रभागा तीर्थ क्षेत्र झालावाड़,  पुरातत्व एवं संग्रहालय विभाग राजस्थान,  राजस्थान ऐतिहासिक प्रतिमा इतिहास,  राजस्थान परमार वंशकालीन पाषाण कला,  Jhalawar Garh Museum news,  Jhalawar Museum Rare Statues,  Ajmer Rajputana Museum Rajasthan,  Rare statues found in Jhalawar Museum,  Chandrabhaga pilgrimage area Jhalawar,  Department of Archeology and Museums Rajasthan,  Rajasthan historical statue history
झालावाड़ गढ़ संग्रहालय को 112 साल बाद मिली दुर्लभ प्रतिमाएं

झालावाड़.चंद्रभागा की कोख से निकली जिस अमूल्य धरोहर को यहां से उठाकर अजमेर संग्रहालय के स्टोर में रख दिया गया था. वो धरोहर 112 साल के इंतजार के बाद वापस झालावाड़ को मिल गई है. झालावाड़ के गढ़ संग्रहालय को एक सदी से भी लंबे इंतजार के बाद 9 मूर्तियां वापस मिली हैं. इलाके के इतिहासकारों, शोध विद्यार्थियों और पुरा प्रेमियों को इससे काफी राहत मिली है और वे हर्ष महसूस कर रहे हैं. रिपोर्ट देखिये...

झालावाड़ गढ़ संग्रहालय को 112 साल बाद मिली दुर्लभ प्रतिमाएं

झालावाड़ से वर्ष 1908 में अजमेर में राजपूताना संग्रहालय की स्थापना के दौरान 12 मूर्तियां प्रदर्शन के लिए भेजी गई थीं. जिसके बाद 1915 में झालावाड़ में संग्रहालय की स्थापना हुई. उसके बाद से लगातार मूर्तियों को वापस लाने की कवायद की जा रही थी. लेकिन सारे प्रयास असफल रहे थे. ऐसे में अब 112 साल बाद प्रशासन और आम जनता के प्रयास रंग लाए हैं. झालावाड़ की बहुमूल्य 9 मूर्तियां यहां के संग्रहालय को वापस मिल गई हैं. ऐसे में अब ये ऐतिहासिक धरोहर झालावाड़ के गढ़ संग्रहालय की शोभा बढ़ाएंगी. इन प्रतिमाओं को प्रदर्शित करने की तैयारियां चल रही हैं.

योग नारायण की प्रतिमा है सबसे खास

ये हैं वे अमूल्य मूर्तियां

अजमेर से झालावाड़ लाई गई मूर्तियों में शिव पार्वती की मूर्ति, योग नारायण की मूर्ति, तोरण की मूर्ति, वराह अवतार की मूर्ति, प्रेमी युगल की मूर्ति, ब्रह्मांड की मूर्ति, सिर खण्ड की दो मूर्तियां, नाग-नागिन की मूर्ति और जैन मूर्ति शामिल हैं. ब्रह्माजी की मूर्ति अजमेर संग्रहालय में प्रदर्शन के लिए रखी हुई है. इसलिए ब्रह्मा की प्रतिमा को नहीं लाया गया है. जबकि शिव और पार्वती की मूर्ति में दरार आने की वजह से नहीं लाई जा सकी.

पढ़ें- यहां अभी भी विस्थापन का दर्द झेल रहे हैं करीब 500 परिवार

जिला कलेक्टर ने किया प्रयास

झालावाड़ जिला कलेक्टर हरिमोहन मीणा ने हाल ही में गढ़ संग्रहालय का निरीक्षण किया था. इस दौरान उन्हें जानकारी मिली कि यहां की 12 मूर्तियां अजमेर संग्रहालय में हैं. ऐसे में उन्होंने वापसी के लिए पुरातत्व एवं संग्रहालय विभाग से संपर्क किया. जहां से अनुमति मिलने के बाद 9 मूर्तियां लाई गई हैं.

अजमेर संग्रहालय के लिए जुटाई गई थी प्रतिमाएं

अंग्रेजों ने 1908 में अजमेर में राजपूताना संग्रहालय की स्थापना की थी. उस संग्रहालय में प्रदेश भर में अलग अलग जिलों से ऐतिहासिक पाषाण प्रतिमाएं लाई गई थीं. झालावाड़ के अलावा सीकर, जोधपुर और अन्य जिलों से प्रतिमाएं लाई गई. उस समय चूंकि झालावाड़ के पास अपना कोई संग्रहालय नहीं था, इसलिए इन 12 अमूल्य प्रतिमाओं को पुरावेत्ता गौरीशंकर ओझा अजमेर लेकर गए.

अजमेर संग्रहालय में रखी थी दुर्लभ प्रतिमाएं

लेकिन अजमेर में सिर्फ ब्रह्मा की प्रतिमा ही दर्शक दीर्घा के लिए लगाई गई. बाकी प्रतिमाओं को संग्रहालय के स्टोर में रख दिया गया.

झालावाड़ संग्रहालय करता रहा इंतजार

अजमेर में संग्रहालय की स्थापना के कुछ ही साल बाद 1915 में झालावाड़ में भी गढ़ संग्रहालय की स्थापना हो गई. लेकिन संग्रहालय को वे प्रतिमाएं नहीं मिल पाईं. तब से इलाके के इतिहासकार और प्रबुद्धजन इन प्रतिमाओं की वापसी का प्रयास करते रहे. लेकिन सारी कोशिशें विफल हो गईं.

झालावाड़ गढ़ संग्रहालय को मिली अमानत

लेकिन आखिरकार 112 साल बाद झालावाड़ का इंतजार खत्म हो गया है. वापस मिली 9 प्रतिमाओं को अलग अलग विषय की दीर्घा में स्थापित किए जाने की तैयारी चल रही है.

अब संग्रहालय में प्रदर्शित करने की तैयारी

झालावाड़ गढ़ संग्रहालय के अध्यक्ष महेंद्र कुमार ने बताया कि पहले झालावाड़ में संग्रहालय नहीं था. ऐसे में 1908 में 12 मूर्तियां अजमेर संग्रहालय में प्रदर्शनी के लिए भेजी गई थी. तब से ये सारी मूर्तियां अजमेर के संग्रहालय में ही थीं. ऐसे में विभाग से आदेश मिलने के बाद 9 मूर्तियां वापस लायी गयी हैं. वहीं ब्रह्माजी की मूर्ति पहले से अजमेर संग्रहालय में प्रदर्शित की गई है.

परमार वंशकालीन प्रतिमाएं हैं सभी

जबकि दो मूर्तियों में थोड़ी दरार आई हुई है. ऐसे में सुरक्षा की दृष्टि से उनको नहीं लाया गया है. जबकि 9 मूर्तियां झालावाड़ लायी गयी हैं. अब उन्हें गढ़ संग्रहालय में प्रदर्शित करने की तैयारी चल रही है.

पढ़ें- सिरोही के गायत्री मंदिर में चोरी, दान पात्र के नगदी और माता के श्रृंगार के जेवरात पर किया हाथ साफ

इतिहासकार ललित शर्मा ने बताया कि ये मूर्तियां झालावाड़ की प्रसिद्ध चंद्रभागा नदी के किनारे मिली थीं. ये मूर्तियां 10 से लेकर 12 वीं शताब्दी की हैं. जो मालवा के परमार वंश के समय बनाई गई थीं. ऐसे में इनको 1908 में अजमेर प्रदर्शित करने के लिए ले जाया गया था. जिसके बाद से इनकी वापसी को लेकर काफी प्रयास किए गए. ऐसे में अब यह ऐतिहासिक धरोहर जिले को वापस मिल गयी हैं. जिनको अब यहां के लोग देख सकेंगे. वहीं शोध के विद्यार्थी इन पर शोध भी कर सकेंगे.

ABOUT THE AUTHOR

...view details