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जैसलमेर: जर्जर भवन को ठीक करवाकर भामाशाहों ने चिकित्सा विभाग को सौंपा, आपातकालीन सेवाएं होंगी सुचारू

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Published : May 24, 2021, 12:06 PM IST

जहां एक तरफ सरकार ओर प्रशासन कोरोना महामारी से निपटने के लिए लगातार प्रयास कर रही है. वहीं दूसरी तरफ भामाशाह और समाजसेवी भी कोरोना से निपटने में प्रशासन का सहयोग कर रहे हैं. इसी कड़ी में जैसलमेर के बांधवा ग्राम पंचायत पर बंद पड़े एक विद्यालय के जर्जर भवन को ठीक करवाकर भामाशाहों ने चिकित्सा विभाग को सौंपा है. जिसमें आपातकालीन सेवाएं सुचारू होंगी.

Corona Treatment in Bandewa PHC, Bhamashah in Bandeva Gram Panchayat
जर्जर भवन को ठीक करवाकर भामाशाहों ने चिकित्सा विभाग को सौंपा

पोकरण (जैसलमेर). कोरोना की दूसरी लहर गांवों में तेजी से पांव पसार रही है. इसको लेकर ग्रामीण स्तर पर भी आम आदमी की जिंदगी बचाने के लिए तमाम प्रयास किए जा रहे हैं. इसी कड़ी में पोकरण के बांधेवा ग्राम पंचायत पर बंद पड़े एक प्राथमिक विद्यालय के जर्जर भवन को भामाशाहों ने धनराशि एकत्रित कर ठीक करवाया और उसे प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र को सौंपा है. बांधेवा पीएचसी में 1 चिकित्सक व 6 अन्य कर्मचारी तैनात हैं. वहीं बांधेवा पीएचसी क्षेत्र में 6 एएनएम सेवाएं दे रही हैं.

जर्जर भवन को ठीक करवाकर भामाशाहों ने चिकित्सा विभाग को सौंपा

पहले इस स्कूल में 8वीं तक की बालिकाएं अध्ययन करने आती थी, लेकिन राज्य सरकार ने कम नामांकन को देखते हुए इनको बंद कर दिया था. कई दिनों से बिना रखरखाव के कारण भवन जर्जर हो चुका था. इसलिए बांधेवा के भामाशाहों ने मिलकर वापस तैयार करके प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र बांधेवा को सुपुर्द किया. अब आपातकालीन सेवाएं इसमें सुचारू रहेंगी. क्षेत्र के मरीजों को राहत मिलेगी और बाहर से महंगी दवाइयां ना खरीद कर अब सस्ती दरों पर इलाज संभव होगा. वहीं झोलाछाप चिकित्सकों से उपचार कराने से मरीज मुक्त होंगे.

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हाल ही में राजस्थान सरकार के कैबिनेट मंत्री व स्थानीय विधायक सालेह मोहम्मद ने बांधेवा ग्राम पंचायत को प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र की बड़ी सौगात दी है, जबकि अभी तक भवन नहीं बन पाया है. वहीं डॉक्टर को लगा दिया गया था, लेकिन बिना भवन अस्पताल को सुचारू करना संभव नहीं था. तब सरपंच ने जिला कलेक्टर को अवगत करवाया. तब जर्जर बने बालिका विद्यालय के भवनो को ग्रामीणों एवं भामाशाहों के सहयोग से तैयार किया.

इस जर्जर भवन की सूरत बदली और अच्छी सुविधाओं से युक्त स्वास्थ्य केंद्र बनाया, जिसके चलते कोरोना काल में मरीजों के लिए यह भवन कारगर साबित होगा. जब प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र की स्वीकृति मिली, लेकिन जमीन के अभाव में भवन नहीं बन पाया. ऐसे में कोरोना की दूसरी लहर के साथ ही छोटी मोटी बीमारी में भी लोगों को 30 किलोमीटर दूर उपचार कराने जाना पड़ता था. पीएचसी स्वीकृति होने के बाद भी ग्रामीणों को हो रही परेशानी को देखते हुए जिला कलेक्टर को अवगत करवाकर लंबे समय से बंद पड़े भवन का उपयोग लेते हुए इसे पीएचसी में तब्दील किया गया.

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